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Ambedkar jayanti : अंबेडकर के साथ मंच साझा करने वाले कन्हैयालाल, आज भी चला रहे आंदोलन - भीमराव अंबेडकर की बात

संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ.भीमराव अंबेडकर की जयंती देश भर में धूमधाम से मनाई जा रही है. संस्कारधानी राजनांदगांव में भी अंबेडकर जयंती के अवसर पर कई कार्यक्रम आयोजित किये गए . ईटीवी भारत ने 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर दीक्षाभूमि में, भीमराव अंबेडकर की बात से प्रभावित होकर मुहिम छेड़ने वाले कन्हैया लाल खोबरागड़े से बातचीत की.

Story of Kanhaiyalal Khobragade
अंबेडकर से मिलने वाले कन्हैयालाल खोबरागड़े
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Published : Apr 14, 2023, 7:05 PM IST

अंबेडकर से मिलने वाले कन्हैयालाल खोबरागड़े

राजनांदगांव : कन्हैया लाल खोबरागड़े ने बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के महान कार्यों का वर्णन किया है.खोबरागड़े ने बताया कि, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की विचारधारा और कार्यों से प्रभावित होकर प्रदेश स्तर में कई आंदोलन चले थे. अस्पृश्यता और पिछड़ेपन के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी गई. कन्हैया लाल खोबरागड़े का जन्म 11 मार्च 1939 को राजनांदगांव में हुआ. इनकी उम्र वर्तमान में 84 वर्ष है. खोबरगड़े 15 साल की उम्र से ही, बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की विचारधारा से प्रभावित होकर अस्पृश्यता के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं.

ऐतिहासिक आंदोलन में लिया हिस्सा : जिले के अंबागढ़ चौकी के कोरचा टोला में 4 मई 1966 को खोबरागड़े ने आंदोलन किया. इसके अलावा ग्राम साल्हे समेत अन्य ग्रामीण इलाकों में भी आंदोलन किए गए. 19 मई 1965 से धम्म कीर्ति बुद्ध विहार के फॉउंडर मेम्बर हैं. कन्हैयालाल खोबरागड़े ने बताया कि '' डॉक्टर भीमराव अंबेडकर 14 अक्टूबर सन 1956 में नागपुर दीक्षाभूमि में देखा था. जहां वह बौद्ध धर्म की दीक्षा लेने के लिए पहुंचे हुए थे. यहां लगभग 7 लाख लोग इकट्ठा हुए थे. मेरा सौभाग्य है कि बाबा साहब के परिवार के कई लोगों से भी मेरी भेंट हुई.

छात्रों के लिए सीख हैं बाबा साहब अंबेडकर : खोबरागड़े के मुताबिक ''बाबा साहब के जीवन चरित्र से प्रभावित होकर कोई भी सफलता की बुलंदी को पा सकता है. यदि एक विद्यार्थी उनसे सीखना चाहे तो, सतत प्रयत्न कर बाबा साहब अंबेडकर की तरह विद्वान हो सकता है. बाबासाहेब आंबेडकर एक विशाल वृक्ष की तरह थे. जिसके जद में आते ही ज्ञान प्रकाश के फल प्राप्त होता था. बाबा साहब से मिलने के बाद मैंने दृढ़ निश्चय कर लिया कि, मुझे थी बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के मिशन में अपना सहयोग देना है. डॉक्टर भीमराव अंबेडकर से प्रभावित होकर मैंने भी प्रदेश स्तर पर छुआछूत के खिलाफ कई आंदोलन चलाए. जिसमें मुझे सफलता भी हासिल हुई. एक बड़े तबके को छुआछूत जैसी समाजिक कुरीतियों से छुटकारा मिल पाया.''

