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SPECIAL : कोरोना संकट में राजनांदगांव के मजदूर दाने-दाने को मोहताज, सत्ता और सिस्टम ने भी मुंह फेरा

बढ़ते कोरोना मरीजों के कारण राजनांदगांव के लखोली इलाके को कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है. श्रमिक बाहुल्य इलाका लखोली जहां के मजदूर शहर के तकरीबन हर प्रतिष्ठान में अपनी सेवाएं देते हैं. लेकिन आज ये मजदूर परिवार दाने दाने को मोहताज है. ना ही कोई सरकारी मदद मिल रही है और ना ही कोई नेता इनकी सुध लेने अब तक यहां पहुंचा है.

laborers OF Lakholi not getting work
दाने-दाने को मोहताज मजदूर परिवार
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Published : Aug 1, 2020, 8:12 PM IST

Updated : Aug 1, 2020, 8:34 PM IST

राजनांदगांव : शहर का श्रमिक बाहुल्य इलाका लखोली जहां के मजदूर शहर के तकरीबन हर व्यवसायिक प्रतिष्ठान में अपनी सेवाएं देते हैं. या यूं कहें कि लखोली इलाके के मजदूरों की बदौलत शहर का बड़ा से बड़ा और छोटे से छोटा व्यापार चलता है. यहां से मिलने वाली मैन पावर की बदौलत पूरा शहर आर्थिक रूप से पटरी पर दौड़ता है. यहां के मजदूर व्यापारियों से लेकर उद्योगपतियों तक के लिए कड़ी मेहनत और मशक्कत करते हैं. लेकिन आज ये मजदूर परिवार के साथ दाने-दाने को मोहताज हो रहे हैं. ना ही मजदूरों को शहर में कहीं काम मिल पा रहा है और ना ही कोई सरकारी मदद. यहां तक की कोई नेता भी यहां पर झांकने नहीं जा रहा है.

बेहाल मजदूर परिवार

लखोली में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैला और करीब सवा सौ से ज्यादा लोग संक्रमित हो गए. इसके बाद से कंटेनमेंट जोन घोषित करते हुए प्रशासन ने इलाके को सील कर दिया. इस कार्रवाई के बाद प्रशासन ने लखोली की ओर मुड़कर नहीं देखा और ना ही यह जानने की कोशिश की कि आखिर श्रमिक बाहुल्य इलाके के लोग बिना मजदूरी के कैसे अपना पेट भर पाएंगे. हद तो तब हो गई जब इस इलाके में नेता भी मदद करने नहीं पहुंचे.

सबसे बड़ी तकलीफ मजदूरों के सामने यह है कि अब पूरे शहर में उन्हें कहीं भी काम नहीं मिल रहा है. लखोली इलाके को प्रशासन ने कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया इसके चलते शहर के व्यापारियों और उद्योगपतियों का लखोली के मजदूरों से सीधे संपर्क कट गया. संक्रमण के खतरे को देखते हुए सभी ने लखोली के मजदूरों से नाता ही तोड़ दिया, ऐसी मुश्किल घड़ी में भी मजदूरों को अपने मालिकों से मायूसी ही हाथ लगी है. सबने मदद के लिए हाथ खड़े कर दिए यहां तक की काम देने से भी मना कर दिया. अब हालात यह है कि मजदूरों को दो वक्त के खाने को लेकर भी जद्दोजहद करनी पड़ रही है.

पढ़ें- स्वास्थ्य मंत्री के क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं की कमी, कांवड़ के सहारे प्रसूता को पहुंचाया गया अस्पताल

20 हजार की आबादी प्रभावित

लखोली इलाके में करीब 20 हजार की आबादी रहती है. लखोली क्षेत्र के अंदर 5 वार्ड आते हैं, इलाके में कोरोना के बढ़ते मरीजों के कारण प्रशासन ने इसे कंटेनमेंट जोन घोषित किया है. यहां के लोग ज्यादातर मजदूर हैं और गरीब तबके से आते हैं, मेहनत मजदूरी करके अपना पेट भरते हैं. ये परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं.

किसी ने नहीं ली सुध

लखोली के लोगों ने ETV भारत से चर्चा करते हुए बताया कि कंटेनमेंट जोन घोषित होने के बाद से ना तो इलाके में नेता नजर आ रहे हैं और ना ही प्रशासनिक अधिकारी उनकी सुध ले रहे हैं. अब ऐसे हालात में मजदूर आखिर क्या करें जिस जगह पर वह काम करते थे वहां भी उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है. हालात ये है कि बैंक और मेडिकल स्टोर में जाने पर भी उन्हें भय के कारण भगा दिया जाता है.

