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खैरागढ़ में कोरोना से मरने वालों का अंतिम संस्कार कर रहे सफाईकर्मी - राजनांदगांव न्यूज

राजनांदगांव के खैरागढ़ पालिका के पांच कर्मचारी इन दिनों चर्चा में हैं. यह कर्मचारी कोरोना से होने वाले मौत के बाद शव का अंतिम संस्कार करने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. ऐसे समय में सफाईकर्मी पूरे निष्ठा भाव से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर असली कोरोना वॉरियर्स की भूमिका निभा रहे हैं.

कोरोना मृतकों का अंतिम संस्कार
कोरोना से मरने वालों का अंतिम संस्कार कर रहे सफाईकर्मी
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Published : Apr 26, 2021, 6:06 PM IST

खैरागढ़/राजनांदगांवः संगीत नगरी खैरागढ़ कोरोना महामारी के संक्रमण से बुरी तरह बेहाल है. कोविड-19 संक्रमण ने शहर में बीते सालभर में 47 लोगों की जान ले ली है. वहीं केवल अप्रैल माह के 24 दिनों में 35 लोगों की जान कोरोना संक्रमण से हुई है. यह आंकड़े बेहद दुखदायी हैं. खैरागढ़ कोरोना की त्रासदी से कराह रहा है. रोजाना हो रही मौत की खबरों से यहां के निवासी विचलित हैं. इन विषम स्थितियों में जब लोग कोरोना के डर से अपने घरों से भी नहीं निकल रहे हैं. ऐसे में पालिका के कुछ सफाई कर्मचारी लोगों के लिए मिशाल बन रहे हैं. ये कर्मचारी कोरोना से मरने वाले लोगों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. इनकी निष्ठा देखकर लोग इनकी प्रसंसा कर रहे हैं. ये वास्तव में कोरोना वॉरियर्स की भूमिका अदा कर रहे हैं.

परिवार के सदस्य की तरह कर रहे मदद

नगर में कोरोना से होने वाले मौत के बाद पालिका कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर निरंतर सेवा दे रहे हैं. यह कर्मचारी कोरोना संक्रमितों की मौत के बाद अंतिम संस्कार करने की जिम्मेदारी उठाए हुए हैं. इनकी मदद से परिजन मृतकों का अंतिम संस्कार कर पा रहे हैं. पालिका में पदस्थ प्रभारी सुपरवाइजर पंचलाल डग्गर के साथ सफाई कर्मी मुकेश सोनटक्के, दुर्गेश कुलदीप, आकाश शेन्द्रे और सोनू डग्गर अपनी सेवाओं से लोगों पर अपनी छाप छोड़ रहे हैं. इनमें मुकेश को छोडक़र शेष कर्मचारी परमानेंट भी नहीं हैं. कॉन्ट्रैक्ट पर काम करते हुए भी ये कर्मचारी अपने काम से लोगों की प्रसंशा बटोर रहे हैं.

क्या अस्पताल ही बन रहे कोरोना के सुपर स्प्रेडर ?

अब तक 47 लोगों का कर चुके हैं अंतिम संस्कार

अब तक इन्होंने नगर में 47 लोगों का अंतिम संस्कार किया है. वहीं कोरोना की दूसरी लहर में 1 अप्रैल से लेकर 24 अप्रैल तक, इन्होंने 35 संक्रमितों की लाशों को परिवार के सदस्य की तरह ही मुक्तिधाम तक पहुंचाया है. अंतिम संस्कार के लिए शव को चिता पर लिटाया है और मुखाग्रि देने से लेकर मृतकों के परिजनों को पूरी तरह सुरक्षित सैनिटाइज कर घर वापस भेजे हैं. यह सब ऐसे दौर में कर रहे हैं, जब कोरोना संक्रमित के मौत के बाद परिवार के सदस्य चेहरा तक नहीं देख पा रहे हैं. परिवार के लोग शव को कांधा भी नहीं दे पा रहे. लेकिन समाज में कहीं उपेक्षित रहे, इन सफाई कर्मियों ने इस वैश्विक महामारी के विपरीत और गंभीर समय में अपनी बड़ी भूमिका निभाई है.

खैरागढ़/राजनांदगांवः संगीत नगरी खैरागढ़ कोरोना महामारी के संक्रमण से बुरी तरह बेहाल है. कोविड-19 संक्रमण ने शहर में बीते सालभर में 47 लोगों की जान ले ली है. वहीं केवल अप्रैल माह के 24 दिनों में 35 लोगों की जान कोरोना संक्रमण से हुई है. यह आंकड़े बेहद दुखदायी हैं. खैरागढ़ कोरोना की त्रासदी से कराह रहा है. रोजाना हो रही मौत की खबरों से यहां के निवासी विचलित हैं. इन विषम स्थितियों में जब लोग कोरोना के डर से अपने घरों से भी नहीं निकल रहे हैं. ऐसे में पालिका के कुछ सफाई कर्मचारी लोगों के लिए मिशाल बन रहे हैं. ये कर्मचारी कोरोना से मरने वाले लोगों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. इनकी निष्ठा देखकर लोग इनकी प्रसंसा कर रहे हैं. ये वास्तव में कोरोना वॉरियर्स की भूमिका अदा कर रहे हैं.

परिवार के सदस्य की तरह कर रहे मदद

नगर में कोरोना से होने वाले मौत के बाद पालिका कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर निरंतर सेवा दे रहे हैं. यह कर्मचारी कोरोना संक्रमितों की मौत के बाद अंतिम संस्कार करने की जिम्मेदारी उठाए हुए हैं. इनकी मदद से परिजन मृतकों का अंतिम संस्कार कर पा रहे हैं. पालिका में पदस्थ प्रभारी सुपरवाइजर पंचलाल डग्गर के साथ सफाई कर्मी मुकेश सोनटक्के, दुर्गेश कुलदीप, आकाश शेन्द्रे और सोनू डग्गर अपनी सेवाओं से लोगों पर अपनी छाप छोड़ रहे हैं. इनमें मुकेश को छोडक़र शेष कर्मचारी परमानेंट भी नहीं हैं. कॉन्ट्रैक्ट पर काम करते हुए भी ये कर्मचारी अपने काम से लोगों की प्रसंशा बटोर रहे हैं.

क्या अस्पताल ही बन रहे कोरोना के सुपर स्प्रेडर ?

अब तक 47 लोगों का कर चुके हैं अंतिम संस्कार

अब तक इन्होंने नगर में 47 लोगों का अंतिम संस्कार किया है. वहीं कोरोना की दूसरी लहर में 1 अप्रैल से लेकर 24 अप्रैल तक, इन्होंने 35 संक्रमितों की लाशों को परिवार के सदस्य की तरह ही मुक्तिधाम तक पहुंचाया है. अंतिम संस्कार के लिए शव को चिता पर लिटाया है और मुखाग्रि देने से लेकर मृतकों के परिजनों को पूरी तरह सुरक्षित सैनिटाइज कर घर वापस भेजे हैं. यह सब ऐसे दौर में कर रहे हैं, जब कोरोना संक्रमित के मौत के बाद परिवार के सदस्य चेहरा तक नहीं देख पा रहे हैं. परिवार के लोग शव को कांधा भी नहीं दे पा रहे. लेकिन समाज में कहीं उपेक्षित रहे, इन सफाई कर्मियों ने इस वैश्विक महामारी के विपरीत और गंभीर समय में अपनी बड़ी भूमिका निभाई है.

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