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राजनांदगांव : मेडिकल कॉलेज ने दिया ऐसा दर्द कि खतरे में है गरीब की जिंदगी - kidney fail

ईश्वर देवांगन के बेटे योगेश आटो चलाकर अपने परिवार का पेट पालते हैं. ऐसे में वो अपने पिता का महंगा इलाज कैसे कराएंगे यह सवाल उन्हें खाए जा रहा है

ईश्वर देवांगन, पीड़ित
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Published : Jul 5, 2019, 10:33 PM IST

Updated : Jul 6, 2019, 7:12 AM IST

राजनांदगांव: ये आंसू सिस्टम की ओर से दिए जख्म के दर्द की दास्तां बया रहे हैं. ये सिसक यह बताने के लिए काफी है कि जिंदगी की आस में अस्पताल जाने वाला जब मौत के मुंह में पहुंच जाता है, तो इसकी गाज सिर्फ उस पर नहीं बल्कि पूरे परिवार पर गिरती है. मामला राजनांदगांव के अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल कॉलेज का है.

स्पेशल स्टोरी

हर हफ्ते खर्च होते हैं 10 हजार रुपये

इस कॉलेज के डॉक्टरों ने साठ साल के ईश्वर देवांगन को गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ा दिया, इसकी वजह से ईश्वर की दोनों किडनी फेल हो गई. किडनी खराब होने की वजह से उनके परिवार को हर हफ्ते डायलिसिस कराना पड़ता है, जिसमें 10 हजार रुपये का खर्च आता है.

डॉक्टरों ने चढ़ाया गलत खून

कमजोरी की शिकायत के बाद आठ अप्रैल को ईश्वर देवांगन को अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान डॉक्टरों ने गलत खून चढ़ा दिया. दरअसल ईश्वर का ब्लडग्रुप बी पॉजिटिव था लेकिन प्रबंधन ने उन्हें एबी पॉजिटिव ब्लड चढ़ा दिया. इलाज करने के दो दिन बात ईश्वर की तबीयत बिगड़ने लगी, जिसके बाद परिजन ने उन्हें रायपुर में मौजूद एम्स में भर्ती कराया.

दोनों किडनियां हुई डैमेज

एम्स के डॉक्टरों के इलाज से जब उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ, तो परिजन ईश्वर को लेकर भिलाई के निजी अस्पताल पहुंचे. यहां के डॉक्टरों ने जांच के बाद बीमारी की जो वजह बताई उससे परिजन के पैर तले से जमीन खिसक गई. डॉक्टरों ने बताया कि गलत ग्रुप का खून चढ़ाने की वजह से ईश्वर की दोनों किडनियां डैमेज हो चुकी हैं.

रिपोर्ट में बी प्वॉजिटिव बताया गया ब्लड ग्रुप

ईश्वर को 8 अप्रैल को पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया किया था और इसी दिन उन्हें ब्लड चढ़ाया गया था. वहीं दूसरी बार उन्हें 21 जून को दोबारा भर्ती किया गया और इस दिन ईश्वर के परिजन ने एहतियातन ब्लड ग्रुप टेस्ट कराया, जिसकी रिपोर्ट में भी उनका ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव बताया गया.

आटो चलाते हैं ईश्वर के बेटे

ईश्वर देवांगन के बेटे योगेश आटो चलाकर अपने परिवर का पेट पालते हैं, ऐसे में वो अपने पिता का महंगा इलाज कैसे कराएंगे यह सवाल उन्हें खाए जा रहा है. वहीं इस मामले में अस्पताल के सीएमएचओ ने मदद का भरोसा दिया है, जिन डॉक्टरों को आप भगवान का दर्जा देते हैं, लेकिन उनकी एक छोटी की गलती किसी की जिंदगी पर कितनी भारी पड़ सकती है. यह ईश्वर के केस को देखकर बखूबी समझ सकते हैं.

राजनांदगांव: ये आंसू सिस्टम की ओर से दिए जख्म के दर्द की दास्तां बया रहे हैं. ये सिसक यह बताने के लिए काफी है कि जिंदगी की आस में अस्पताल जाने वाला जब मौत के मुंह में पहुंच जाता है, तो इसकी गाज सिर्फ उस पर नहीं बल्कि पूरे परिवार पर गिरती है. मामला राजनांदगांव के अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल कॉलेज का है.

