राजनांदगांव: लोकसभा सीट राजनांदगांव में बीजेपी ने हैट्रिक लगाते हुए जबरदस्त जीत दर्ज की है. कांग्रेस के मिसमैनेजमेंट और मोदी के चेहरे को भारतीय जनता पार्टी ने कुछ इस कदर भुनाया कि कांग्रेस चारों खाने चित हो गई.
कांग्रेस ने किया हल्का चुनाव प्रचार
कांग्रेस इस बार लोकसभा चुनाव में बेहद हल्के तरीके से चुनावी मैदान में कूदी और फिर बीजेपी से मुकाबले में काफी कमजोर साबित हुई. राजनांदगांव संसदीय सीट की बात करें तो इस बार कांग्रेस राज्य में सरकार बनने के बाद से लोकसभा चुनाव में अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हो गई थी, लेकिन भाजपा के तगड़े मैनेजमेंट और मोदी के चेहरे को लेकर चुनाव मैदान में उतरे संतोष पांडे ने इस बार बड़ी जीत जीतकर सबको चौंका दिया और हार के बाद से कांग्रेस में मंथन का दौर शुरू हो चुका है.
76.08% हुआ था मतदान
राजनांदगांव लोकसभा सीट में इस बार 76.08% मतदान हुआ था. लोकसभा में 1715492 मतदाता हैं, इनमें से 1307878 मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग करते हुए भाजपा प्रत्याशी संतोष पांडे को अपना सांसद चुन लिया.
14 प्रत्याशी आजमा रहे थे किस्मत
इस बार चुनाव मैदान में कुल 14 प्रत्याशी हाथ आजमा रहे थे, इनमें सीधा मुकाबला भाजपा के संतोष पांडे और कांग्रेस प्रत्याशी भोलाराम साहू के बीच रहा. संतोष पांडे ने 111966 मतों से जीत हासिल की है. इस जीत की बात करें तो विशेषण में कई महत्वपूर्ण बिंदु सामने आए.
शुरुआत में मजबूत दिखाई दे रही थी कांग्रेस
सबसे बड़ी बात यह सामने आ रही है कि 'कांग्रेस इस बार लोकसभा चुनाव में राज्य सरकार बनने के बाद केवल मुगालते में थी कि 'राजनांदगांव लोकसभा सीट पर जीत मिल जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ राजनांदगांव लोकसभा सीट की समीक्षा करें तो कई ऐसे तथ्य सामने आते हैं, जहां कांग्रेस शुरुआत से ही मजबूत दिखाई दे रही थी.
सफल हुई बीजेपी की रणनीति
लेकिन भाजपा ने जिस तरीके से लोकसभा सीट पर रणनीति बनाकर काम किया और इसमें सफल हुई. कांग्रेस ने इस बार लोकसभा सीट में साहू कार्ड खेलते हुए पूर्व विधायक भोलाराम साहू को टिकट दिया था. इस लोकसभा सीट में तकरीबन साढ़ें सात लाख मतदाता साहू समाज से आते हैं वहीं आठ विधानसभा सीट वाली इस लोकसभा में छह विधायक कांग्रेस से चुने गए थे, ऐसी स्थिति में कांग्रेस शुरुआती दौर में काफी मजबूत दिखाई दे रही थी इसके बाद भाजपा ने अपनी रणनीति में कांग्रेस के कमजोर पहलुओं पर वार किया. भाजपा ने इस लोकसभा सीट पर सबसे पहले प्रत्याशी बदले और इसके बाद फिर मोदी के चेहरे को सामने लाते हुए चुनाव लड़ा. यहीं वजह थी की वो जीत दर्ज करने में कामियाब रही.
दोनों प्रत्याशियों पर एक नजर
भाजपा प्रत्याशी संतोष पांडे लंबे समय से संघ से जुड़े हुए हैं. संगठन में काम करके उन्हें युवा आयोग तक पहुंचने का मौका मिला था. इसके बाद से वे केवल संगठन के कामों में ही ज्यादा ध्यान देते थे. माना जा रहा है इसी की वजह से उन्हें भाजपा ने इस बार चुनाव मैदान में उतारा. कांग्रेस प्रत्याशी भोलाराम साहू ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत खुज्जी विधानसभा में पंच के तौर पर चुनाव लड़कर की थी. इसके बाद वे सरपंच बने और फिर खुज्जी विधानसभा से उन्हें चार बार विधानसभा का टिकट मिला. वो दो बार विधानसभा चुनाव हार गए और 2 बार लगातार विधायक चुने गए. लोकसभा चुनाव से पहले हुए विधानसभा चुनाव में उनका टिकट काट दिया गया और इसके बाद लोकसभा चुनाव में उन्हें सांसद की टिकट दिया गया.
8 विधानसभा में 6 में फंस गई रही कांग्रेस
राजनांदगांव लोकसभा सीट में 8 विधानसभा सीटें आती हैं. इन आठों विधानसभा सीटों पर 6 सीट पर कांग्रेस का कब्जा है वहीं एक सीट पर जोगी कांग्रेस और राजनांदगांव विधानसभा की एकमात्र सीट पर भाजपा काबिज है. इसके बावजूद लोकसभा चुनाव में केवल मोहला मानपुर और खुज्जी विधानसभा सीट पर ही कांग्रेस को बढ़त मिली है शेष छह विधानसभा सीटों में भाजपा बड़ी लीड के साथ आगे रही है.
