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CHHATTISGARH Election Result 2023 LIVE News Updates राजनांदगांव विधानसभा सीट पर रमन सिंह को अजेय बढ़त, 37 हजार वोटों से आगे - राजनांदगांव विधानसभा सीट

RAJNANDGAON CHHATTISGARH Election Result 2023 LIVE News Updates: दुर्ग संभाग के राजनांदगांव विधानसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने एकतरफा जीत दर्ज की है. डॉ रमन सिंह ने कांग्रेस के गिरिश दवांगन को 40 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराकर जीत दर्ज की है. LIVE RAJNANDGAON, Chhattisgarh, Vidhan Sabha Chunav Assembly Elections Result 2023 News Updates

Rajnandgaon assembly election
राजनांदगांव विधानसभा सीट
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Published : Apr 23, 2023, 6:03 PM IST

Updated : Dec 3, 2023, 3:58 PM IST

राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ का राजनांदगांव जिला प्रदेश की संस्कारधानी माना जाता है. दुर्ग संभाग की हाईप्रोफाइल सीट राजनांदगांव विधानसभा में डॉ रमन सिंह ने शानदार जीत दर्ज की है. डॉ रमन सिंह ने कांग्रेस के गिरीश देवांगन को 40 हजार से अधिक वोटों से हराया है. इस बार छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 में कुल 76.31 प्रतिशत मतदान हुआ है.

डॉ रमन सिंह ने गिरीश देवांगन को हराया: राजनांदगांव प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीटों में से एक है. इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह पिछले 15 सालों से विधायक हैं. इस बार भी बीजेपी की ओर से डॉ रमन सिंह ने जीत दर्ज की है. वहीं कांग्रेस ने गिरीश दवांगन को कबीब 40 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा है. यह सीट पूर्व मुख्मंत्री डॉ रमन सिंह का गढ़ मानी जाता है. 2008, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सीट पर कब्जा किया था. इस सीट पर साल 2008 से लेकर अब तक डॉ रमन सिंह राजनांदगांव विधानसभा सीट से विधायक चुनते आ रहे हैं.

राजनांदगांव विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास: राजनांदगांव विधानसभा सीट से सबसे पहले 1967 में कांग्रेस से किशोरीलाल शुक्ला विधायक चुने गए. अगले विधानसभा चुनाव 1972 में किशोरीलाल ने इस सीट पर अपना दबदबा कायम रखा. लेकिन आपातकाल से उपजे सत्ता विरोधी लहर में कांग्रेस का यह किला ढह गया. विधानसभा चुनाव 1977 में जनता दल के ठाकुर दरबार सिंह ने किशोरीलाल शुक्ला को हराकर राजनांदगांव विधानसभा सीट पर अपना कब्जा कायम किया. 1980 में हुए विधानसभा चुनाव में फिर किशोरीलाल शुक्ला निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए यहां से विधायक चुने गए. इसके बाद साल 1985 में कांग्रेस से बलबीर खानुजा और 1990 में भाजपा के लीलाराम भोजवानी विधायक चुने गए. 1990 में भाजपा ने पहली बार इस सीट पर जीत हासिल की

1993 से 2008 तक कांग्रेस और भाजपा में कड़ी टक्कर: साल 1993 के विधानसभा चुनाव में राजनांदगांंव से कांग्रेस के युवा नेता उदय मुदलियार विधायक चुने गए. साल 1993 से 1998 तक वह इस सीट से विधायक रहे. 1998 के विधानसभा चुनाव में यहां एक बार फिर कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी. भाजपा के लीलाराम भोजवानी ने उदय मुदलियार को पटखनी देकर इस सीट पर कब्जा किया और वह 2003 तक विधायक रहे. लेकिन नए राज्य बनने के बाद पहले विधानसभा चुनाव 2003 में हुए. इस बार कांग्रेस के उदय मुदलियार ने फिर कमबैक किया. 2003 विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर मुदलियार 2008 तक विधायक बने रहे.

2008 से राजनांदगांव भाजपा का अभेद किला: साल 2008 के विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री रहे डॉ रमन सिंह राजनांदगांव से विधायक चुने गए. इसके बाद से लेकर तीन कार्यकाल अर्थात 2008, 2013 और 2018 में यहां से भाजपा का एकतरफा कब्जा रहा है. 2013 के विधानसभा चुनाव में डॉ रमन सिंह ने कांग्रेस के उम्मीदवार और उदय मुदलियार की पत्नी अलका उदय मुदलियार को 35 हजार 866 वोटों से करारी शिकस्त दी. हालांकि 2018 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाली करुणा शुक्ला ने डॉ रमन को कड़ी टक्कर दी, लेकिन भाजपा के इस किले को वह भी भेद नहीं सकीं. 2018 विधानसभा चुनाव में 16,933 वोटों के अंतर से करुणा शुक्ला को हराकर डॉ रमन सिंह विधायक चुने गए.

