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हौसले की राह: साहब ने नहीं सुनी गुहार, ग्रामीणों ने खुद बनाई 3 किलोमीटर सड़क - राजनांदगांव के ग्रामीण

राजनांदगांव के मानपुर ब्लॉक के खुरसेकला गांव में ग्रामीणों ने मिलकर 3 किलोमीटर लंबी सड़क बना डाली. कई दशकों से यह गांव मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है, जिसमें से एक सड़क निर्माण भी है. कई दफा जिम्मेदारों को अपनी परेशानी से रूबरू कराने के बाद भी जब इनकी किसी ने न सुनी, तो ग्राम सभा का गठन कर ग्रामीणों ने ही सड़क का निर्माण कर डाला. देखिए अवश्यकता से आविष्कार तक की कहानी.

rajnandgaon villagers constructed road
ग्रामीणों ने खुद बनाई 3 किलोमीटर सड़क
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Published : Jun 11, 2020, 6:08 PM IST

राजनांदगांव: सरकार के वादों, प्रशासन के दावों और सिस्टम पर करारा तमाचा जड़ते हुए गांववालों ने खुद ही सड़क बनाने का काम शुरू कर दिया. जिले के मानपुर ब्लॉक के खुरसेकला गांव में ग्रामीणों ने मिलकर 3 किलोमीटर की सड़क बनाने का जिम्मा खुद पर लिया है. यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि न तो बच्चे स्कूल जा पाते और न बीमार अस्पताल. इतना ही नहीं राशन के लिए भी कड़ी जद्दोजहद करनी पड़ती थी. अफसरों से विनती करते-करते जब ये गांववाले हार गए तो खुद ही रोड बनाना शुरू कर दिया.

ग्रामीणों ने खुद बनाई 3 किलोमीटर सड़क

गांव के लोगों को कई साल से इस सड़क पर आवाजाही करने में परेशानी हो रही थी. वहीं मानसून आने के लिए अब सिर्फ कुछ ही दिन बचे हैं, ऐसे में सड़क निर्माण की जरूरत को देखते हुए ग्रामीणों ने खुद ही श्रमदान शुरू किया. 5 दिन से सड़क निर्माण जारी है और लगभग पूरा होने वाला है.

rajnandgaon villagers constructed road
खुरसेकला के ग्रामीणों ने मिलकर बना ली सड़क

विधायक ने भी फेर लिया मुंह !

जिला मुख्यालय से 120 किलोमीटर दूर मानपुर ब्लॉक का खुरसेकला गांव आजादी के 70 सालों बाद भी आज मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. चाहे स्वास्थ्य सुविधा हो, पानी, बिजली, स्कूल या फिर सड़क. हर क्षेत्र में अभाव मुंह फैला कर खड़ा है. ग्रामीण कई दशक से शासन-प्रशासन को गांव की समस्याओं से अवगत करा रहें है, लेकिन जिम्मेदारों ने अब तक इनकी परेशानी पर कोई ध्यान नहीं दिया. क्षेत्रीय विधायक ने भी इस गांव की सुध नहीं ली. इसलिए ग्रामीण अब बारिश शुरू होने से पहले अपनी व्यवस्था खुद करने में लग गए और 3 किलोमीटर की सड़क श्रमदान से तैयार कर ली.

rajnandgaon villagers constructed road
बच्चों को स्कूल जाने से होती थी परेशानी

स्कूल नहीं जा पाते बच्चे

बारिश के दिनों में यह गांव पूरी तरह टापू में बदल जाता है. कोई बाहरी व्यक्ति इस गांव में नहीं आ सकता और न ही इस गांव का कोई व्यक्ति बाहर जा सकता है. पूरे बारिश के मौसम के दौरान बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि खराब रास्ते की वजह से गांव के स्कूल में कोई शिक्षक आने को तैयार नहीं होता. उनका कहना है कि मानपुर में स्कूल जाने के लिए लड़कों को दिक्कत नहीं होती, क्योंकि उनके लिए वहां छात्रावास की सुविधा है. परेशानियां लड़कियों के हिस्से में आती है जो 4-5 किलोमीटर चलकर इस रास्ते से गुजरती हैं.

rajnandgaon villagers constructed road
दशकों से कर रहे थे सड़क निर्माण की मांग

गांव तक नहीं पहुंचती एंबुलेंस

परेशानियां यहीं खत्म नहीं होती, अगर गांव की कोई गर्भवती महिला को प्रसव के लिए ले जाना पड़े, तो गांव से 3 किलोमीटर खाट में लिटाकर ले जाना पड़ता है. बारिश के दिनों में स्वास्थ्य विभाग की महतारी योजना के तहत चलने वाली गाड़ी यहां तक नहीं पहुंच पाती. ग्रामीण बताते हैं कि एंबुलेंस वाले गाड़ी गांव में नहीं लाते, यह कहते हुए कि रोड खराब है.