स्पेशल स्टोरी

हर हफ्ते खर्च होते हैं 10 हजार रुपये

इस कॉलेज के डॉक्टरों ने साठ साल के ईश्वर देवांगन को गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ा दिया, इसकी वजह से ईश्वर की दोनों किडनी फेल हो गई. किडनी खराब होने की वजह से उनके परिवार को हर हफ्ते डायलिसिस कराना पड़ता है, जिसमें 10 हजार रुपये का खर्च आता है.

डॉक्टरों ने चढ़ाया गलत खून

कमजोरी की शिकायत के बाद आठ अप्रैल को ईश्वर देवांगन को अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान डॉक्टरों ने गलत खून चढ़ा दिया. दरअसल ईश्वर का ब्लडग्रुप बी पॉजिटिव था लेकिन प्रबंधन ने उन्हें एबी पॉजिटिव ब्लड चढ़ा दिया. इलाज करने के दो दिन बात ईश्वर की तबीयत बिगड़ने लगी, जिसके बाद परिजन ने उन्हें रायपुर में मौजूद एम्स में भर्ती कराया.

दोनों किडनियां हुई डैमेज

एम्स के डॉक्टरों के इलाज से जब उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ, तो परिजन ईश्वर को लेकर भिलाई के निजी अस्पताल पहुंचे. यहां के डॉक्टरों ने जांच के बाद बीमारी की जो वजह बताई उससे परिजन के पैर तले से जमीन खिसक गई. डॉक्टरों ने बताया कि गलत ग्रुप का खून चढ़ाने की वजह से ईश्वर की दोनों किडनियां डैमेज हो चुकी हैं.

रिपोर्ट में बी प्वॉजिटिव बताया गया ब्लड ग्रुप

ईश्वर को 8 अप्रैल को पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया किया था और इसी दिन उन्हें ब्लड चढ़ाया गया था. वहीं दूसरी बार उन्हें 21 जून को दोबारा भर्ती किया गया और इस दिन ईश्वर के परिजन ने एहतियातन ब्लड ग्रुप टेस्ट कराया, जिसकी रिपोर्ट में भी उनका ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव बताया गया.

आटो चलाते हैं ईश्वर के बेटे

ईश्वर देवांगन के बेटे योगेश आटो चलाकर अपने परिवर का पेट पालते हैं, ऐसे में वो अपने पिता का महंगा इलाज कैसे कराएंगे यह सवाल उन्हें खाए जा रहा है. वहीं इस मामले में अस्पताल के सीएमएचओ ने मदद का भरोसा दिया है, जिन डॉक्टरों को आप भगवान का दर्जा देते हैं, लेकिन उनकी एक छोटी की गलती किसी की जिंदगी पर कितनी भारी पड़ सकती है. यह ईश्वर के केस को देखकर बखूबी समझ सकते हैं.

Intro:राजनांदगांव अटल बिहारी बाजपाई मेडिकल कॉलेज में प्रबंधन और कर्मचारियों की लापरवाही से मरीजों की जान पर बन रही है इसका जीता जागता उदाहरण सामने आए हैं जहां शहर के वार्ड क्रमांक 40 नंदिनी निवासी 60 वर्षीय ईश्वर देवांगन को गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ा दिया गया है मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में एडमिट होने के बाद यह लापरवाही बरती गई है इसके चलते अब ईश्वर देवांगन की जान पर बन आई है डॉक्टरों का कहना है कि गलत ग्रुप के ब्लड लगाए जाने से उनकी दोनों ही किडनी 90% तक खराब हो चुकी है इस स्थिति में पूरा परिवार सदमे में है और वर्तमान में हर सप्ताह ₹10000 कर्ज लेकर उनका डायलिसिस करवा रहे हैं.