2018 assembly elections result
2018 विधानसभा चुनाव की तस्वीर

यह भी पढ़ें: Chhattisgarh election 2023 बिलासपुर शहर विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा, 20 साल से भाजपा ने किया था राज


कांग्रेस के हार की क्या है वजह?: कांग्रेस इस सीट को जीतने का लगातार प्रयास कर रही है. 2018 के विधानसभा चुनाव में करुणा शुक्ला कांग्रेस से राजनांदगांव विधानसभा सीट से प्रत्याशी थी. उनके द्वारा डॉ रमन सिंह और बीजेपी को कड़ी टक्कर दी गई. जहां पूर्व मुख्यमंत्री महज लगभग 17000 वोटों के अंतर से ही जीत पाए थे. इस बार कांग्रेस ने भी इस सीट को लेकर खास तैयारियां की है. बीजेपी का अभेद किला माने जाने वाले राजनांदगांव विधानसभा सीट बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण है. पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह यहां से विधायक हैं. इस बार विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां अभी से तैयारियां कर रही हैं. देखना होगा कि, इस विधानसभा चुनाव में जनता किस पार्टी के प्रत्याशी जीत को चुनती है. यहां कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी है प्रत्याशी चयन. साथ ही अन्य कारणों से भी कांग्रेस इस सीट पर नहीं जीत पाई है.

क्या कहता है राजनांदगांव का जातीय समीकरण? राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक आबादी पिछड़ा वर्ग की है. जिसमें साहू, लोधी, यादव और अन्य शामिल हैं. इसके साथ ही सामान्य वर्ग की भी आबादी अच्छी खासी है. इस कारण राजनीतिक पार्टियों द्वारा ओबीसी फैक्टर को लेकर चुनाव लड़ा जाता है.

ओबीसी और सामान्य वर्ग है किंगमेकर: राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र शहरी क्षेत्र है. अधिकतर आबादी शहरी है, इस कारण शहरी क्षेत्र में पार्टियों का फोकस रहता है. इस विधानसभा सीट में एक बड़ी आबादी ओबीसी की है, इसलिए ओबीसी वोटर्स को साधने का काम राजनीतिक पार्टियों द्वारा किया जाता है. राजनांदगांव विधानसभा सीट में ओबीसी फैक्टर हावी है. ज्यादातर मतदाता सामान्य और ओबीसी कैटेगरी से आते हैं. यही यहां जीत का अंतर तय करते हैं.

यह भी पढ़ें: Chhattisgarh election 2023 बिलासपुर शहर विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा, 20 साल से भाजपा ने किया था राज

विधानसभा की डेमोग्राफी: राजनांदगांव जिले का क्षेत्रफल 8022.55 वर्ग किलोमीटर है. राजनांदगांव जिले की जनसंख्या 8 लाख 84 हजार 742 है. इसके साथ ही जिले का साक्षरता प्रतिशत 78.46 है. राजनांदगांव जिले में 4 ब्लॉक राजनांदगांव, डोंगरगांव, छुरिया और डोंगरगढ़ है. राजनांदगांव विधानसभा सीट में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 11 हजार 468 है. जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 03 हजार 737 है, तो महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 07 हजार 729 है. राजनांदगांव विधानसभा सीट प्रदेश में अपना एक अलग स्थान रखता है.


राजनांदगांव के स्थानीय मुद्दे: स्थानीय मुद्दों से ज्यादा भाजपा का असर इस विधानसभा सीट में रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह पिछले तीन बार से विधानसभा सीट पर विधायक हैं. साथ ही वह भाजपा के राष्टीय उपाध्यक्ष भी हैं. जानिए इस सीट पर क्या मुद्दे हैं

What are the issues and problems
राजनांदगांव के स्थानीय मुद्दे
  1. रमन सिंह से लोगों की मुलाकात न हो पाना
  2. जिले में उद्योग की कमी
  3. रोजगार के साधन का न होना
  4. विकास की समस्या भी यहां है हावी
  5. विकास के कार्यों का अधूरा होना

भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर: राजनांदगांव सीट पर इस बार भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर रहेगी. कांग्रेस काफी दिनों से बीजेपी के गढ़ को जीतने के लिए सक्रिय है और एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. स्थानीय मुद्दे सहित कांग्रेस द्वारा किए गए कार्यों को लेकर वह जनता के बीच में जाएंगे. तो भाजपा बीते 15 सालों में किए गए कार्यों और केंद्र के द्वारा किए जा रहे कार्यों को लेकर जनता तक पहुंचेगी.

राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ का राजनांदगांव जिला प्रदेश की संस्कारधानी माना जाता है. दुर्ग संभाग की हाईप्रोफाइल सीट राजनांदगांव विधानसभा में डॉ रमन सिंह ने शानदार जीत दर्ज की है. डॉ रमन सिंह ने कांग्रेस के गिरीश देवांगन को 40 हजार से अधिक वोटों से हराया है. इस बार छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 में कुल 76.31 प्रतिशत मतदान हुआ है.

डॉ रमन सिंह ने गिरीश देवांगन को हराया: राजनांदगांव प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीटों में से एक है. इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह पिछले 15 सालों से विधायक हैं. इस बार भी बीजेपी की ओर से डॉ रमन सिंह ने जीत दर्ज की है. वहीं कांग्रेस ने गिरीश दवांगन को कबीब 40 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा है. यह सीट पूर्व मुख्मंत्री डॉ रमन सिंह का गढ़ मानी जाता है. 2008, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सीट पर कब्जा किया था. इस सीट पर साल 2008 से लेकर अब तक डॉ रमन सिंह राजनांदगांव विधानसभा सीट से विधायक चुनते आ रहे हैं.

राजनांदगांव विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास: राजनांदगांव विधानसभा सीट से सबसे पहले 1967 में कांग्रेस से किशोरीलाल शुक्ला विधायक चुने गए. अगले विधानसभा चुनाव 1972 में किशोरीलाल ने इस सीट पर अपना दबदबा कायम रखा. लेकिन आपातकाल से उपजे सत्ता विरोधी लहर में कांग्रेस का यह किला ढह गया. विधानसभा चुनाव 1977 में जनता दल के ठाकुर दरबार सिंह ने किशोरीलाल शुक्ला को हराकर राजनांदगांव विधानसभा सीट पर अपना कब्जा कायम किया. 1980 में हुए विधानसभा चुनाव में फिर किशोरीलाल शुक्ला निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए यहां से विधायक चुने गए. इसके बाद साल 1985 में कांग्रेस से बलबीर खानुजा और 1990 में भाजपा के लीलाराम भोजवानी विधायक चुने गए. 1990 में भाजपा ने पहली बार इस सीट पर जीत हासिल की

1993 से 2008 तक कांग्रेस और भाजपा में कड़ी टक्कर: साल 1993 के विधानसभा चुनाव में राजनांदगांंव से कांग्रेस के युवा नेता उदय मुदलियार विधायक चुने गए. साल 1993 से 1998 तक वह इस सीट से विधायक रहे. 1998 के विधानसभा चुनाव में यहां एक बार फिर कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी. भाजपा के लीलाराम भोजवानी ने उदय मुदलियार को पटखनी देकर इस सीट पर कब्जा किया और वह 2003 तक विधायक रहे. लेकिन नए राज्य बनने के बाद पहले विधानसभा चुनाव 2003 में हुए. इस बार कांग्रेस के उदय मुदलियार ने फिर कमबैक किया. 2003 विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर मुदलियार 2008 तक विधायक बने रहे.

2008 से राजनांदगांव भाजपा का अभेद किला: साल 2008 के विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री रहे डॉ रमन सिंह राजनांदगांव से विधायक चुने गए. इसके बाद से लेकर तीन कार्यकाल अर्थात 2008, 2013 और 2018 में यहां से भाजपा का एकतरफा कब्जा रहा है. 2013 के विधानसभा चुनाव में डॉ रमन सिंह ने कांग्रेस के उम्मीदवार और उदय मुदलियार की पत्नी अलका उदय मुदलियार को 35 हजार 866 वोटों से करारी शिकस्त दी. हालांकि 2018 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाली करुणा शुक्ला ने डॉ रमन को कड़ी टक्कर दी, लेकिन भाजपा के इस किले को वह भी भेद नहीं सकीं. 2018 विधानसभा चुनाव में 16,933 वोटों के अंतर से करुणा शुक्ला को हराकर डॉ रमन सिंह विधायक चुने गए.

