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राजनांदगांव में 10 साल से वनवास काट रही कांग्रेस को मिलेगी जीत या फिर हैट्रिक बनाएगी भाजपा

राजनांदगांव लोकसभा चुनाव में इस बार भाजपा-कांग्रेस में सीधी टक्कर दिखाई दे रही है.

राजनांदगांव लक्साभा सीट पर राजनीतिक विश्लेषण
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Published : Apr 5, 2019, 11:46 AM IST

राजनांदगांव : राजनांदगांव लोकसभा चुनाव में इस बार भाजपा-कांग्रेस में सीधी टक्कर दिखाई दे रही है. एक और जहां कांग्रेस 10 साल से इस लोकसभा सीट पर कब्जा जमाने के लिए तरस रही है. वहीं भाजपा इस सीट पर इस बार भी हैट्रिक जमाने की फिराक में है.

वर्तमान में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी के संगठन इस सीट पर अपना कब्जा जमाने के लिए राजनीतिक गुणा भाग लगा रहे हैं. वहीं प्रचार-प्रसार में दोनों ही प्रत्याशियों ने अपनी ताकत झोंक रखी है. बता दें कि लोकसभा चुनाव में अब तक राजनांदगांव लोकसभा सीट से कांग्रेस ने सन् 1957 से लेकर अब तक 9 बार अपना कब्जा जमाया है. वहीं भाजपा ने केवल 6 बार इस सीट पर विजय दर्ज की. सन् 1989 में धर्मपाल से गुप्ता ने पहली बार भाजपा को राजनांदगांव लोकसभा सीट से जीत दिलाई थी. हालांकि राजनांदगांव लोकसभा सीट पर कांग्रेस का परचम सर्वाधिक लहराया है, लेकिन पिछले एक दशक से लगातार इस सीट पर भाजपा बड़ी लीड के साथ जीत दर्ज कर रही है.

भाजपा का बढ़ा वोट परसेंट
साल 2009 में भाजपा से मधुसूदन यादव ने तकरीबन एक लाख 19071 वोटों से जीत दर्ज की थी. इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह ने 235910 वोटों से जीत दर्ज की थी. इस लिहाज से भाजपा का वोट परसेंट लगातार बढ़ता गया और लीड भी लगातार बढ़ती गई. इससे कांग्रेस इस सीट पर एक दशक से जीत हासिल नहीं कर पाई. वर्तमान में कांग्रेस इस सीट पर जीत दर्ज करना चाह रही है, लेकिन इस बार भी भाजपा ने तमाम समीकरणों को हटाते हुए एक नए चेहरे को मौका देकर कांग्रेस के सामने फिर से मुश्किलें खड़ी कर दी है, लेकिन कांग्रेस इस बार अपने पूर्व विधायक भोलाराम साहू पर दांव लगा कर साहू समीकरण को देखते हुए इस सीट पर जीत को लेकर आश्वस्त है.

कांग्रेस के पास मौका, भाजपा के पास चुनौती
वर्तमान राजनीतिक समीकरण को देखे, तो स्पष्ट पता चलता है कि भाजपा के सामने राजनांदगांव लोकसभा सीट बचाने की चुनौती है. वहीं कांग्रेस के पास इस बार एक बड़ा मौका है. राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें, तो वर्तमान में कांग्रेस ने जिस तरह से विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन किया है. उनमें राजनांदगांव लोकसभा की 8 विधानसभा सीटों में केवल एक सीट पर ही भाजपा जीत पाई है. वहीं 6 सीटों पर कांग्रेस को जीत हासिल हुई है. खैरागढ़ विधानसभा सीट की बात करें, तो जेसीसीजे प्रत्याशी के खाते में गई या इस सीट पर पूर्व में कांग्रेस में रहे नेता देवव्रत सिंह विधायक हैं और विगत दिनों कांग्रेस प्रत्याशी ने उनसे समर्थन भी मांगा है. इस लिहाज से माना जा रहा है कि कांग्रेस का राजनांदगांव लोकसभा सीट पर जीत का समीकरण काफी मजबूत है.