Body:शहर के नंदिनी निवासी 60 वर्षीय ईश्वर देवांगन को कमजोरी की शिकायत थी इस दौरान उन्हें अटल बिहारी वाजपेई मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में 8 अप्रैल को दाखिल कराया गया जहां उनका इलाज किया गया इस दौरान इलाज में लापरवाही बरतते हुए गलत ग्रुप का ब्लड उन्हें दे दिया गया ईश्वर का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव था लेकिन प्रबंधन ने लापरवाही बरतते हुए उन्हें एबी पॉजिटिव ब्लड ग्रुप चढ़ा दिया 2 दिन बाद जब उनकी तबीयत बिगड़ी तो उन्हें एम्स रायपुर में दाखिल कराया गया जहां उनका इलाज चला इस दौरान भी वे ठीक से ठीक नहीं हो पाए. इसके बाद भिलाई स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में उनका इलाज कराया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें चौंकाने वाली बात बताई डॉक्टर ने ईश्वर के परिजनों को बताया कि उनका ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव है लेकिन उन्हें एबी पॉजिटिव ब्लड चढ़ाया गया है जिसके चलते उनकी दोनों किडनी डैमेज हो चुकी है.
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
इस खबर को सुनने के बाद ईश्वर के परिजन सकते में आ गए गलत ग्रुप के ब्लड चढ़ाए जाने से ईश्वर अब जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं उनका स्वास्थ्य पूरी तरीके से खराब हो चुका है और वह स्वयं से चल फिर भी नहीं पा रहे कुछ भी पूछने पर बोलने की स्थिति तक नहीं है डॉक्टरों की इस लापरवाही के बारे में वे सोचने पर फूट-फूट कर रोने लगते हैं.
दो बार हुए एडमिट दोनों ही बार अलग-अलग ब्लड ग्रुप निकाला
मेडिकल कॉलेज की अस्पताल में ईश्वर को पहली बार 8 अप्रैल को एडमिट किया गया था जहां उन्हें बी पॉजिटिव ब्लड ग्रुप की जगह एबी पॉजिटिव ब्लड चढ़ाया गया था दूसरी बार उन्हें 21 जून को मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में एडमिट कराया गया जहां उन्हें सामान्य फीवर की ही शिकायत थी इस दौरान परिजनों ने एतिहाद बरतते हुए उनके ब्लड ग्रुप को चेक कराने के लिए डॉक्टरों से आग्रह किया इसके बाद मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी विभाग में उनका ब्लड ग्रुप चेक कराया गया जहां ईश्वर का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव बताया गया इसकी रिपोर्ट परिजनों ने संभाल कर रखी है क्योंकि दोनों ही रिपोर्ट एक दूसरे के विपरीत है पहली बार एडमिट होने पर ईश्वर का ब्लड ग्रुप एबी पॉजिटिव बताया गया था और दूसरी बार एडमिट होने पर उनका ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव बताया गया है.
परिवार के सामने दोहरा संकट
ईश्वर देवांगन के बड़े सुपुत्र योगेश कुमार देवांगन ने बताया कि वह ऑटो चलाकर परिवार का पेट पालते हैं पिता कि दोनों किडनी डैमेज होने के चलते उन्हें हर हफ्ते डायलिसिस के लिए भिलाई ले जाना पड़ता है इस स्थिति में उन्हें तकरीबन हर हफ्ते ₹10000 का खर्च आता है इसलिए आज से महीने भर में तकरीबन ₹40000 का खर्च आ रहा है वह लगातार कर्ज लेकर के इलाज करा रहे हैं उनका कहना है कि वे ऑटो चलाते हैं और इतनी इनकम नहीं कि वे हर सप्ताह ₹10000 इलाज पर खर्च कर सके उनका कहना है कि जिस तरीके से मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में कार्यरत लोगों ने लापरवाही करते हुए उनके पिता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया उन्हें कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए.


Conclusion:जांच कर रिपोर्ट शासन को देंगे
इस मामले में सीएमएचओ मिथिलेश चौधरी का कहना है कि पीड़ित मरीज का शिकायती पत्र उन्हें प्राप्त हुआ है मेडिकल कॉलेज प्रशासन से इसकी जानकारी मंगाई जाएगी जांच करने के बाद शासन को रिपोर्ट दी जाएगी और इस मामले में कार्रवाई तय की जाएगी वही उनका कहना है कि मरीज को उपचार के लिए भी हरसंभव मदद करने का प्रयास किया जाएगा।

बाइट योगेश कुमार देवांगन पीड़ित के पुत्र
बाइट सीएमएचओ मिथिलेश चौधरी चश्मा लगाए हुए
Last Updated : Jul 6, 2019, 7:12 AM IST
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