ग्रामीण बताते हैं कि उन्हें राशन लाने के लिए भी परेशानी होती है. 4-5 किलोमीटर पैदल या साइकल की मदद से ही राशन लाया जाता है. वहीं बारिश के समय जाने-आने में परेशानी होती है.

rajnandgaon villagers constructed road
ग्राम सभा गठन कर रोड निर्माण का लिया फैसला

'जल-जंगल-जमीन पर सिर्फ हमारा अधिकार'

जब जिम्मेदारों ने ग्रामीणों की इस समस्या का समाधान नहीं निकाला तो खुरसेकला गांव के ग्रामीणों ने ग्रामसभा में यह फैसला लिया कि अब वनांचल क्षेत्रों में जल, जंगल और जमीन पर केवल उनका ही अधिकार होगा. जानकारी के मुताबिक यहां 2017 में ग्रामसभा का गठन कर लिया गया था. अपने गांव को टापू नहीं बनने देने की जुगत में गांव के लोगों ने अपने श्रमदान से 3 किलोमीटर तक के सड़क का निर्माण कर डाली, जिससे सभी ग्रामवासी खुश हैं.

पढ़ें- कोरबा: बारिश से बर्बाद हुई सड़क की मरम्मत शुरू, सोशल डिस्टेंस के साथ करना होगा काम

सरकारें आती हैं और चली जाती हैं. तमाम चुनावी कार्ड्स खेलकर वादे करना और आदिवासी अंचल से वोट बटोरना ये नेता-मंत्रियों की पुरानी आदत है. चुनाव जीत जाने के बाद, सरकार बन जाने के बाद वनांचलों के ऐसे दुरस्थ क्षेत्रों में कोई जिम्मेदार झांकने भी नहीं जाता. सैकड़ों योजनाएं सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह जाती हैं. अपनी परेशानियों को लेकर हजार मिन्नतें करने के बाद जब ग्रामीणों का स्वाभिमान जागता है, तो ऐसी कई किलोमीटर की सड़कें बना दी जाती हैं. छत्तीसगढ़ से ये पहली तस्वीर ऐसी नहीं है कई बार ऐसी खबरें सामने आती हैं, जब गांववाले प्रशासन को आईना दिखा देते हैं.

राजनांदगांव: सरकार के वादों, प्रशासन के दावों और सिस्टम पर करारा तमाचा जड़ते हुए गांववालों ने खुद ही सड़क बनाने का काम शुरू कर दिया. जिले के मानपुर ब्लॉक के खुरसेकला गांव में ग्रामीणों ने मिलकर 3 किलोमीटर की सड़क बनाने का जिम्मा खुद पर लिया है. यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि न तो बच्चे स्कूल जा पाते और न बीमार अस्पताल. इतना ही नहीं राशन के लिए भी कड़ी जद्दोजहद करनी पड़ती थी. अफसरों से विनती करते-करते जब ये गांववाले हार गए तो खुद ही रोड बनाना शुरू कर दिया.

ग्रामीणों ने खुद बनाई 3 किलोमीटर सड़क

गांव के लोगों को कई साल से इस सड़क पर आवाजाही करने में परेशानी हो रही थी. वहीं मानसून आने के लिए अब सिर्फ कुछ ही दिन बचे हैं, ऐसे में सड़क निर्माण की जरूरत को देखते हुए ग्रामीणों ने खुद ही श्रमदान शुरू किया. 5 दिन से सड़क निर्माण जारी है और लगभग पूरा होने वाला है.

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खुरसेकला के ग्रामीणों ने मिलकर बना ली सड़क

विधायक ने भी फेर लिया मुंह !

