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छत्तीसगढ़: भूख लगी है तो पॉलीथिन लाइए और यहां भरपेट खाना खाइए

स्वच्छ भारत मिशन के तहत अंबिकापुर नगर निगम में गार्बेज कैफे खोला जा रहा है. यहां ग्राहकों से बिल नहीं बल्कि कचरा जमा करया जाएगा.

ऐसा मिलेगा खाना
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Published : Jul 25, 2019, 8:51 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: देश के सारे कैफे भूल जाइए और इस कैफे का नाम रट लीजिए. यहां आपको ऑर्डर पर बिल नहीं बल्कि कचरा जमा करना होगा. नाश्ता का रेट है आधा किलो पॉलीथिन और खाने का एक किलो. सफाई को शहर ने सेवा से जोड़ दिया है. थोड़ी मेहनत स्वच्छता को दान कीजिए और यहां पर आकर खाना खाइए. आपकी हैरानी और बढ़े इससे पहले हम आपको अंबिकापुर के गार्बेज कैफे के बारे में बता ही देते हैं.

भूख लगी है तो पॉलीथिन लाइए और यहां भरपेट खाना खाइए
  • ये है अंबिकापुर का नगर निगम. इस नगर निगम को यूं ही बेस्ट प्रैक्टिसनर का अवार्ड नहीं मिला है. इसके थिंक टैंक की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है. नगर निगम ने एक ऐसा आइडिया जनरेट किया है जिससे न केवल शहर में पॉलीथिन के साथ-साथ कचरा साफ होगा बल्कि आमदनी भी होगी. वैसे इस पहल से गरीबों को खाना भी मिल जाएगा. ऐसा देश में पहली बार हो रहा है और जरूरतमंद भी खुश हैं.
  • 2015 से स्वच्छ भारत मिशन के लिए शुरू की गई सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के जरिए कचरे को अलग-अलग तरीके से बेच कर मुनाफा कमाना और महिलाओं को स्व रोजगार से जोड़ने के काम में तो नगर निगम अंबिकापुर ने पूरे देश को अपना लोहा मनवाया है, लेकिन एक बार फिर इनके दिमाग से निकले इस आइडिया ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है.
  • इस कैफे को शहर के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के सेंटर में ही संचालित किया जाएगा. नगर निगम ने इस प्रस्ताव को पास कर लिया है और जल्द ही इसे शुरू भी कर दिया जाएगा.
  • इस योजना का लाभ लेने के लिए सबसे पहले पॉलीथिन इकट्ठा करने वाले शख्स को पॉलीथिन को नगर निगम के सेग्रिगेशन सेंटर में पहुंचाना होगा.
  • वहां पॉलीथिन का वजन करने के बाद एक कूपन जारी किया जाएगा. यह कूपन एक किलो या आधा किलो के मापदंड के आधार पर अलग-अलग दिया जाएगा.
  • कूपन को लेकर हितग्राही को अंबिकापुर के नए बस स्टैंड के आश्रय गृह में डेवलप किये जा रहे गार्बेज कैफे में ले जाना होगा और वहां पर इन्हें कूपन के अनुसार भोजन या नाश्ता मुफ्त में दिया जाएगा.
  • खाने की जिम्मेदारी उन महिलाओं को दी गई है, जो पहले से ही बस स्टैंड के आश्रय गृह में कैंटीन चला रही हैं और ताजा गरम भोजन बेच कर आजीविका चला रही हैं.
  • कूपन के बदले फ्री में खाना देने पर प्रत्येक कूपन की दर से निगार निगम खाने के पैसे का भुगतान समूह की महिलाओं को करेगा, इसके लिए नगर निगम ने 6 लाख की राशि स्वीकृत की है. आगे जरूरत के मुताबिक राशि को बढ़ाया जाएगा.
  • शुरुआती दौर में इंतजाम के लिए यह पैसे लगने हैं क्योंकि जो पॉलीथिन नगर निगम के सेग्रिगेशन सेंटर तक पहुंचेगा उसे भी नगर निगम बाजार में बेच कर कमाई करेगा. लिहाजा मुफ्त में दिए जाने वाले खाने का खर्चा उसी पॉलीथिन से कवर कर लिया जाएगा, लेकिन पैसों की वजह से योजना के संचालन में कोई दिक्कत न आए इस वजह से 6 लाख की स्वीकृति दी गई है.
  • अंबिकापुर नगर निगम का ये प्लान कई योजनाओं से बेहतर लगता है. सफाई, सेवा और स्वाभिमान तीनों का कॉम्बिनेशन. कचरा अपनी जगह पहुंचेगा तो सफाई होगी. कचरा लाने वाले के पास अगर पेट भरने के पैसे नहीं को उसका पेट भरेगा और कोई भूखा नहीं सोएगा. औ र यहां काम करने वाली महिलाओं का स्वाभिमान भी बना रहेगा. देश के लिए मिसाल बनने वाले अंबिकापुर नगर निगम को ETV भारत की तरफ से भी ढेर सारी सफाई वाली बधाई.