2018 assembly elections result
2018 विधानसभा चुनाव की तस्वीर

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कांग्रेस के हार की क्या है वजह?: कांग्रेस इस सीट को जीतने का लगातार प्रयास कर रही है. 2018 के विधानसभा चुनाव में करुणा शुक्ला कांग्रेस से राजनांदगांव विधानसभा सीट से प्रत्याशी थी. उनके द्वारा डॉ रमन सिंह और बीजेपी को कड़ी टक्कर दी गई. जहां पूर्व मुख्यमंत्री महज लगभग 17000 वोटों के अंतर से ही जीत पाए थे. इस बार कांग्रेस ने भी इस सीट को लेकर खास तैयारियां की है. बीजेपी का अभेद किला माने जाने वाले राजनांदगांव विधानसभा सीट बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण है. पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह यहां से विधायक हैं. इस बार विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां अभी से तैयारियां कर रही हैं. देखना होगा कि, इस विधानसभा चुनाव में जनता किस पार्टी के प्रत्याशी जीत को चुनती है. यहां कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी है प्रत्याशी चयन. साथ ही अन्य कारणों से भी कांग्रेस इस सीट पर नहीं जीत पाई है.

क्या कहता है राजनांदगांव का जातीय समीकरण? राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक आबादी पिछड़ा वर्ग की है. जिसमें साहू, लोधी, यादव और अन्य शामिल हैं. इसके साथ ही सामान्य वर्ग की भी आबादी अच्छी खासी है. इस कारण राजनीतिक पार्टियों द्वारा ओबीसी फैक्टर को लेकर चुनाव लड़ा जाता है.

ओबीसी और सामान्य वर्ग है किंगमेकर: राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र शहरी क्षेत्र है. अधिकतर आबादी शहरी है, इस कारण शहरी क्षेत्र में पार्टियों का फोकस रहता है. इस विधानसभा सीट में एक बड़ी आबादी ओबीसी की है, इसलिए ओबीसी वोटर्स को साधने का काम राजनीतिक पार्टियों द्वारा किया जाता है. राजनांदगांव विधानसभा सीट में ओबीसी फैक्टर हावी है. ज्यादातर मतदाता सामान्य और ओबीसी कैटेगरी से आते हैं. यही यहां जीत का अंतर तय करते हैं.

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विधानसभा की डेमोग्राफी: राजनांदगांव जिले का क्षेत्रफल 8022.55 वर्ग किलोमीटर है. राजनांदगांव जिले की जनसंख्या 8 लाख 84 हजार 742 है. इसके साथ ही जिले का साक्षरता प्रतिशत 78.46 है. राजनांदगांव जिले में 4 ब्लॉक राजनांदगांव, डोंगरगांव, छुरिया और डोंगरगढ़ है. राजनांदगांव विधानसभा सीट में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 11 हजार 468 है. जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 03 हजार 737 है, तो महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 07 हजार 729 है. राजनांदगांव विधानसभा सीट प्रदेश में अपना एक अलग स्थान रखता है.


राजनांदगांव के स्थानीय मुद्दे: स्थानीय मुद्दों से ज्यादा भाजपा का असर इस विधानसभा सीट में रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह पिछले तीन बार से विधानसभा सीट पर विधायक हैं. साथ ही वह भाजपा के राष्टीय उपाध्यक्ष भी हैं. जानिए इस सीट पर क्या मुद्दे हैं

What are the issues and problems
राजनांदगांव के स्थानीय मुद्दे
  1. रमन सिंह से लोगों की मुलाकात न हो पाना
  2. जिले में उद्योग की कमी
  3. रोजगार के साधन का न होना
  4. विकास की समस्या भी यहां है हावी
  5. विकास के कार्यों का अधूरा होना

भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर: राजनांदगांव सीट पर इस बार भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर रहेगी. कांग्रेस काफी दिनों से बीजेपी के गढ़ को जीतने के लिए सक्रिय है और एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. स्थानीय मुद्दे सहित कांग्रेस द्वारा किए गए कार्यों को लेकर वह जनता के बीच में जाएंगे. तो भाजपा बीते 15 सालों में किए गए कार्यों और केंद्र के द्वारा किए जा रहे कार्यों को लेकर जनता तक पहुंचेगी.

Last Updated : Dec 3, 2023, 3:58 PM IST
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