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परिवर्तनी एकादशी 2021: इस बार मिलेगा 'वाजपये' यज्ञ का फल - Fruit of Vajpayee Yagya

रायपुर परिवर्तनीय एकादशी (Variable Ekadashi) को जलझूलनी एकादशी (Jaljulni Ekadashi)-वामन एकादशी (Vamana Ekadashi) या पदमा एकादशी (Ekadashi in the post) के तौर पर भी जाना जाता है. इस पर्व की तैयारियों को लेकर राजधानी रायपुर में श्रद्धालुओं (pilgrims) में गजब का उत्साह (great enthusiasm) है.

Variksha Ekadashi will be celebrated on 17th September
17 सितंबर को मनाया जाएगा परिवर्तनी एकादशी
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Published : Sep 14, 2021, 9:59 PM IST

Updated : Sep 14, 2021, 10:08 PM IST

रायपुरः परिवर्तनीय एकादशी को जलझूलनी एकादशी, वामन एकादशी या पदमा एकादशी भी कहा जाता है. यांत्रिकी-तकनीक (mechanics techniques) आदि के देवता भगवान विश्वकर्मा का भी इसी दिन पूजन दिवस है.

परिवर्तनी एकादशी 2021

अभियांत्रिकी तकनीक आदि से जुड़े हुए लोग भी विश्वकर्मा (Vishwakarma) का धूमधाम से पूजा (worship with pomp) आराधना और साधना (worship and meditation) करते हैं. भगवान विश्वकर्मा को वास्तु तकनीक का प्रमुख देवता माना गया है.

परिवर्तनीय एकादशी के दिन श्रवण-नक्षत्र (Shravan Nakshatra) अतिगंड योग विष्कुंभ और भव करण का संयोग बन रहा है. इस दिन मकर राशि (Capricorn) में चंद्रमा विद्यमान रहेगा गजकेसरी योग का सुंदर संयोग (beautiful coincidence) बन रहा है.

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योगाभ्यास और ध्यान के बाद रखें व्रत

परिवर्तनीय एकादशी के दिन मान्यता है कि श्रीहरि विष्णु (Srihari Vishnu) सोते हुए अपनी करवट बदलते हैं. जिस दिन प्रातः काल (early morning) उठ कर योगाभ्यास (yoga practice) और ध्यान (Attention) से निवृत्त होकर एकादशी का व्रत (Ekadashi fasting) किया जाता है, इस दिन साफ-सुथरे और सुंदर कपड़े पहनने का विधान है.

श्रीहरि विष्णु को अबीर-गुलाल, चंदन, रोली बंधन, सिंदूर, सुंदर पुष्पक के साथ मिठाई, ऋतु फल (season fruit) और पान का भोग लगाया जाता है. गंगा के जल से श्रीहरि विष्णु को अर्ध्य (bow to Vishnu) दिया जाता है. इस दिन व्रत करना शुभ फल देता है. अनेक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से 'वाजपये' यज्ञ के बराबर का परिणाम मिलता है. इस दिन फलाहार करने का विधान है. शुक्रवार को एकादशी का व्रत प्रणाम परम मंगलकारी है. इस व्रत को करने से अनेक कामनाएं पूर्ण होती है. भगवान वामन जयंती भी इसी दिन मनाई जाती है.

रायपुरः परिवर्तनीय एकादशी को जलझूलनी एकादशी, वामन एकादशी या पदमा एकादशी भी कहा जाता है. यांत्रिकी-तकनीक (mechanics techniques) आदि के देवता भगवान विश्वकर्मा का भी इसी दिन पूजन दिवस है.

परिवर्तनी एकादशी 2021

अभियांत्रिकी तकनीक आदि से जुड़े हुए लोग भी विश्वकर्मा (Vishwakarma) का धूमधाम से पूजा (worship with pomp) आराधना और साधना (worship and meditation) करते हैं. भगवान विश्वकर्मा को वास्तु तकनीक का प्रमुख देवता माना गया है.

परिवर्तनीय एकादशी के दिन श्रवण-नक्षत्र (Shravan Nakshatra) अतिगंड योग विष्कुंभ और भव करण का संयोग बन रहा है. इस दिन मकर राशि (Capricorn) में चंद्रमा विद्यमान रहेगा गजकेसरी योग का सुंदर संयोग (beautiful coincidence) बन रहा है.

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योगाभ्यास और ध्यान के बाद रखें व्रत

परिवर्तनीय एकादशी के दिन मान्यता है कि श्रीहरि विष्णु (Srihari Vishnu) सोते हुए अपनी करवट बदलते हैं. जिस दिन प्रातः काल (early morning) उठ कर योगाभ्यास (yoga practice) और ध्यान (Attention) से निवृत्त होकर एकादशी का व्रत (Ekadashi fasting) किया जाता है, इस दिन साफ-सुथरे और सुंदर कपड़े पहनने का विधान है.

श्रीहरि विष्णु को अबीर-गुलाल, चंदन, रोली बंधन, सिंदूर, सुंदर पुष्पक के साथ मिठाई, ऋतु फल (season fruit) और पान का भोग लगाया जाता है. गंगा के जल से श्रीहरि विष्णु को अर्ध्य (bow to Vishnu) दिया जाता है. इस दिन व्रत करना शुभ फल देता है. अनेक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से 'वाजपये' यज्ञ के बराबर का परिणाम मिलता है. इस दिन फलाहार करने का विधान है. शुक्रवार को एकादशी का व्रत प्रणाम परम मंगलकारी है. इस व्रत को करने से अनेक कामनाएं पूर्ण होती है. भगवान वामन जयंती भी इसी दिन मनाई जाती है.

Last Updated : Sep 14, 2021, 10:08 PM IST
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