ETV Bharat / state

राजनांदगांव: वन भूमि अधिकार को लेकर 12 ग्राम पंचायत की बैठक, नहीं निकल सका हल - राजनांदगांव न्यूज

वन भूमि अधिकार और भूमि पट्टा के बंटवारे को लेकर विवाद के बीच मंगलवार को डोंगरगढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत कोटनापानी में 12 गांवों की बैठक हुई. बैठक के दौरान यह बात सामने आई है कि जब तक सीमा विवाद का हल नहीं निकलता तब तक मड़ियांन के नहर का पानी नहीं दिया जायेगा.

meeting-for-forest-land-rights
12 ग्राम पंचायतों की बैठक
author img

By

Published : Sep 8, 2020, 5:40 PM IST

Updated : Sep 8, 2020, 6:32 PM IST

राजनांदगांव/डोंगरगढ़ : वन अधिकार और वन भूमि पट्टा के बंटवारे को लेकर ग्राम पंचायतों के बीच असमंजस की स्थिति बन गई. हाल के वर्षों में हुए परिसीमन के बाद कई नए ग्राम पंचायतों का गठन हुआ था. लेकिन गठन के दौरान जमीन और अन्य वन भूमि के रिकॉर्ड को बदला नहीं गया था. ऐसे में नए गठित और पुराने ग्राम पंचायतों के बीच बटवारे को लेकर स्थिति गंभीर होती जा रही है. डोंगरगढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत कोटनापानी में मंगलवार को वन भूमि पट्टा की मांग को लेकर 12 गांवों की बैठक हुई. यहां भूमिहीन परिवारों को शासन के मापदंड अनुसार वन भूमि को कृषि योग्य बनाने और उसका वन अधिकार पट्टा प्रदान करने को लेकर चर्चा की गई. बैठक में ग्राम पंचायत कोटनापानी के अलावा आश्रित ग्राम दमऊदहरा पंचायत झिंझारी, बोरतलाव, बूढ़ानछापर, पिटेपानी, बागरेकसा, पीपरखार, मांगीखूटा,भालूकोन्हा समेत आसपास के गांव के सरपंच,पंच और ग्रामीण उपस्थित थे.

12 ग्राम पंचायतों की बैठक

पढ़ें: नागरिक आपूर्ति निगम और मार्कफेड का भुगतान करने छत्तीसगढ़ सरकार लेगी 700 करोड़ का कर्ज

सरकार पर तंज

छापर बूढ़ान के सरपंच उदय नेताम ने कहा कि जंगल की सुरक्षा हम गांव वाले करते हैं. वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी नहीं यह जंगल हमारा है. हम छत्तीसगढ़ के वनवासी है बाद में मूल निवासी का नाम दिया गया.उन्होंने इस दौरान राज्य सरकार पर हमला बोला और ग्रामीणों को इस मुद्दे पर एक होने की नसीहत दी. उदय नेताम ने कहा कि मड़ियांन और दमऊदहरा के बंटवारे में जब हर एक चीज का बंटवारा हुआ है. तो वह क्षेत्र का क्यों नहीं किया गया. वहीं जिला पंचायत सदस्य और महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रामक्षत्रिय चन्द्रवंशी ने कहा कि वन अधिकार पट्टे के लिए तन,मन, धन से मजबूत होकर एकजुट होने की आवश्यकता है. तभी समस्या का हल हो सकता है. जो पात्र हैं उसे उसका अधिकार मिलना चाहिए.

पढ़ें: रायपुर: प्रदेश में जल्द होगा एथेनॉल का उत्पादन, चार कंपनियों के साथ हुआ MOU

मड़ियांन को नहीं मिलेगा नहर का पानी

बैठक में ग्राम दमऊदहरा वन समिति के अध्यक्ष और ग्राम पंचायत कोटनापानी के सरपंच प्रतिनिधि गनीराम चन्द्रवंशी ने बताया कि वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की लापरवाही और मड़ियांन क्षेत्र के प्रभावशील व्यक्ति के दबाव में वन क्षेत्र का बंटवारा नहीं किया गया. जिसके चलते आज वन सीमा को लेकर मड़ियांन और दमऊदहरा के ग्रामीणों के बीच में विवाद चल रहा है. उन्होंने बताया कि जिस तरह दो भाइयों में जायदाद का बंटवारा होता है तो हर चीज बराबर बांटी जाती है, उसी तरह जब ग्राम दमऊदहरा जो वर्षो तक मड़ियांन पंचायत का आश्रित ग्राम रहा है. मड़ियांन से अलग होकर ग्राम पंचायत कोटनापानी का आश्रित ग्राम बना तो, राजस्व और खार का बंटवारा तो किया गया. लेकिन वन सीमा का बंटवारा नहीं किया गया. जिसके चलते आज भी दमऊदहरा की वन सीमा मड़ियांन के सीमा क्षेत्र में दर्शायी जाती है. जब तक यह सीमा विवाद का हल नहीं निकलता तब तक मड़ियांन को नहर का पानी नहीं दिया जायेगा.

