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अंबिकापुर: मां ने दी कलेजे के टुकड़े को मुखाग्नि, लॉकडाउन में फंसे हैं पिता

अंबिकापुर में लॉकडाउन के कारण एक गरीब परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा, 14 साल के बच्चे की बीमारी से मौत हो गई. बच्चे के पिता लॉकडाउन की वजह से उत्तर प्रदेश में फंसे हैं, जिसकी वजह से बच्चे की मां को दिल पर पत्थर रखकर अपने कलेजे के टुकड़े का अंतिम संस्कार करना पड़ा.

mother cremated her child with the help of social organization in ambikapur
मां ने बेटे को दी मुखाग्नि
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Published : May 31, 2020, 11:19 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: कहते हैं कि, जब एक रास्ता बंद हो जाए तो भगवान दूसरा रास्ता खोल देता है ऐसा ही कुछ अंबिकापुर में भी हुआ, जहां अपने बच्चे के शव को गोद में लेकर बिलख रही मां की समाज सेवी संगठन के सदस्यों ने मदद की और बच्चे का अंतिम संस्कार कराया.

मां ने बेटे को दी मुखाग्नि

दरअसल उत्तर प्रदेश के जामपानी की रहने वाली महिला इस उम्मीद से अंबिकापुर पहुंची थी कि यहां रहकर वो अपने बीमार बच्चे का इलाज करा लेगी, महिला दिनभर मेहनत मजदूरी करती और अपने 14 साल के बीमार बच्चे का इलाज कराती, लेकिन शनिवार को उसकी उम्मीदें उस समय टूट गई, जब उसके बेटे ने उसका साथ छोड़ दिया. बेटे की मौत के बाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में महिला उसके अंतिम संस्कार को लेकर बिलख-बिलखकर रोने लगी, इसी दौरान शहर के समाज सेवी संगठन अनोखी सोच के सदस्यों की नजर उस पर पड़ी और उन्होंने उसके बच्चे के अंतिम संस्कार का बीड़ा उठाया.

मजदूरी कर पाल रही थी पेट

जिस बच्चे को मां अपने बुढ़ापे का सहारा समझ रही थी, नियति उस मां से उसके कलेजे का टुकड़ा छीन लिया. ईश्वर की मर्जी के आगे मजबूर मां ने दिल पर पत्थर रखकर अपने जिगर के टुकड़े को मुखाग्नि दी. जानकारी के मुताबिक महिला का बेटा डेढ़ साल पहले खेलते वक्त अचानक गिरने की वजह से घायल हो गया था. हादसे के बाद से बच्चे के शरीर का एक हिस्सा पैरालाइज हो गया. गरीब माता-पिता गांव में ही बच्चे का इलाज करा रहे थे, इसी दौरान बाबूपारा में रहने वाले रिश्तेदार ने शहर आकर बच्चे का इलाज करने की सलाह दी, जिसके बाद बच्चे को लेकर उसका पिता दिसंबर महीने में अंबिकापुर पहुंचा और उसका इलाज कराने लगा, कुछ दिन अंबिकापुर में रहने के बाद पिता वापस अपने गांव लौट गया और इसके बाद बच्चे की मां मेहनत-मजूदरी कर अपने बच्चे का इलाज कराने लगी.

समाजसेवी संगठन ने कराया अंतिम संस्कार

इसी दौरान कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन हो गया और गरीब महिला से रोजगार भी छिन गया, काम नहीं मिलने से बचे हुए पैसे इलाज और गुजारे में खर्च हो गए. ऐसे में अपने मृत बेटे के शव को लेकर उत्तर प्रदेश जाना महिला के लिए सम्भव नहीं था और इसी बात की चिंता को लेकर महिला अस्पताल परिसर में बिलख-बिलख कर रो रही थी, इस दौरान समाज सेवी संगठन अनोखी सोच के सदस्यों ने न सिर्फ महिला को ढांढस बंधाया बल्कि खुद बच्चे का अंतिम संस्कार करवाया.

सरगुजा: कहते हैं कि, जब एक रास्ता बंद हो जाए तो भगवान दूसरा रास्ता खोल देता है ऐसा ही कुछ अंबिकापुर में भी हुआ, जहां अपने बच्चे के शव को गोद में लेकर बिलख रही मां की समाज सेवी संगठन के सदस्यों ने मदद की और बच्चे का अंतिम संस्कार कराया.

मां ने बेटे को दी मुखाग्नि

दरअसल उत्तर प्रदेश के जामपानी की रहने वाली महिला इस उम्मीद से अंबिकापुर पहुंची थी कि यहां रहकर वो अपने बीमार बच्चे का इलाज करा लेगी, महिला दिनभर मेहनत मजदूरी करती और अपने 14 साल के बीमार बच्चे का इलाज कराती, लेकिन शनिवार को उसकी उम्मीदें उस समय टूट गई, जब उसके बेटे ने उसका साथ छोड़ दिया. बेटे की मौत के बाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में महिला उसके अंतिम संस्कार को लेकर बिलख-बिलखकर रोने लगी, इसी दौरान शहर के समाज सेवी संगठन अनोखी सोच के सदस्यों की नजर उस पर पड़ी और उन्होंने उसके बच्चे के अंतिम संस्कार का बीड़ा उठाया.

मजदूरी कर पाल रही थी पेट

जिस बच्चे को मां अपने बुढ़ापे का सहारा समझ रही थी, नियति उस मां से उसके कलेजे का टुकड़ा छीन लिया. ईश्वर की मर्जी के आगे मजबूर मां ने दिल पर पत्थर रखकर अपने जिगर के टुकड़े को मुखाग्नि दी. जानकारी के मुताबिक महिला का बेटा डेढ़ साल पहले खेलते वक्त अचानक गिरने की वजह से घायल हो गया था. हादसे के बाद से बच्चे के शरीर का एक हिस्सा पैरालाइज हो गया. गरीब माता-पिता गांव में ही बच्चे का इलाज करा रहे थे, इसी दौरान बाबूपारा में रहने वाले रिश्तेदार ने शहर आकर बच्चे का इलाज करने की सलाह दी, जिसके बाद बच्चे को लेकर उसका पिता दिसंबर महीने में अंबिकापुर पहुंचा और उसका इलाज कराने लगा, कुछ दिन अंबिकापुर में रहने के बाद पिता वापस अपने गांव लौट गया और इसके बाद बच्चे की मां मेहनत-मजूदरी कर अपने बच्चे का इलाज कराने लगी.

समाजसेवी संगठन ने कराया अंतिम संस्कार

इसी दौरान कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन हो गया और गरीब महिला से रोजगार भी छिन गया, काम नहीं मिलने से बचे हुए पैसे इलाज और गुजारे में खर्च हो गए. ऐसे में अपने मृत बेटे के शव को लेकर उत्तर प्रदेश जाना महिला के लिए सम्भव नहीं था और इसी बात की चिंता को लेकर महिला अस्पताल परिसर में बिलख-बिलख कर रो रही थी, इस दौरान समाज सेवी संगठन अनोखी सोच के सदस्यों ने न सिर्फ महिला को ढांढस बंधाया बल्कि खुद बच्चे का अंतिम संस्कार करवाया.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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