सरगुजा: देश के सारे कैफे भूल जाइए और इस कैफे का नाम रट लीजिए. यहां आपको ऑर्डर पर बिल नहीं बल्कि कचरा जमा करना होगा. नाश्ता का रेट है आधा किलो पॉलीथिन और खाने का एक किलो. सफाई को शहर ने सेवा से जोड़ दिया है. थोड़ी मेहनत स्वच्छता को दान कीजिए और यहां पर आकर खाना खाइए. आपकी हैरानी और बढ़े इससे पहले हम आपको अंबिकापुर के गार्बेज कैफे के बारे में बता ही देते हैं.

भूख लगी है तो पॉलीथिन लाइए और यहां भरपेट खाना खाइए
  • ये है अंबिकापुर का नगर निगम. इस नगर निगम को यूं ही बेस्ट प्रैक्टिसनर का अवार्ड नहीं मिला है. इसके थिंक टैंक की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है. नगर निगम ने एक ऐसा आइडिया जनरेट किया है जिससे न केवल शहर में पॉलीथिन के साथ-साथ कचरा साफ होगा बल्कि आमदनी भी होगी. वैसे इस पहल से गरीबों को खाना भी मिल जाएगा. ऐसा देश में पहली बार हो रहा है और जरूरतमंद भी खुश हैं.
  • 2015 से स्वच्छ भारत मिशन के लिए शुरू की गई सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के जरिए कचरे को अलग-अलग तरीके से बेच कर मुनाफा कमाना और महिलाओं को स्व रोजगार से जोड़ने के काम में तो नगर निगम अंबिकापुर ने पूरे देश को अपना लोहा मनवाया है, लेकिन एक बार फिर इनके दिमाग से निकले इस आइडिया ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है.
  • इस कैफे को शहर के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के सेंटर में ही संचालित किया जाएगा. नगर निगम ने इस प्रस्ताव को पास कर लिया है और जल्द ही इसे शुरू भी कर दिया जाएगा.
  • इस योजना का लाभ लेने के लिए सबसे पहले पॉलीथिन इकट्ठा करने वाले शख्स को पॉलीथिन को नगर निगम के सेग्रिगेशन सेंटर में पहुंचाना होगा.
  • वहां पॉलीथिन का वजन करने के बाद एक कूपन जारी किया जाएगा. यह कूपन एक किलो या आधा किलो के मापदंड के आधार पर अलग-अलग दिया जाएगा.
  • कूपन को लेकर हितग्राही को अंबिकापुर के नए बस स्टैंड के आश्रय गृह में डेवलप किये जा रहे गार्बेज कैफे में ले जाना होगा और वहां पर इन्हें कूपन के अनुसार भोजन या नाश्ता मुफ्त में दिया जाएगा.
  • खाने की जिम्मेदारी उन महिलाओं को दी गई है, जो पहले से ही बस स्टैंड के आश्रय गृह में कैंटीन चला रही हैं और ताजा गरम भोजन बेच कर आजीविका चला रही हैं.
