रायपुर: हर साल 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता संरक्षण दिवस मनाया जाता है. इस दिन को उपभोक्ता के हितों को ध्यान में रखते हुए हर साल 15 मार्च को मनाया जाता है. इसका उद्देश्य उभोक्ताओं को उनके हितों के लिए बनाए गए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम और उसके अंतर्गत आने वाले कानूनों की जानकारी देना है.
बाजार में धड़ल्ले से चल रही जमाखोरी, कालाबाजारी, मिलावटी सामग्री का वितरण, अधिक दाम वसूलना, बिना मानक वस्तुओं की बिक्री, ठगी, नाप-तौप में अनियमितता, ग्यारंटी के बाद सर्विस प्रदान नहीं करने के अलावा ग्राहकों के प्रति होने वाले अपराधों को देखते हुए इस दिन जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं.
साल 1966 में मुंबई से उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत भारत में हुई थी. साल 1974 में पुणे में ग्राहक पंचायत की स्थापना के बाद अनेक राज्यों में उपभोक्ता कल्याण हेतु संस्थाओं का गठन किया गया और ये आंदोलन बढ़ता गया.
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सुरक्षा का अधिकार: हर ग्राहक को खतरनाक वस्तुओं और सेवाओं के विपणन के खिलाफ सुरक्षा का अधिकार है. सभी नागरिकों के सुरक्षित और सुरक्षित जीवन को सुनिश्चित करने के लिए यह अधिकार दिया गया है. इस अधिकार में उपभोक्ताओं के दीर्घकालिक हितों के साथ-साथ उनकी वर्तमान जरूरतों के लिए चिंता भी शामिल है.
जानने का अधिकार: ग्राहकों को वस्तुओं या सेवाओं की गुणवत्ता, मात्रा, शुद्धता, मानक और कीमत के बारे में उचित जानकारी मिलनी चाहिए. इससे उपभोक्ता कई तरह की गलत चीजों से अपना बचाव कर सकता है. इस प्रकार सभी प्रासंगिक जानकारी की आपूर्ति करने की जिम्मेदारी निर्माता की होती है.
पसंद का अधिकारः हर ग्राहक को अपनी पसंद नापसंद के अनुसार सामान या सेवाओं को चुनने का अधिकार है. चुनने के अधिकार का अर्थ उचित मूल्य पर उत्पादों और सेवाओं की उपलब्धता, क्षमता और पहुंच का आश्वासन देना होता है.