जिला मुख्यालय से 120 किलोमीटर दूर मानपुर ब्लॉक का खुरसेकला गांव आजादी के 70 सालों बाद भी आज मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. चाहे स्वास्थ्य सुविधा हो, पानी, बिजली, स्कूल या फिर सड़क. हर क्षेत्र में अभाव मुंह फैला कर खड़ा है. ग्रामीण कई दशक से शासन-प्रशासन को गांव की समस्याओं से अवगत करा रहें है, लेकिन जिम्मेदारों ने अब तक इनकी परेशानी पर कोई ध्यान नहीं दिया. क्षेत्रीय विधायक ने भी इस गांव की सुध नहीं ली. इसलिए ग्रामीण अब बारिश शुरू होने से पहले अपनी व्यवस्था खुद करने में लग गए और 3 किलोमीटर की सड़क श्रमदान से तैयार कर ली.

rajnandgaon villagers constructed road
बच्चों को स्कूल जाने से होती थी परेशानी

स्कूल नहीं जा पाते बच्चे

बारिश के दिनों में यह गांव पूरी तरह टापू में बदल जाता है. कोई बाहरी व्यक्ति इस गांव में नहीं आ सकता और न ही इस गांव का कोई व्यक्ति बाहर जा सकता है. पूरे बारिश के मौसम के दौरान बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि खराब रास्ते की वजह से गांव के स्कूल में कोई शिक्षक आने को तैयार नहीं होता. उनका कहना है कि मानपुर में स्कूल जाने के लिए लड़कों को दिक्कत नहीं होती, क्योंकि उनके लिए वहां छात्रावास की सुविधा है. परेशानियां लड़कियों के हिस्से में आती है जो 4-5 किलोमीटर चलकर इस रास्ते से गुजरती हैं.

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दशकों से कर रहे थे सड़क निर्माण की मांग

गांव तक नहीं पहुंचती एंबुलेंस

परेशानियां यहीं खत्म नहीं होती, अगर गांव की कोई गर्भवती महिला को प्रसव के लिए ले जाना पड़े, तो गांव से 3 किलोमीटर खाट में लिटाकर ले जाना पड़ता है. बारिश के दिनों में स्वास्थ्य विभाग की महतारी योजना के तहत चलने वाली गाड़ी यहां तक नहीं पहुंच पाती. ग्रामीण बताते हैं कि एंबुलेंस वाले गाड़ी गांव में नहीं लाते, यह कहते हुए कि रोड खराब है.

ग्रामीण बताते हैं कि उन्हें राशन लाने के लिए भी परेशानी होती है. 4-5 किलोमीटर पैदल या साइकल की मदद से ही राशन लाया जाता है. वहीं बारिश के समय जाने-आने में परेशानी होती है.

rajnandgaon villagers constructed road
ग्राम सभा गठन कर रोड निर्माण का लिया फैसला

'जल-जंगल-जमीन पर सिर्फ हमारा अधिकार'

जब जिम्मेदारों ने ग्रामीणों की इस समस्या का समाधान नहीं निकाला तो खुरसेकला गांव के ग्रामीणों ने ग्रामसभा में यह फैसला लिया कि अब वनांचल क्षेत्रों में जल, जंगल और जमीन पर केवल उनका ही अधिकार होगा. जानकारी के मुताबिक यहां 2017 में ग्रामसभा का गठन कर लिया गया था. अपने गांव को टापू नहीं बनने देने की जुगत में गांव के लोगों ने अपने श्रमदान से 3 किलोमीटर तक के सड़क का निर्माण कर डाली, जिससे सभी ग्रामवासी खुश हैं.

पढ़ें- कोरबा: बारिश से बर्बाद हुई सड़क की मरम्मत शुरू, सोशल डिस्टेंस के साथ करना होगा काम

सरकारें आती हैं और चली जाती हैं. तमाम चुनावी कार्ड्स खेलकर वादे करना और आदिवासी अंचल से वोट बटोरना ये नेता-मंत्रियों की पुरानी आदत है. चुनाव जीत जाने के बाद, सरकार बन जाने के बाद वनांचलों के ऐसे दुरस्थ क्षेत्रों में कोई जिम्मेदार झांकने भी नहीं जाता. सैकड़ों योजनाएं सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह जाती हैं. अपनी परेशानियों को लेकर हजार मिन्नतें करने के बाद जब ग्रामीणों का स्वाभिमान जागता है, तो ऐसी कई किलोमीटर की सड़कें बना दी जाती हैं. छत्तीसगढ़ से ये पहली तस्वीर ऐसी नहीं है कई बार ऐसी खबरें सामने आती हैं, जब गांववाले प्रशासन को आईना दिखा देते हैं.

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