पढ़ें-EXCLUSIVE: मेकाहारा अस्पताल में कोरोना वॉरियर्स नर्सों की जान से खिलवाड़, लापरवाही पर स्वास्थ्य विभाग मौन

मदद नहीं कर रही सरकार

भाजपा नेता कमलेश सूर्यवंशी का कहना है कि लखोली के रहवासियों को राज्य सरकार की मदद मिलनी चाहिए. कोरोना संक्रमण फैलने के चलते व्यापारी इन्हें काम नहीं दे रहे हैं. ऐसे हालात को देखते हुए राज्य शासन को लखोली में विशेष मदद करनी चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है, पहले भी इस मामले को लेकर के भाजपा ने राज्य सरकार और जिला प्रशासन से मदद की मांग की थी. लेकिन अबतक राहत नहीं पहुंचाई गई.

राजनांदगांव : शहर का श्रमिक बाहुल्य इलाका लखोली जहां के मजदूर शहर के तकरीबन हर व्यवसायिक प्रतिष्ठान में अपनी सेवाएं देते हैं. या यूं कहें कि लखोली इलाके के मजदूरों की बदौलत शहर का बड़ा से बड़ा और छोटे से छोटा व्यापार चलता है. यहां से मिलने वाली मैन पावर की बदौलत पूरा शहर आर्थिक रूप से पटरी पर दौड़ता है. यहां के मजदूर व्यापारियों से लेकर उद्योगपतियों तक के लिए कड़ी मेहनत और मशक्कत करते हैं. लेकिन आज ये मजदूर परिवार के साथ दाने-दाने को मोहताज हो रहे हैं. ना ही मजदूरों को शहर में कहीं काम मिल पा रहा है और ना ही कोई सरकारी मदद. यहां तक की कोई नेता भी यहां पर झांकने नहीं जा रहा है.

बेहाल मजदूर परिवार

लखोली में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैला और करीब सवा सौ से ज्यादा लोग संक्रमित हो गए. इसके बाद से कंटेनमेंट जोन घोषित करते हुए प्रशासन ने इलाके को सील कर दिया. इस कार्रवाई के बाद प्रशासन ने लखोली की ओर मुड़कर नहीं देखा और ना ही यह जानने की कोशिश की कि आखिर श्रमिक बाहुल्य इलाके के लोग बिना मजदूरी के कैसे अपना पेट भर पाएंगे. हद तो तब हो गई जब इस इलाके में नेता भी मदद करने नहीं पहुंचे.

सबसे बड़ी तकलीफ मजदूरों के सामने यह है कि अब पूरे शहर में उन्हें कहीं भी काम नहीं मिल रहा है. लखोली इलाके को प्रशासन ने कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया इसके चलते शहर के व्यापारियों और उद्योगपतियों का लखोली के मजदूरों से सीधे संपर्क कट गया. संक्रमण के खतरे को देखते हुए सभी ने लखोली के मजदूरों से नाता ही तोड़ दिया, ऐसी मुश्किल घड़ी में भी मजदूरों को अपने मालिकों से मायूसी ही हाथ लगी है. सबने मदद के लिए हाथ खड़े कर दिए यहां तक की काम देने से भी मना कर दिया. अब हालात यह है कि मजदूरों को दो वक्त के खाने को लेकर भी जद्दोजहद करनी पड़ रही है.

पढ़ें- स्वास्थ्य मंत्री के क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं की कमी, कांवड़ के सहारे प्रसूता को पहुंचाया गया अस्पताल

20 हजार की आबादी प्रभावित

लखोली इलाके में करीब 20 हजार की आबादी रहती है. लखोली क्षेत्र के अंदर 5 वार्ड आते हैं, इलाके में कोरोना के बढ़ते मरीजों के कारण प्रशासन ने इसे कंटेनमेंट जोन घोषित किया है. यहां के लोग ज्यादातर मजदूर हैं और गरीब तबके से आते हैं, मेहनत मजदूरी करके अपना पेट भरते हैं. ये परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं.

किसी ने नहीं ली सुध

लखोली के लोगों ने ETV भारत से चर्चा करते हुए बताया कि कंटेनमेंट जोन घोषित होने के बाद से ना तो इलाके में नेता नजर आ रहे हैं और ना ही प्रशासनिक अधिकारी उनकी सुध ले रहे हैं. अब ऐसे हालात में मजदूर आखिर क्या करें जिस जगह पर वह काम करते थे वहां भी उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है. हालात ये है कि बैंक और मेडिकल स्टोर में जाने पर भी उन्हें भय के कारण भगा दिया जाता है.

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मदद नहीं कर रही सरकार

भाजपा नेता कमलेश सूर्यवंशी का कहना है कि लखोली के रहवासियों को राज्य सरकार की मदद मिलनी चाहिए. कोरोना संक्रमण फैलने के चलते व्यापारी इन्हें काम नहीं दे रहे हैं. ऐसे हालात को देखते हुए राज्य शासन को लखोली में विशेष मदद करनी चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है, पहले भी इस मामले को लेकर के भाजपा ने राज्य सरकार और जिला प्रशासन से मदद की मांग की थी. लेकिन अबतक राहत नहीं पहुंचाई गई.

Last Updated : Aug 1, 2020, 8:34 PM IST
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