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सरगुजा नहीं कोरिया राजा ने मारा था अंतिम चीता

भारत के आखिरी चीते को कोरिया के महाराज ने मारा था. शुरू में सरगुजा महाराज के चीते को मारने को लेकर संशय बना हुआ था लेकिन बाद में इस बात का खुलासा हो गया कि कोरिया महाराज ने ही भारत के आखिरी चीते को मारा था.

last cheetah was killed by Koriya king
कोरिया राजा ने मारा था अंतिम चीता
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Published : Aug 11, 2022, 11:13 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा : ऐसा माना जाता है की देश में अंतिम चीता सरगुजा संभाग के कोरिया में दिखा था, कोरिया के तत्कालीन महाराज रामानुज प्रताप सिंहदेव ने इस चीते का शिकार किया था. इस शिकार में एक साथ तीन चीतों का शिकार किया गया था. अब देश में एक बार फिर से विदेशों से चीते लाये जा रहे हैं. एक बार फिर भारत मे चीते दिखेंगे. (last cheetah was killed by Koriya king )

हमनाम होने से हुआ भ्रम: इस संबंध में ETV भारत ने रियासतों के जानकार गोविंद शर्मा से बात की "उन्होंने बताया " सरगुजा के महाराज रामानुज शरण सिंहदेव और समकालीन पड़ोसी राज्य कोरिया के राजा का नाम रामानुज प्रताप सिंहदेव के नाम मे समानता थी. इस वजह से कई बार भ्रम की स्थिति बनती रही. इसी भ्रम में अंतिम चीते को मारने का रिकॉर्ड भी करीब 75 वर्षों तक सरगुजा महाराज रामानुज शरण सिंहदेव के नाम दर्ज था. बाद में इसकी पुष्टि कर इस रिकॉर्ड में संशोधन किया गया. कोरिया के राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव के नाम अंतिम चीते को मारने का रिकार्ड दर्ज हुआ."

दोनों थे समकालीन राजा: गोविंद शर्मा बताते हैं कि "सरगुजा रियासत के महाराज रामानुज शरण सिंहदेव का जन्म 1895 में हुआ और कोरिया के महाराजा रामानुज प्रताप सिंहदेव का जन्म 1905 में हुआ. दोनों की उम्र में 10 वर्ष का ही अंतर था. क्योंकि कोरिया राजा इनसे उम्र में छोटे थे. तो उनके पिता ने सरगुजा महाराज को ही अपने बेटे की जिम्मेदारी दी थी. इसलिए सरगुजा महाराज हमेशा कोरिया को अपना समझते थे."

1170 बाघ मारे: वो आगे कहते हैं "सरगुजा के महाराज रामानुज शरण सिंहदेव ने 1932 में चीते का शिकार किया था. हालांकि वो विश्व स्तर के शिकारी थे..दस्तावेज बताते हैं की सबसे अधिक बाघ मारने का रिकार्ड भी इन्ही के नाम है. सरगुजा रियासत के महाराज रामनुजशरण सिंहदेव ने 1170 बाघ मारे थे."

पेड़ काटने पर जुर्माना: सरगुजा और कोरिया घनघोर वन क्षेत्र था. यहां खतरनाक जंगली जानवर रहते थे. ग्रामीण अपनी रक्षा के लिये राजा से गुहार लगाते थे. प्रजा की रक्षा के लिये राजा को इनका शिकार करना पड़ता था.वरना सरगुजा महाराज तो प्रकृति से इतना प्रेम करते की पेड़ तक नही काटने देते थे. सरगुजा स्टेट में पेड़ काटने पर उस समय 10 रुपये का जुर्माना लगाया जाता था.

सीमा के कारण भी भ्रम: कोरिया राजा द्वारा मारे गए अंतिम चीते के सबंध में गोविंद शर्मा बताते हैं कि सरगुजा और कोरिया की सीमाएं लगी हुई थी. कंहा तक कोरिया है कहां तक सरगुजा जंगलों में इसका पता लगा पाना मुश्किल था. सम्भवतः कोरिया राजा ने रात के अंधेरे में जब चीते का शिकार किया तब ये समझ नही पाए की वो सरगुजा की सीमा में आ चुके हैं और चीता सरगुजा में पाया गया. इस कारण भी यह भ्रम बना रहा की सरगुजा महाराज ने अंतिम चीते को मारा था.