भाजपा के पास सीट को बचाए रखने की चुनौती
भाजपा के पास राजनांदगांव लोकसभा सीट पर एक दशक से बड़ी लीड होने के बाद भी इस सीट को बचाए रखने की बड़ी चुनौती सामने है. वरिष्ठ पत्रकार परमानंद रजक का मानना है कि इस बार कांग्रेस के लिए बेहतर अवसर है, जिस तरीके से विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सफलता हासिल की है.

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राजनांदगांव : राजनांदगांव लोकसभा चुनाव में इस बार भाजपा-कांग्रेस में सीधी टक्कर दिखाई दे रही है. एक और जहां कांग्रेस 10 साल से इस लोकसभा सीट पर कब्जा जमाने के लिए तरस रही है. वहीं भाजपा इस सीट पर इस बार भी हैट्रिक जमाने की फिराक में है.

वर्तमान में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी के संगठन इस सीट पर अपना कब्जा जमाने के लिए राजनीतिक गुणा भाग लगा रहे हैं. वहीं प्रचार-प्रसार में दोनों ही प्रत्याशियों ने अपनी ताकत झोंक रखी है. बता दें कि लोकसभा चुनाव में अब तक राजनांदगांव लोकसभा सीट से कांग्रेस ने सन् 1957 से लेकर अब तक 9 बार अपना कब्जा जमाया है. वहीं भाजपा ने केवल 6 बार इस सीट पर विजय दर्ज की. सन् 1989 में धर्मपाल से गुप्ता ने पहली बार भाजपा को राजनांदगांव लोकसभा सीट से जीत दिलाई थी. हालांकि राजनांदगांव लोकसभा सीट पर कांग्रेस का परचम सर्वाधिक लहराया है, लेकिन पिछले एक दशक से लगातार इस सीट पर भाजपा बड़ी लीड के साथ जीत दर्ज कर रही है.

भाजपा का बढ़ा वोट परसेंट
साल 2009 में भाजपा से मधुसूदन यादव ने तकरीबन एक लाख 19071 वोटों से जीत दर्ज की थी. इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह ने 235910 वोटों से जीत दर्ज की थी. इस लिहाज से भाजपा का वोट परसेंट लगातार बढ़ता गया और लीड भी लगातार बढ़ती गई. इससे कांग्रेस इस सीट पर एक दशक से जीत हासिल नहीं कर पाई. वर्तमान में कांग्रेस इस सीट पर जीत दर्ज करना चाह रही है, लेकिन इस बार भी भाजपा ने तमाम समीकरणों को हटाते हुए एक नए चेहरे को मौका देकर कांग्रेस के सामने फिर से मुश्किलें खड़ी कर दी है, लेकिन कांग्रेस इस बार अपने पूर्व विधायक भोलाराम साहू पर दांव लगा कर साहू समीकरण को देखते हुए इस सीट पर जीत को लेकर आश्वस्त है.

कांग्रेस के पास मौका, भाजपा के पास चुनौती
वर्तमान राजनीतिक समीकरण को देखे, तो स्पष्ट पता चलता है कि भाजपा के सामने राजनांदगांव लोकसभा सीट बचाने की चुनौती है. वहीं कांग्रेस के पास इस बार एक बड़ा मौका है. राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें, तो वर्तमान में कांग्रेस ने जिस तरह से विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन किया है. उनमें राजनांदगांव लोकसभा की 8 विधानसभा सीटों में केवल एक सीट पर ही भाजपा जीत पाई है. वहीं 6 सीटों पर कांग्रेस को जीत हासिल हुई है. खैरागढ़ विधानसभा सीट की बात करें, तो जेसीसीजे प्रत्याशी के खाते में गई या इस सीट पर पूर्व में कांग्रेस में रहे नेता देवव्रत सिंह विधायक हैं और विगत दिनों कांग्रेस प्रत्याशी ने उनसे समर्थन भी मांगा है. इस लिहाज से माना जा रहा है कि कांग्रेस का राजनांदगांव लोकसभा सीट पर जीत का समीकरण काफी मजबूत है.

भाजपा के पास सीट को बचाए रखने की चुनौती
भाजपा के पास राजनांदगांव लोकसभा सीट पर एक दशक से बड़ी लीड होने के बाद भी इस सीट को बचाए रखने की बड़ी चुनौती सामने है. वरिष्ठ पत्रकार परमानंद रजक का मानना है कि इस बार कांग्रेस के लिए बेहतर अवसर है, जिस तरीके से विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सफलता हासिल की है.