  • कूपन के बदले फ्री में खाना देने पर प्रत्येक कूपन की दर से निगार निगम खाने के पैसे का भुगतान समूह की महिलाओं को करेगा, इसके लिए नगर निगम ने 6 लाख की राशि स्वीकृत की है. आगे जरूरत के मुताबिक राशि को बढ़ाया जाएगा.
  • शुरुआती दौर में इंतजाम के लिए यह पैसे लगने हैं क्योंकि जो पॉलीथिन नगर निगम के सेग्रिगेशन सेंटर तक पहुंचेगा उसे भी नगर निगम बाजार में बेच कर कमाई करेगा. लिहाजा मुफ्त में दिए जाने वाले खाने का खर्चा उसी पॉलीथिन से कवर कर लिया जाएगा, लेकिन पैसों की वजह से योजना के संचालन में कोई दिक्कत न आए इस वजह से 6 लाख की स्वीकृति दी गई है.
  • अंबिकापुर नगर निगम का ये प्लान कई योजनाओं से बेहतर लगता है. सफाई, सेवा और स्वाभिमान तीनों का कॉम्बिनेशन. कचरा अपनी जगह पहुंचेगा तो सफाई होगी. कचरा लाने वाले के पास अगर पेट भरने के पैसे नहीं को उसका पेट भरेगा और कोई भूखा नहीं सोएगा. औ र यहां काम करने वाली महिलाओं का स्वाभिमान भी बना रहेगा. देश के लिए मिसाल बनने वाले अंबिकापुर नगर निगम को ETV भारत की तरफ से भी ढेर सारी सफाई वाली बधाई.
Intro:सरगुज़ा : स्वच्छता के क्षेत्र में कीर्तिमान रचने के बाद अम्बिकापुर नगर निगम करने जा रहा है अनूठी पहल, इस नगर निगम को सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए ऐसे ही बेस्ट प्रैक्टिसनर का अवार्ड नही मिला है, वाकई में नगर निगम का थिंक टैंक लाजवाब है, कचरे के निपटान के साथ कचरे के प्रबंधन से आमदनी और लोगो की बेहतरी को कैसे जोड़ना है ये इस नगर निगम से सीखने लायक है, 2015 से स्वच्छ भारत मिशन के लिए शुरू की गई सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के जरिये कचरे को अलग अलग तरीके से बेच कर मुनाफा कमाना और महिलाओं को स्व रोजगार से जोड़ने के काम मे तो नगर निगम अम्बिकापुर ने पूरे देश को अपना लोहा मनवाया है, लेकिन एक बार फिर इनके दिमाग से निकले इस आइडिया ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। स्वच्छता को सेवा से जोड़ते हुए बड़ा ही अनूठा प्रयास किया है, इस प्रयास से ना सिर्फ स्वच्छता को बढ़ावा मिलेगा बल्कि गरीबो को पेट भरने का साधन भी उपलब्ध होगा। दरअसल नगर निगम अम्बिकापुर गार्बेज कैफे योजना शुरू करने जा रही है, कैफे का नाम सुनकर जो ख्याल आपके दिमाग मे आ सकते हैं दरअसल ये कैफे बिल्कुल उसके विपरीत है क्योंकी इस कैफे में खाने या नास्ते के पैसे नही लगेंगे बल्कि मुफ्त में पेट भर खाना और नास्ता मिलेगा।