सरगुजा : ऐसा माना जाता है की देश में अंतिम चीता सरगुजा संभाग के कोरिया में दिखा था, कोरिया के तत्कालीन महाराज रामानुज प्रताप सिंहदेव ने इस चीते का शिकार किया था. इस शिकार में एक साथ तीन चीतों का शिकार किया गया था. अब देश में एक बार फिर से विदेशों से चीते लाये जा रहे हैं. एक बार फिर भारत मे चीते दिखेंगे. (last cheetah was killed by Koriya king )

हमनाम होने से हुआ भ्रम: इस संबंध में ETV भारत ने रियासतों के जानकार गोविंद शर्मा से बात की "उन्होंने बताया " सरगुजा के महाराज रामानुज शरण सिंहदेव और समकालीन पड़ोसी राज्य कोरिया के राजा का नाम रामानुज प्रताप सिंहदेव के नाम मे समानता थी. इस वजह से कई बार भ्रम की स्थिति बनती रही. इसी भ्रम में अंतिम चीते को मारने का रिकॉर्ड भी करीब 75 वर्षों तक सरगुजा महाराज रामानुज शरण सिंहदेव के नाम दर्ज था. बाद में इसकी पुष्टि कर इस रिकॉर्ड में संशोधन किया गया. कोरिया के राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव के नाम अंतिम चीते को मारने का रिकार्ड दर्ज हुआ."

दोनों थे समकालीन राजा: गोविंद शर्मा बताते हैं कि "सरगुजा रियासत के महाराज रामानुज शरण सिंहदेव का जन्म 1895 में हुआ और कोरिया के महाराजा रामानुज प्रताप सिंहदेव का जन्म 1905 में हुआ. दोनों की उम्र में 10 वर्ष का ही अंतर था. क्योंकि कोरिया राजा इनसे उम्र में छोटे थे. तो उनके पिता ने सरगुजा महाराज को ही अपने बेटे की जिम्मेदारी दी थी. इसलिए सरगुजा महाराज हमेशा कोरिया को अपना समझते थे."

1170 बाघ मारे: वो आगे कहते हैं "सरगुजा के महाराज रामानुज शरण सिंहदेव ने 1932 में चीते का शिकार किया था. हालांकि वो विश्व स्तर के शिकारी थे..दस्तावेज बताते हैं की सबसे अधिक बाघ मारने का रिकार्ड भी इन्ही के नाम है. सरगुजा रियासत के महाराज रामनुजशरण सिंहदेव ने 1170 बाघ मारे थे."

पेड़ काटने पर जुर्माना: सरगुजा और कोरिया घनघोर वन क्षेत्र था. यहां खतरनाक जंगली जानवर रहते थे. ग्रामीण अपनी रक्षा के लिये राजा से गुहार लगाते थे. प्रजा की रक्षा के लिये राजा को इनका शिकार करना पड़ता था.वरना सरगुजा महाराज तो प्रकृति से इतना प्रेम करते की पेड़ तक नही काटने देते थे. सरगुजा स्टेट में पेड़ काटने पर उस समय 10 रुपये का जुर्माना लगाया जाता था.

सीमा के कारण भी भ्रम: कोरिया राजा द्वारा मारे गए अंतिम चीते के सबंध में गोविंद शर्मा बताते हैं कि सरगुजा और कोरिया की सीमाएं लगी हुई थी. कंहा तक कोरिया है कहां तक सरगुजा जंगलों में इसका पता लगा पाना मुश्किल था. सम्भवतः कोरिया राजा ने रात के अंधेरे में जब चीते का शिकार किया तब ये समझ नही पाए की वो सरगुजा की सीमा में आ चुके हैं और चीता सरगुजा में पाया गया. इस कारण भी यह भ्रम बना रहा की सरगुजा महाराज ने अंतिम चीते को मारा था.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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