राजनांदगांव: संस्कारधानी कहे जाने वाले राजनांदगांव शहर में बॉलीवुड के मशहूर संगीतकार कल्याण सेन पहुंचे. यहां उन्होंने एक निजी कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुति दी. इस दौरान कल्याण सेन से ETV भारत ने बातचीत की. बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि संगीत नगरी खैरागढ़ से बॉलीवुड के संगीत का गहरा नाता रहा है. लता मंगेशकर से लेकर कई जाने-माने कलाकार राजनांदगांव जिले से जुड़ाव रखते हैं.
ETV भारत से विशेष चर्चा करते हुए उन्होंने वर्तमान के संगीत और गायकों को लेकर कहा कि रियलिटी शो के जरिए आने वाले कलाकार ज्यादा दिन तक बॉलीवुड में नहीं दिख रहे हैं. इसके पीछे बड़ा कारण है. उन्होंने कहा कि भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. लेकिन उस प्रतिभा को निखारने की जरूरत है. रियालिटी शो में कुछ भी रीयल नहीं होता. रियलिटी शो के जरिए स्पॉन्सर अपना व्यापार करते हैं. लेकिन शो में आने वाले टैलेंट को लेकर कोई सही गाइडलाइन नहीं होती. संगीत को जब तक शुरू से न सीखा जाए, तब तक संगीत दिल में नहीं उतरता. उन्होंने कहा कि रियलिटी शो के जरिए कुछ भी रीयल नहीं दिखाया जा रहा है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि एक वक्त में अभिजीत सावंत रियालिटी शो के जरिए बड़े गायक बन कर उभर कर सामने आए. लेकिन आज उनकी हालत संगीत के क्षेत्र में ठीक नहीं है. ऐसी ही स्थिति कई उभरते हुए कलाकारों के साथ भी है.
राजनांदगांव: खनिज रॉयल्टी नीतियों के खिलाफ ठेकेदारों ने खोल मोर्चा
अब के गानों में सुर ताल की कमी: कल्याण सेन
उन्होंने नए और पुराने संगीत की तुलना करते हुए कहा कि वर्तमान में जो संगीत बन रहे हैं, वह केवल उनके सुरों में बन रहे हैं. आवाज में हरकतें और लयबद्ध संगीत सुरताल को लेकर कई खामियां हैं. लेकिन भीड़ की चाल में सब कुछ चल रहा है. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि रियलिटी शो के जरिए पीछे के दरवाजे से सब कुछ तय किया जा रहा है. जबकि सही संगीत को सीखने के लिए अच्छे उस्तादों के पास जाकर साधना करनी पड़ती है.
पुराने संगीत सुर और ताल से सधे होते थे
कल्याण सेन ने कहा कि वर्तमान के संगीत में काफी बदलाव है. पुराने जमाने को याद करते हुए उन्होंने कहा कि, पुराने संगीत सुर और ताल में सधे हुए होते थे. समय के साथ बदलाव होते गए और सुर ताल के अलावा अब नाचने गाने पर ज्यादा फोकस कर दिया गया है. एक समय तो ऐसा आया जब कांटा लगा जैसे गाने भी आने लगे. समय के साथ लगातार बदलाव आता रहा और संगीत में भी कई उतार-चढ़ाव आते रहे. बावजूद इसके उनका कहना है कि संगीत एक साधना है और इसे सुर और ताल से ही सजाया जा सकता है.