ये रहे आंकड़े
- भोलाराम साहू. संतोष पांडे. अंतर
- पंडरिया. 78304. 105993. 27689
- कवर्धा 102 636. 109126. 6490
- खैरागढ़ 64070. 85010. 20940
- डोंगरगढ़ 61224. 81119. 19895
- राजनांदगांव 51475. 95280. 43805
- डोंगरगांव 59596. 81714. 22118
- खुज्जी 65886. 63682. 2204
- मोहला मानपुर 66219. 39032. 27187
प्रत्याशी बदलना सबसे बड़ी रणनीति
भाजपा की इस बड़ी जीत पर वरिष्ठ पत्रकार लक्ष्मण लोहिया का कहना है कि 'भाजपा ने लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बदलकर एक बड़ी रणनीति तैयार की. भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व अमित शाह ने इस सीट से प्रत्याशी बदलने का फैसला लिया था और इसी रणनीति ने कार्यकर्ताओं में एक बार फिर जोश भरा'. उन्होंने बताया कि 'विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बहुत अच्छा प्रदर्शन करते हुए राज्य में सरकार बनाई, लेकिन यह जीत कांग्रेस की ना होकर भाजपा की बड़ी हार थी.
नेताओं से नाराज थे कार्यकर्ता
दूसरे शब्दों में कहे तो भाजपा के कार्यकर्ता अपनी ही पार्टी के नेताओं से नाराज थे. कार्यकर्ताओं का काम नहीं होने के कारण कार्यकर्ताओं में काफी रोष था. इसकी वजह से कार्यकर्ताओं ने विधानसभा चुनाव में अपने हाथ खींच लिए थे. जिसका भारतीय जनता पार्टी को बड़ा खामियाजा राज्य में सरकार खो कर चुकाना पड़ा था. इस हार से सबक लेते हुए पार्टी ने सबसे पहले कार्यकर्ताओं की एक बड़ी बैठक रखी और इस बैठक में कार्यकर्ताओं की समस्याओं को सुनकर उन्हें समाधान का आश्वासन दिया गया.
राष्ट्रवाद रहा बड़ा मुद्दा
पार्टी के आश्वासन के बाद कार्यकर्ता चार्ज हुए और उन्होंने लोकसभा में बेहतर काम किया. कांग्रेस की हार के कारणों की समीक्षा करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी में वर्तमान लोकसभा चुनाव में मिस मैनेजमेंट काफी हावी रहा. वहीं बीजेपी मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ी और राष्ट्रवाद इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा रहा. दूसरी ओर राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से कांग्रेस कार्यकर्ता आत्ममुग्ध हो गए थे कि लोकसभा चुनाव में उन्हें जीत हासिल होगी.
नेताओं ने नहीं दिया ध्यान
राजनांदगांव लोकसभा सीट की बात करें तो प्रभारी मंत्री मोहम्मद अकबर और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी करुणा शुक्ला ने इस बात पर कतई ध्यान नहीं दिया कि कार्यकर्ता वास्तविक रूप से लोकसभा चुनाव में काम कर रहे हैं या नहीं. यह बड़ा मिसमैनेजमेंट सामने आया जिसका खामियाजा आज कांग्रेस भुगत रही है.
'लोगों तक नहीं पहुंची कांग्रेस की बात'
वरिष्ठ कांग्रेस नेता दौलत चंदेल का कहना है कि 'लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवाद बड़ा मुद्दा रहा. इस चुनाव में राष्ट्रवाद पूरी तरह से हावी रहा. राष्ट्रवाद का मुद्दा पब्लिक के सामने चल गया, वहीं कांग्रेस अपने एजेंडे न्याय योजना को लोगों तक नहीं पहुंचा पाई. जनता को कांग्रेस की न्याय योजना नहीं समझा आई. इसकी वजह से हम पांच करोड़ लोगों तक नहीं पहुंच पाए'.
'राष्ट्रवाद के दौर में पिछड़ गई कांग्रेस'
उन्होंने कहा कि 'दूसरी ओर भाजपा ने राष्ट्रवाद के मुद्दे पर चुनाव लड़ा, जो कि एक बड़ा मुद्दा उभर कर सामने आया. इससे बड़ा मुद्दा देश में नहीं हो सकता था. इस मुद्दे पर भाजपा चुनाव लड़ी और सफल हुई'. 'जैसा कि विदेशों में भी हम देख सकते हैं ट्रंप और इमरान खान जैसे राजनीतिक आज राष्ट्रवाद के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं'. दौलत ने कहा कि 'राष्ट्रवाद का यह दौर है जिस पर कांग्रेसी पिछड़ चुकी है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस प्रधानमंत्री पद के लिए एक बेहतर उम्मीदवार नहीं दे पाई'.
'भारी पड़ गया ये बयान'
उन्होंने कहा कि 'राहुल गांधी कांग्रेस की ओर से प्रोजेक्ट तो हुए लेकिन वो बार-बार यह कहते रहे कि मैं प्रधानमंत्री की दौड़ से बाहर हूं. इसकी वजह से जनता ने मोदी को चुनना बेहतर समझा'.
'मोदी के काम से खुश है जनता'
राजनांदगांव लोकसभा सीट के मतदाता भूषण राव का कहना है कि 'उन्होंने केवल मोदी जी के कामकाज को देखते हुए भाजपा को वोट दिया. इसकी वजह से बीजेपी की इस लोकसभा सीट पर जीत हुई'.