राजनांदगांव/डोंगरगढ़ : वन अधिकार और वन भूमि पट्टा के बंटवारे को लेकर ग्राम पंचायतों के बीच असमंजस की स्थिति बन गई. हाल के वर्षों में हुए परिसीमन के बाद कई नए ग्राम पंचायतों का गठन हुआ था. लेकिन गठन के दौरान जमीन और अन्य वन भूमि के रिकॉर्ड को बदला नहीं गया था. ऐसे में नए गठित और पुराने ग्राम पंचायतों के बीच बटवारे को लेकर स्थिति गंभीर होती जा रही है. डोंगरगढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत कोटनापानी में मंगलवार को वन भूमि पट्टा की मांग को लेकर 12 गांवों की बैठक हुई. यहां भूमिहीन परिवारों को शासन के मापदंड अनुसार वन भूमि को कृषि योग्य बनाने और उसका वन अधिकार पट्टा प्रदान करने को लेकर चर्चा की गई. बैठक में ग्राम पंचायत कोटनापानी के अलावा आश्रित ग्राम दमऊदहरा पंचायत झिंझारी, बोरतलाव, बूढ़ानछापर, पिटेपानी, बागरेकसा, पीपरखार, मांगीखूटा,भालूकोन्हा समेत आसपास के गांव के सरपंच,पंच और ग्रामीण उपस्थित थे.

12 ग्राम पंचायतों की बैठक

पढ़ें: नागरिक आपूर्ति निगम और मार्कफेड का भुगतान करने छत्तीसगढ़ सरकार लेगी 700 करोड़ का कर्ज

सरकार पर तंज

छापर बूढ़ान के सरपंच उदय नेताम ने कहा कि जंगल की सुरक्षा हम गांव वाले करते हैं. वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी नहीं यह जंगल हमारा है. हम छत्तीसगढ़ के वनवासी है बाद में मूल निवासी का नाम दिया गया.उन्होंने इस दौरान राज्य सरकार पर हमला बोला और ग्रामीणों को इस मुद्दे पर एक होने की नसीहत दी. उदय नेताम ने कहा कि मड़ियांन और दमऊदहरा के बंटवारे में जब हर एक चीज का बंटवारा हुआ है. तो वह क्षेत्र का क्यों नहीं किया गया. वहीं जिला पंचायत सदस्य और महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रामक्षत्रिय चन्द्रवंशी ने कहा कि वन अधिकार पट्टे के लिए तन,मन, धन से मजबूत होकर एकजुट होने की आवश्यकता है. तभी समस्या का हल हो सकता है. जो पात्र हैं उसे उसका अधिकार मिलना चाहिए.

पढ़ें: रायपुर: प्रदेश में जल्द होगा एथेनॉल का उत्पादन, चार कंपनियों के साथ हुआ MOU

मड़ियांन को नहीं मिलेगा नहर का पानी

बैठक में ग्राम दमऊदहरा वन समिति के अध्यक्ष और ग्राम पंचायत कोटनापानी के सरपंच प्रतिनिधि गनीराम चन्द्रवंशी ने बताया कि वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की लापरवाही और मड़ियांन क्षेत्र के प्रभावशील व्यक्ति के दबाव में वन क्षेत्र का बंटवारा नहीं किया गया. जिसके चलते आज वन सीमा को लेकर मड़ियांन और दमऊदहरा के ग्रामीणों के बीच में विवाद चल रहा है. उन्होंने बताया कि जिस तरह दो भाइयों में जायदाद का बंटवारा होता है तो हर चीज बराबर बांटी जाती है, उसी तरह जब ग्राम दमऊदहरा जो वर्षो तक मड़ियांन पंचायत का आश्रित ग्राम रहा है. मड़ियांन से अलग होकर ग्राम पंचायत कोटनापानी का आश्रित ग्राम बना तो, राजस्व और खार का बंटवारा तो किया गया. लेकिन वन सीमा का बंटवारा नहीं किया गया. जिसके चलते आज भी दमऊदहरा की वन सीमा मड़ियांन के सीमा क्षेत्र में दर्शायी जाती है. जब तक यह सीमा विवाद का हल नहीं निकलता तब तक मड़ियांन को नहर का पानी नहीं दिया जायेगा.

Last Updated : Sep 8, 2020, 6:32 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.