Body:आप सोच रहे होंगे की आखिर मुफ्त में कोई क्यों रोजाना खाना और नास्ता देगा.? तो आपको बतादें की यह खाना औऱ नास्ता मुफ्त में तो मिलेगा लेकिन इसके लिये स्वछता के लिए श्रम दान करना होगा, और इसकी शर्त है सड़क में फीके पड़े प्लास्टिक की पॉलीथिन.. एक किलो पॉलीथिन लाने पर पेट भर खाना और आधा किलो पॉलीथिन लाने पर पेट भर नास्ता इस कैफे में मिल सकेगा, और इस कैफे को शहर के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के सेंटर में ही संचालित किया जाएगा, नगर निगम ने इस प्रस्ताव को पास कर लिया है और जल्द ही इसे शरू भी कर दिया जाएगा। इस योजना का लाभ लेने के लिए सबसे पहले पॉलीथिन इकट्ठा करने वाले सख्स को पॉलीथिन को नगर निगम के सेग्रिगेशन सेंटर में पहुंचाना होगा, वहां पॉलीथिन का वजन करने के बाद एक कूपन जारी किया जाएगा यह कूपन एक किलो या आधा किलो के मापदंड के आधार पर अलग अलग दिया जाएगा, कूपन को लेकर हितग्राही को अम्बिकापुर के नए बस स्टैंड के आश्रय गृह में डेवलप किये जा रहे गार्बेज कैफे में ले जाना होगा और वहां पर इन्हें कूपन के अनुसार भोजन या नाश्ता मुफ्त में दिया जाएगा, खाने की जिम्मेदारी उन महिलाओं को दी गई है जो पहले से ही बस स्टैंड के आश्रय गृह में कैंटीन चला रही हैं और ताजा गरम भोजन बेच कर आजीविका चला रही हैं, कूपन के बदले फ्री में खाना देने पर प्रत्येक कूपन की दर से निगार निगम खाने के पैसे का भुगतान समूह की महिलाओं को करेगा, इसके लिए नगर निगम ने 6 लाख की राशि स्वीकृत की है, आगे आवश्यकता के अनुसार राशि को बढ़ाया जाएगा, हालाकी शुरुआती दौर में इंतजाम के लिए यह पैसे लगने हैं क्योंकी जो पॉलीथिन नगर निगम के सेग्रिगेशन सेंटर तक पहुंचेगा उसे भी नगर निगम बाजार में बेच कर कमाई करेगा, लिहाजा मुफ्त में दिए जाने वाले खाने का खर्चा उसी पॉलीथिन से कवर कर लिया जाएगा, लेकिन पैसों की वजह से योजना के संचालन में कोई दिक्कत न आये इस वजह से 6 लाख की स्वीकृति दी गई है।




Conclusion:बहरहाल नगर निगम की यह योजना कई महत्वाकांक्षी योजनाओ से बड़ी प्रतीत होती है, क्योंकी इस योजना में स्वच्छता और सेवा के साथ स्वाभिमान का भी खास ख्याल रखा गया है। जहां पॉलीथिन के कलेक्शन से शहर और भी ज्यादा साफ होगा तो वहीं गरीब लोगों का पेट भर सकेगा लेकिन इस काम मे उनका स्वाभिमान भी जिंदा रहेगा, वो मुफ्त की रोटी नही तोड़ेंगे बल्कि अपने श्रम से लाये हुए पॉलिथीन के एवज में भोजन या नास्ता प्राप्त कर सकेंगे। इस योजना में कचरे के सदुपयोग का भी बड़ा उदाहरण है, एक तो पॉलीथिन से शहर साफ रहेगा, जो स्वच्छता के ख़िताब में योगदान देगा, दूसरा पॉलीथिन को बेच कर कमाई होगी, उस कमाई से गरीबों का पेट भरेगा और स्वरोजगार से जुड़ी महिलाओ को भी मुनाफा होगा, इस तरह से छोटी सी सहभागिता से कितना बड़ा काम किया जा सकता है इस बात का उदाहरण नगर निगम अम्बिकापुर पेश करने जा रहा है।

बाईट01_भंटा (सड़क से कचरा बीनने वाला)

बाईट02_इस्तियाक अली (सड़क से कचरा बीनने वाला)

बाईट03_ललिता पांडेय (संचालिका आश्रय गृह)

बाईट04_डॉ अजय तिर्की (मेयर अम्बिकापुर)

देश दीपक सरगुज़ा
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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