सरगुजा: जिले के मैनपाट में स्थित पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में 140 आरक्षकों ने 13 महीने का विशेष प्रशिक्षण लिया. इसमें सबसे बड़ी बात ये है कि इनमें से 35 ऐसे नव आरक्षक हैं, जो कभी हार्डकोर नक्सली हुआ करते थे. सरकार के नक्सल उन्मूलन कार्यक्रम के तहत उन्होंने हिंसा का रास्ता छोड़ा और अब ये न सिर्फ मुख्यधारा से जुड़ चुके हैं बल्कि खाकी वर्दी पहन कर देश व राज्य की सेवा का संकल्प भी ले चुके हैं.
मैनपाट पीटीएस के 5वें प्रशिक्षण सत्र में कुल 140 लोगों को प्रशिक्षण दिया गया और इन 140 में से 35 ऐसे पुलिसकर्मी हैं, जो पहले हार्डकोर नक्सली हुआ करते थे. लेकिन जब उन्हें समझ आया की नक्सली उन्हें और उनके आदिवासी साथियों को गलत रास्ते पर ले जा रहे हैं, तो इन लोगों ने पुलिस के साथ मिलकर नक्सलियों के खिलाफ मोर्चा खोलने का मन बनाया. ETV भारत ने इन नव आरक्षकों से बातचीत भी की जो पहले नक्सली हुआ करते थे. इस बात चीत में उन लोगों ने अपना दर्द और नए जीवन में आए बदलाव के बारे में बात की.
दी जाती है कड़ी ट्रेनिंग
13 महीने की कड़ी ट्रेनिंग में पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में ना सिर्फ फिजिकल ट्रेनिंग दी जाती है बल्कि आरक्षकों के बौद्धिक विकास के लिए विभिन्न सामाजिक विषयों की पढ़ाई भी कराई जाती है. 13 महीने में इन विषयों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले आरक्षक को विशेष सम्मान दिया जाता है.
इन्हें मिला पुरस्कार
पुलिस प्रशिक्षण केंद्र मैनपाट के पांचवे दीक्षांत समारोह के अवसर पर 13 महीने के कठिन प्रशिक्षण के बाद बेहतर प्रदर्शन करने वाले प्रथम पंक्ति के नव आरक्षक में पुलिस और समाज विषय के लिए सिद्धार्थ पाठक, प्रशासन एवं संगठन कानून विषय के लिए रोशन कुमार ठाकुर, पुलिस प्रक्रिया के लिए मुस्कान दुबे, पुलिस विज्ञान सत्र का सर्वोत्तम प्रशिक्षणार्थी के लिए रोशन कुमार राठौर, अपराध शास्त्र आतंकवाद कंप्यूटर साइबर क्राइम तथा अंग्रेजी भाषा छत्तीसगढ़ के शहीद विषय के लिए पंकज पटेल, डोरली भाषा अनुशासन के लिए मुन्ना राणा, मकेस्ट्री फायरिंग के लिए मिथलेश साहू, आउटडोर परेड सहायक परेड कमांडर मनोहर लाल निषाद, परेड कमांडर के लिए आशीष निश्चल तिर्की को सम्मानित किया गया. सम्मान पाने वाले यह वह पुलिसकर्मी हैं जिन्होंने 13 महीने के कठिन प्रशिक्षण के दौरान इन विषयों में अतिरिक्त उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है.
इस लक्ष्य के साथ कराया जाता है प्रशिक्षण
प्रदेश भर के पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में नव आरक्षकों को अलग अलग तरह का प्रशिक्षण दिया जाता है और यह प्रशिक्षण पुलिस भर्ती के बाद विभाग के द्वारा समय समय पर कराया जाता है. प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षणार्थियों को 13 महीने तक कठिन परीक्षण से गुजरना होता है, ताकी वो समाज मे होने वाली विषम परिस्थितियों से निपटने में सक्षम बन सकें. इसके साथ ही यहां बौद्धिक विकास के लिए पुलिस और समाज से जुड़े विषयों की पढ़ाई भी कराई जाती है, जिससे ये लोग पुलिस और समाज के बीच बेहतर समन्वय बनाने में सफल रहें और बेहतर पुलिसिंग को अंजाम दे सकें.