ये भी पढ़ें- सीआरपीएफ जवानों ने संविधान निर्माता को किया याद

अंबेडकर के सिद्धांत पर चल रहे कन्हैयालाल खोबरागडे : इस उम्र में भी कन्हैयालाल बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के विचार धाराओं को लेकर काम कर रहे हैं. सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के साथ ही लोगों में अस्पृश्यता और पिछड़ेपन के खिलाफ जागरूक करने का कार्य कर रहे हैं. राजनांदगांव जिले सहित प्रदेश में भी उनके कई कार्य किए गए हैं. लगातार कार्य कर, अंबेडकर की विचारधाराओं को लोगों तक पहुंचाने का कार्य वह आज भी कर रहे हैं.

अंबेडकर से मिलने वाले कन्हैयालाल खोबरागड़े

राजनांदगांव : कन्हैया लाल खोबरागड़े ने बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के महान कार्यों का वर्णन किया है.खोबरागड़े ने बताया कि, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की विचारधारा और कार्यों से प्रभावित होकर प्रदेश स्तर में कई आंदोलन चले थे. अस्पृश्यता और पिछड़ेपन के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी गई. कन्हैया लाल खोबरागड़े का जन्म 11 मार्च 1939 को राजनांदगांव में हुआ. इनकी उम्र वर्तमान में 84 वर्ष है. खोबरगड़े 15 साल की उम्र से ही, बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की विचारधारा से प्रभावित होकर अस्पृश्यता के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं.

ऐतिहासिक आंदोलन में लिया हिस्सा : जिले के अंबागढ़ चौकी के कोरचा टोला में 4 मई 1966 को खोबरागड़े ने आंदोलन किया. इसके अलावा ग्राम साल्हे समेत अन्य ग्रामीण इलाकों में भी आंदोलन किए गए. 19 मई 1965 से धम्म कीर्ति बुद्ध विहार के फॉउंडर मेम्बर हैं. कन्हैयालाल खोबरागड़े ने बताया कि '' डॉक्टर भीमराव अंबेडकर 14 अक्टूबर सन 1956 में नागपुर दीक्षाभूमि में देखा था. जहां वह बौद्ध धर्म की दीक्षा लेने के लिए पहुंचे हुए थे. यहां लगभग 7 लाख लोग इकट्ठा हुए थे. मेरा सौभाग्य है कि बाबा साहब के परिवार के कई लोगों से भी मेरी भेंट हुई.

छात्रों के लिए सीख हैं बाबा साहब अंबेडकर : खोबरागड़े के मुताबिक ''बाबा साहब के जीवन चरित्र से प्रभावित होकर कोई भी सफलता की बुलंदी को पा सकता है. यदि एक विद्यार्थी उनसे सीखना चाहे तो, सतत प्रयत्न कर बाबा साहब अंबेडकर की तरह विद्वान हो सकता है. बाबासाहेब आंबेडकर एक विशाल वृक्ष की तरह थे. जिसके जद में आते ही ज्ञान प्रकाश के फल प्राप्त होता था. बाबा साहब से मिलने के बाद मैंने दृढ़ निश्चय कर लिया कि, मुझे थी बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के मिशन में अपना सहयोग देना है. डॉक्टर भीमराव अंबेडकर से प्रभावित होकर मैंने भी प्रदेश स्तर पर छुआछूत के खिलाफ कई आंदोलन चलाए. जिसमें मुझे सफलता भी हासिल हुई. एक बड़े तबके को छुआछूत जैसी समाजिक कुरीतियों से छुटकारा मिल पाया.''

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अंबेडकर के सिद्धांत पर चल रहे कन्हैयालाल खोबरागडे : इस उम्र में भी कन्हैयालाल बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के विचार धाराओं को लेकर काम कर रहे हैं. सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के साथ ही लोगों में अस्पृश्यता और पिछड़ेपन के खिलाफ जागरूक करने का कार्य कर रहे हैं. राजनांदगांव जिले सहित प्रदेश में भी उनके कई कार्य किए गए हैं. लगातार कार्य कर, अंबेडकर की विचारधाराओं को लोगों तक पहुंचाने का कार्य वह आज भी कर रहे हैं.

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