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राजनांदगांव : यहां पड़े थे मां बम्लेश्वरी के कदम, ये है मान्यता - बगलामुखी माता मंदिर कहानी

जानिए, डोंगरगढ़ की मां बम्लेश्वरी के कदम पहले कहां पड़े थे और किस वजह से माता रानी इस जगह से नाराज होकर डोंगरगढ़ की पहाड़ी में विराजमान हो गईं.

बगलामुखी मां बम्लेश्वरी
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Published : Oct 6, 2019, 10:26 PM IST

राजनांदगांव : डोंगरगढ़ की मां बम्लेश्वरी की एक कहानी है, जो जिले के डोंगरगांव से जुड़ी है. कहा जाता है कि मां बम्लेश्वरी के कदम डोंगरगांव पर पड़े थे, तब से ही डोंगरगांव के लोगों की बगलामुखी मां बम्लेश्वरी के प्रति गहरी आस्था है.

जानिए, डोंगरगढ़ की मां बम्लेश्वरी के कदम पहले कहां पड़े थे

डोंगरगांव ब्लॉक के लोगों का मानना है कि बगलामुखी मां बम्लेश्वरी राजाओं के जमाने में डोंगरगांव से बरगांव की ओर जाने वाली बीटीआई के पास की जमीन पर मां के चरण पड़े थे.

  • सबसे पहले मां बम्लेश्वरी यहां पधारी थीं, लेकिन इस स्थान पर उनकी सेवा सत्कार सही तरीके से न होने की वजह से माता रानी नाराज होकर यहां से डोंगरगढ़ स्थित पहाड़ी पर विराजमान हो गईं.
  • लोगों का कहना है कि, राजाओं के जमाने में स्वप्न में आकर मां बम्लेश्वरी यहां पधारी थीं और यहां उनकी सेवा सत्कार की व्यवस्था को लेकर राजा के सपने में आकर माता ने सब कुछ बताया था.
  • रजवाड़ों ने इस मामले पर कोई ध्यान नहीं दिया, जिसके चलते मां बम्लेश्वरी यहां से नाराज होकर डोंगरगढ़ स्थित पहाड़ी में विराजमान हो गईं.

यहां प्रज्जवलित होती है मां के नाम की ज्योत
मां बम्लेश्वरी के नाराज होकर चले जाने के बाद से यहां के राजाओं के बुरे दिन शुरू हो गए. इस बात की जानकारी होने पर जिस जगह पर मां बम्लेश्वरी पधारी थीं, उस स्थान को सुरक्षित किया गया और फिर इसके बाद यहां पर मां के नाम की आस्था ज्योत प्रज्जवलित की गई. तब से लेकर आज तक यहां मां बम्लेश्वरी के नाम की ज्योत प्रज्जवलित की जाती है.

लोगों में इस स्थान को लेकर बड़ी आस्था है और आसपास के ग्रामीण चैत्र और क्वांर नवरात्र में बड़ी संख्या में यहां पर दर्शन करने पहुंचते हैं.

देखें- मुंगेली: एक ऐसा देवी मंदिर जहां 365 दिन जलती है अखंड ज्योति

डोंगरगढ़ में भी है यही परंपरा
डोंगरगांव के लोगों का कहना है कि, जिस तरीके से बगलामुखी मां बम्लेश्वरी के नाम की आस्था जो यहां पर प्रज्जवलित की जाती है. ठीक उसी तरह एक ज्योति कलश मां के नाम की डोंगरगढ़ में भी प्रज्जवलित की जाती है. ज्योति कलश को लेकर आसपास के लोगों में बड़ी मान्यता है और दोनों नवरात्रों में यहां ज्योति कलश प्रज्जवलित की जाती है.

राजनांदगांव : डोंगरगढ़ की मां बम्लेश्वरी की एक कहानी है, जो जिले के डोंगरगांव से जुड़ी है. कहा जाता है कि मां बम्लेश्वरी के कदम डोंगरगांव पर पड़े थे, तब से ही डोंगरगांव के लोगों की बगलामुखी मां बम्लेश्वरी के प्रति गहरी आस्था है.

जानिए, डोंगरगढ़ की मां बम्लेश्वरी के कदम पहले कहां पड़े थे

डोंगरगांव ब्लॉक के लोगों का मानना है कि बगलामुखी मां बम्लेश्वरी राजाओं के जमाने में डोंगरगांव से बरगांव की ओर जाने वाली बीटीआई के पास की जमीन पर मां के चरण पड़े थे.

  • सबसे पहले मां बम्लेश्वरी यहां पधारी थीं, लेकिन इस स्थान पर उनकी सेवा सत्कार सही तरीके से न होने की वजह से माता रानी नाराज होकर यहां से डोंगरगढ़ स्थित पहाड़ी पर विराजमान हो गईं.
  • लोगों का कहना है कि, राजाओं के जमाने में स्वप्न में आकर मां बम्लेश्वरी यहां पधारी थीं और यहां उनकी सेवा सत्कार की व्यवस्था को लेकर राजा के सपने में आकर माता ने सब कुछ बताया था.
  • रजवाड़ों ने इस मामले पर कोई ध्यान नहीं दिया, जिसके चलते मां बम्लेश्वरी यहां से नाराज होकर डोंगरगढ़ स्थित पहाड़ी में विराजमान हो गईं.