Intro:राजनांदगांव लोकसभा चुनाव में इस बार भाजपा कांग्रेस दोनों ही पार्टी में सीधी टक्कर दिखाई दे रही एक और जहां कांग्रेस 10 साल से इस लोकसभा सीट पर कब्जा जमाने को तरस रही है वही भाजपा इस सीट पर इस बार हैट्रिक जमाने के फिराक में है. वर्तमान में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी के संगठन इस सीट पर अपना कब्जा जमाने के लिए राजनीतिक गुणा भाग लगा रहे वहीं प्रचार प्रसार में दोनों ही प्रत्याशियों ने अपनी ताकत झोंक रखी है।


Body:बता दें कि लोकसभा चुनाव में अब तक राजनांदगांव लोकसभा सीट से कांग्रेस ने सन 1957 से लेकर अब तक 9 बार अपना कब्जा जमाया है वहीं भाजपा ने केवल 6 बार इस सीट पर विजय दर्ज की है सन 1989 में धर्मपाल से गुप्ता ने पहली बार भाजपा को राजनांदगांव लोकसभा सीट से भाजपा को जीत दिलाई थी हालांकि राजनांदगांव लोकसभा सीट पर कांग्रेस का परचम सर्वाधिक बार लहराया है लेकिन पिछले एक दशक से लगातार इस सीट पर भाजपा बड़ी लीड के साथ जीत दर्ज कर रही है सन 2009 में भाजपा से मधुसूदन यादव ने तकरीबन एक लाख 19071 वोटों से जीत दर्ज की थी इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के सुपुत्र अभिषेक सिंह ने 235910 वोटों से जीत दर्ज की थी। इस लिहाज से भाजपा का वोट परसेंट लगातार बढ़ता गया और लीड भी लगातार बढ़ती गई इससे कांग्रेस सीट पर एक दशक से जीत हासिल नहीं कर पाई। वर्तमान में कांग्रेस इस सीट पर जीत दर्ज करना चाह रही है लेकिन इस बार भी भाजपा ने तमाम समीकरणों को हटाते हुए एक नए चेहरे को मौका देकर कांग्रेस के सामने फिर से मुश्किलें खड़ी कर दी है लेकिन कांग्रेस इस बार अपने पूर्व विधायक भोलाराम साहू पर दाव लगा कर साहू समीकरण को देखते हुए इस सीट पर जीत को लेकर आश्वस्त है।
कांग्रेस के पास मौका भाजपा के पास चुनौती
वर्तमान राजनीतिक समीकरण को देखे तो स्पष्ट पता चलता है कि भाजपा के सामने राजनांदगांव लोकसभा सीट बचाने की चुनौती है वहीं कांग्रेस के पास इस बार एक बड़ा मौका है राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो वर्तमान में कांग्रेस ने जिस तरह से विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन किए हैं उनमें राजनांदगांव लोकसभा की 8 विधानसभा सीटों में केवल एक सीट पर ही भाजपा जीत पाई है वही 6 सीटों पर कांग्रेस को जीत हासिल हुई है खैरागढ़ विधानसभा सीट की बात करें तो जेसीसी प्रत्याशी के खाते में गई या सीट पर पूर्व में कांग्रेसमें रहे नेता देवव्रत सिंह विधायक हैं और विगत दिनों कांग्रेस प्रत्याशी ने उनसे समर्थन भी मांगा है इस लिहाज से माना जा रहा है कि कांग्रेस का राजनांदगांव लोकसभा सीट पर जीत का समीकरण काफी मजबूत है वहीं भाजपा के पास राजनांदगांव लोकसभा सीट पर एक दशक से बड़ी लीड होने के बाद भी इस सीट को बचाए रखने की बड़ी चुनौती सामने है। वरिष्ठ पत्रकार परमानंद रजक का मानना है कि इस बार कांग्रेस के लिए बेहतर अवसर है जिस तरीके से विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन में कांग्रेस ने काफी सफलता हासिल की है इस लिहाज से इस बार राजनांदगांव लोकसभा पर भी कांग्रेस का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है हालांकि भाजपा का एक दशक से इस सीट पर कब्जा है इस लिहाज से वह भी पूरी ताकत के साथ यह चुनाव लड़ेगी।



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