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राजनांदगांव: नक्सल हिंसा पीड़ितों को 10 साल बाद भी नहीं मिली मदद, किया कलेक्ट्रेट का घेराव

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Published : Jan 21, 2020, 3:09 AM IST

Updated : Jan 21, 2020, 8:22 AM IST

नक्सल हिंसा से पीड़ित तकरीबन 25 परिवार के सदस्यों ने कलेक्टोरेट का घेराव किया. परिवार के सदस्यों की मांग है कि पिछले 10 साल से जिला प्रशासन ने उन्हें छत्तीसगढ़ पुनर्वास नीति के तहत दी जाने वाली सुविधाओं में कोताही बरती है.

नक्सल हिंसा पीड़ितों को 10 साल बाद भी नहीं मिली मदद
नक्सल हिंसा पीड़ितों को 10 साल बाद भी नहीं मिली मदद

राजनांदगांव: नक्सल हिंसा से पीड़ित परिवारों ने एक बार फिर जिला प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कई बार आवेदन-निवेदन के बाद भी नक्सल हिंसा से पीड़ित परिवारों को छत्तीसगढ़ नक्सल हिंसा पीड़ित पुनर्वास नीति के तहत मिलने वाली सुविधाएं नहीं मिल पाई है. जिला पंचायत की लापरवाही के चलते अब तक पीड़ित परिवार के सदस्यों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस बात से आक्रोशित परिवार के सदस्यों ने सोमवार को कलेक्टोरेट का घेराव करते हुए प्रशासन से पिछले 10 साल से लगातार हो रहे नुकसान की भरपाई की मांग रखी है.

बता दें कि जिले में नक्सल हिंसा से पीड़ित तकरीबन 25 परिवार के सदस्यों ने कलेक्टोरेट का घेराव किया. परिवार के सदस्यों की मांग है कि पिछले 10 साल से जिला प्रशासन ने उन्हें छत्तीसगढ़ पुनर्वास नीति के तहत दी जाने वाली सुविधाओं में कोताही बरती है. इसके चलते अब आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं. लगातार 10 साल तक सुविधाओं से वंचित होने के कारण वे कर्ज लेकर के जीवन यापन कर रहे हैं और इसके साथ ही कई तरीके की परेशानी से जूझ रहे हैं. हालांकि हाईकोर्ट के आदेश के बाद पीड़ित परिवारों को कुछ हद तक सुविधाएं मुहैया कराई गई है, लेकिन पिछले 10 साल से प्रशासन ने जो लापरवाही बरती उसका खामियाजा आज भी पीड़ित परिवार के सदस्य उठा रहे हैं. इस बात को लेकर के सदस्यों ने जिला प्रशासन के अफसरों के सामने मांग रखी है कि उन्हें 10 साल से हुए नुकसान की भरपाई की जाए.

दाने-दाने को मोहताज है परिवार
नक्सल हिंसा से पीड़ित परिवार के सदस्य दाने-दाने को मोहताज हैं. पिछले 10 से 15 सालों में उनकी स्थिति काफी खराब हुई है. इसके चलते हुए कर्ज से लग चुके हैं और उनकी हालत खस्ता हो चुकी है. बावजूद इसके जिला प्रशासन के अफसरों ने पीड़ित परिवार के सदस्यों को बड़ी राहत देने में काफी कोताही बरती है, जो जांच का भी विषय है. नक्सल हिंसा से पीड़ित परिवार के सदस्य धीरेंद्र कुमार का कहना है कि 'जब तक जिला प्रशासन के अफसर पीड़ित परिवारों को 10 साल में हुई आर्थिक क्षति की भरपाई नहीं करेंगे तब तक वे शासन-प्रशासन के सामने विरोध प्रकट करते रहेंगे'.

राजनांदगांव: नक्सल हिंसा से पीड़ित परिवारों ने एक बार फिर जिला प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कई बार आवेदन-निवेदन के बाद भी नक्सल हिंसा से पीड़ित परिवारों को छत्तीसगढ़ नक्सल हिंसा पीड़ित पुनर्वास नीति के तहत मिलने वाली सुविधाएं नहीं मिल पाई है. जिला पंचायत की लापरवाही के चलते अब तक पीड़ित परिवार के सदस्यों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस बात से आक्रोशित परिवार के सदस्यों ने सोमवार को कलेक्टोरेट का घेराव करते हुए प्रशासन से पिछले 10 साल से लगातार हो रहे नुकसान की भरपाई की मांग रखी है.