यहां प्रज्जवलित होती है मां के नाम की ज्योत
मां बम्लेश्वरी के नाराज होकर चले जाने के बाद से यहां के राजाओं के बुरे दिन शुरू हो गए. इस बात की जानकारी होने पर जिस जगह पर मां बम्लेश्वरी पधारी थीं, उस स्थान को सुरक्षित किया गया और फिर इसके बाद यहां पर मां के नाम की आस्था ज्योत प्रज्जवलित की गई. तब से लेकर आज तक यहां मां बम्लेश्वरी के नाम की ज्योत प्रज्जवलित की जाती है.

लोगों में इस स्थान को लेकर बड़ी आस्था है और आसपास के ग्रामीण चैत्र और क्वांर नवरात्र में बड़ी संख्या में यहां पर दर्शन करने पहुंचते हैं.

देखें- मुंगेली: एक ऐसा देवी मंदिर जहां 365 दिन जलती है अखंड ज्योति

डोंगरगढ़ में भी है यही परंपरा
डोंगरगांव के लोगों का कहना है कि, जिस तरीके से बगलामुखी मां बम्लेश्वरी के नाम की आस्था जो यहां पर प्रज्जवलित की जाती है. ठीक उसी तरह एक ज्योति कलश मां के नाम की डोंगरगढ़ में भी प्रज्जवलित की जाती है. ज्योति कलश को लेकर आसपास के लोगों में बड़ी मान्यता है और दोनों नवरात्रों में यहां ज्योति कलश प्रज्जवलित की जाती है.

Intro:राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ के लोगों की आस्था का केंद्र डोंगरगढ़ स्थित मां बमलेश्वरी कभी राजनांदगांव जिले के डोंगरगांव ब्लॉक मुख्यालय में पधारी थी आज भी उनके नाम की आस्था जो इस स्थान पर प्रचलित की जाती है लोगों में यह मान्यता है कि बांग्लामुखी मां बमलेश्वरी का आशीर्वाद आज भी उन्हें मिलता है इस कारण आसपास के हजारों लोग नवरात्रि के दौरान यहां पर आकर माथा टेकते हैं और अपनी मनोकामना पूरी करते हैं.


Body:डोंगरगांव ब्लॉक के लोगों का मानना है कि बांग्ला मुखी मां बमलेश्वरी राजाओं के जमाने में डोंगरगांव से बरगांव की ओर जाने वाली बीटीआई के पास की जमीन पर मां के चरण पड़े थे सबसे पहले मां बमलेश्वरी यहां पधारी थी लेकिन इस स्थान पर उनके सेवा सत्कार में कमी आने के चलते वह नाराज होकर यहां से डोंगरगढ़ स्थित पहाड़ी में विराजमान हो गई यहां के लोगों का यह कहना है कि राजाओं के जमाने में स्वप्न देकर मां बमलेश्वरी यहां पधारी थी और यहां उनके सेवा सत्कार की व्यवस्था को लेकर राजा के सपने में सब कुछ बताई थी इसके बाद रजवाड़ों ने इस मामले में कोई ध्यान नहीं दिया इसके चलते मां बमलेश्वरी यहां से नाराज होकर डोंगरगढ़ स्थित पहाड़ी में विराजमान हो गई.
यहां प्रचलित होती है मां के नाम की ज्योत
मां बमलेश्वरी के नाराज होकर चले जाने के बाद से यहां के राजाओं के उल्टे दिन भी शुरू हो गए तब इस बात की जानकारी होने पर जिस स्थान पर मां बम्लेश्वरी पधारी थी उस स्थान को सुरक्षित किया गया और फिर इसके बाद यहां पर मां के नाम की आस्था ज्योत प्रचलित की गई तब से लेकर आज तक यहां पर मां बम्लेश्वरी के नाम की आस्था जो प्रचलित की जाती है लोगों में इस स्थान को लेकर बड़ी मान्यता है और आसपास के ग्रामीण चैत और क्वांर नवरात्र में बड़ी संख्या में यहां पर दर्शन करने पहुंचते हैं।
डोंगरगढ़ में भी यही परंपरा
डोंगरगांव के लोगों का कहना है कि जिस तरीके से बांग्लामुखी मां बम्लेश्वरी के नाम की आस्था जो यहां पर प्रचलित की जाती है ठीक उसी तरह एक ज्योति कलश मां के नाम की डोंगरगढ़ में भी प्रज्वलित की जाती है। ज्योति कलश को लेकर आसपास के लोगों में बड़ी मान्यता है और मनोकामना के ज्योति कलश लगातार हर साल चैत व कुंवार नवरात्रि के दौरान लोग यहां प्रज्वलित करते हैं।



Conclusion:इसे भी संरक्षित करने की आवश्यकता
जिस तरीके से डोंगरगढ़ स्थित मां बम्लेश्वरी मंदिर की मान्यता है और यहां पर लोगों की बड़ी आस्था है ठीक उसी तरह यह भी मां बम्लेश्वरी का ही अंग है इस कारण इस स्थान को संरक्षित करने की आवश्यकता है आज भी जिस स्थान पर मां बम्लेश्वरी पधारी थी उस स्थान को लोगों ने सुरक्षित कर रखा है हालांकि पर्यटन एवं संस्कृति विभाग इस ओर ध्यान दें तो इस स्थान को बेहतर बनाया जा सकता है।
बाइट नरबदिया बाई स्थानीय निवासी
बाइट गोपीनाथ नंदेश्वर सदस्य मंदिर समिति
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