बता दें कि जिले में नक्सल हिंसा से पीड़ित तकरीबन 25 परिवार के सदस्यों ने कलेक्टोरेट का घेराव किया. परिवार के सदस्यों की मांग है कि पिछले 10 साल से जिला प्रशासन ने उन्हें छत्तीसगढ़ पुनर्वास नीति के तहत दी जाने वाली सुविधाओं में कोताही बरती है. इसके चलते अब आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं. लगातार 10 साल तक सुविधाओं से वंचित होने के कारण वे कर्ज लेकर के जीवन यापन कर रहे हैं और इसके साथ ही कई तरीके की परेशानी से जूझ रहे हैं. हालांकि हाईकोर्ट के आदेश के बाद पीड़ित परिवारों को कुछ हद तक सुविधाएं मुहैया कराई गई है, लेकिन पिछले 10 साल से प्रशासन ने जो लापरवाही बरती उसका खामियाजा आज भी पीड़ित परिवार के सदस्य उठा रहे हैं. इस बात को लेकर के सदस्यों ने जिला प्रशासन के अफसरों के सामने मांग रखी है कि उन्हें 10 साल से हुए नुकसान की भरपाई की जाए.

दाने-दाने को मोहताज है परिवार
नक्सल हिंसा से पीड़ित परिवार के सदस्य दाने-दाने को मोहताज हैं. पिछले 10 से 15 सालों में उनकी स्थिति काफी खराब हुई है. इसके चलते हुए कर्ज से लग चुके हैं और उनकी हालत खस्ता हो चुकी है. बावजूद इसके जिला प्रशासन के अफसरों ने पीड़ित परिवार के सदस्यों को बड़ी राहत देने में काफी कोताही बरती है, जो जांच का भी विषय है. नक्सल हिंसा से पीड़ित परिवार के सदस्य धीरेंद्र कुमार का कहना है कि 'जब तक जिला प्रशासन के अफसर पीड़ित परिवारों को 10 साल में हुई आर्थिक क्षति की भरपाई नहीं करेंगे तब तक वे शासन-प्रशासन के सामने विरोध प्रकट करते रहेंगे'.

Intro:राजनांदगांव जिले के नक्सल हिंसा से पीड़ित परिवारों ने एक बार फिर जिला प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है कई बार आवेदन निवेदन के बाद भी नक्सल हिंसा से पीड़ित परिवारों को छत्तीसगढ़ नक्सल हिंसा पीड़ित पुनर्वास नीति के तहत मिलने वाली सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं जिला पंचायत की लापरवाही के चलते अब तक पीड़ित परिवार के सदस्यों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है इस बात से आक्रोशित परिवार के सदस्यों ने आज कलेक्टोरेट का घेराव करते हुए प्रशासन से पिछले 10 साल से लगातार हो रहे नुकसान की भरपाई की मांग रखी है।

Body:बता दें कि जिले में नक्सल हिंसा से पीड़ित तकरीबन 25 परिवार के सदस्यों ने आज कलेक्टोरेट का घेराव किया परिवार के सदस्यों की मांग है कि पिछले 10 साल से जिला प्रशासन ने उन्हें छत्तीसगढ़ पुनर्वास नीति के तहत दी जाने वाली सुविधाओं में कोताही बरती है इसके चलते अब आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं लगातार 10 साल तक सुविधाओं से वंचित होने के कारण वे कर्ज लेकर के जीवन यापन कर रहे हैं और इसके साथ ही कई तरीके की परेशानी से जूझ रहे हैं हालांकि हाईकोर्ट के आदेश के बाद पीड़ित परिवारों को कुछ हद तक सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं लेकिन पिछले 10 साल से प्रशासन ने जो लापरवाही बरती उसका खामियाजा आज भी पीड़ित परिवार के सदस्य उठा रहे हैं इस बात को लेकर के सदस्यों ने जिला प्रशासन के अफसरों के सामने मांग रखी है कि उन्हें 10 साल से हुए नुकसान की भरपाई की जाए।

Conclusion:दाने-दाने को मोहताज है पीड़ित
नक्सल हिंसा से पीड़ित परिवार के सदस्य दाने-दाने को मोहताज हैं पिछले 10 से 15 सालों में उनकी स्थिति काफी खराब हुई है इसके चलते हुए कर्ज से लग चुके हैं और उनकी हालत खस्ता हो चुकी है बावजूद इसके जिला प्रशासन के अफसरों ने पीड़ित परिवार के सदस्यों को बड़ी राहत देने में काफी कोताही बढ़ती है यह जांच का भी विषय है। नक्सल हिंसा से पीड़ित परिवार के सदस्य धीरेंद्र कुमार का कहना है कि जब तक जिला प्रशासन के अफसर पीड़ित परिवारों को 10 साल में हुई आर्थिक क्षति की भरपाई नहीं करेंगे तब तक वे शासन प्रशासन के सामने विरोध प्रकट करते रहेंगे।

बाइट धीरेंद्र कुमार नक्सल हिंसा पीड़ित परिवार के सदस्य
Last Updated : Jan 21, 2020, 8:22 AM IST
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