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जानबूझकर वन विभाग ने की गर्भवती हाथी गंगा से क्रूरता : वन्यजीव प्रेमी

वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने छत्तीसगढ़ वन विभाग पर गंगा हाथी के साथ क्रूरता करने का आरोप लगाया है.

Ganga elephant
हाथी गंगा
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Published : Dec 20, 2019, 11:12 PM IST

रायपुर : राजधानी रायपुर के नितिन सिंघवी ने छत्तीसगढ़ वन विभाग पर भारत सरकार की गाइडलाइंस को ताक पर रखकर हाथियों के साथ क्रूरता करने का आरोप लगाया है. सिंघवी ने गंगा हाथी के साथ प्रेगनेंसी की हालत में क्रूरता करने का आरोप लगाया है साथ ही उन्होंने एनिमल वेलफेयर बोर्ड को पत्र लिखकर विभाग के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

वन विभाग पर आरोप

बलरामपुर के जंगलों में विचरण कर रहे बहरादेव नामक जख्मी जंगली हाथी के इलाज के संबंध में हथनी गंगा ने 19 दिसंबर को एक शावक को जन्म दिया है. वन विभाग के सर्वोच्च अधिकारी के अनुसार वन विभाग को मालूम था कि गंगा गर्भवती है और उनके अनुसार उसकी देखभाल की जा रही थी. पूरी जानकारी से अवगत होने के बाद भी एडवांस स्टेज की गर्भवती गंगा को तमोर पिंगला के रेस्क्यू सेंटर से एक दिन में 70 किलोमीटर पैदल चलवा कर बलरामपुर के राजपुर परिक्षेत्र के रेवतपुर में भेजा गया था.

भारत सरकार की गाइडलाइन का उल्लंघन
8 जनवरी 2008 को जारी की गई भारत सरकार की गाइडलाइंस फॉर फेयर एंड मैनेजमेंट ऑफ कैपटिव एलीफेंट के अनुसार किसी भी सामान्य और स्वस्थ्य हाथी को भी एक दिन में 30 किलोमीटर से ज्यादा पैदल नहीं चलाया जा सकता, लेकिन छत्तीसगढ़ वन विभाग ने एडवांस स्टेज की गर्भवती गंगा को एक दिन में 70 किलोमीटर चलवा दिया, वह भी ये जानते हुए की जंगल में बहरादेव के साथ युद्ध की स्थिति निर्मित हो सकती है गर्भवती गंगा को वहा ले जाया गया, जबकि गंगा प्रशिक्षित कुनकी हाथी नहीं है.

वन विभाग पर लगाया हाथियों पर क्रूरता का आरोप
सिंघवी ने आरोप लगाया कि इसके पहले भी गंगा पर वन विभाग क्रूरता करता रहा है, और पूरी गर्भावस्था के दौरान गंगा के साथ क्रूरता की गई है. छत्तीसगढ़ वन विभाग कर्णाटक से 5 कैंप हाथियों को कुनकी बनाने के लिए जनवरी 2018 में लाया था. जिसके बाद कुनकी का प्रशिक्षण देने के दौरान हाथियों पर लोहे के पॉइंटेड अंकुश से प्रताड़ित किया गया.

गंगा पर वन विभाग क्रूर
13 महीने की गर्भवती गंगा को ट्रक में सिरपुर के तमोर पिंगला हाथी रेस्क्यू सेंटर भेजा गया था. इस दौरान गणेश हाथी से युद्ध के लिए तमोर पिंगला से कोरबा ले जाया गया है. सिंघवी ने बताया की गंगा के साथ किया कृत्य जीव-जन्तुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम 1960 का उलंघन है.
इसी प्रकार 5 तथाकथित कुनकी हाथियों को तमोर पिंगला के जिस रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है, वन विभाग उसे अवैध रूप से केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की मान्यता के बिना चला रहा है, इसलिए उन्हें भी क्रूरता के मद्दे नजर मान्यता न देने हेतु पत्र लिखा गया है.

रायपुर : राजधानी रायपुर के नितिन सिंघवी ने छत्तीसगढ़ वन विभाग पर भारत सरकार की गाइडलाइंस को ताक पर रखकर हाथियों के साथ क्रूरता करने का आरोप लगाया है. सिंघवी ने गंगा हाथी के साथ प्रेगनेंसी की हालत में क्रूरता करने का आरोप लगाया है साथ ही उन्होंने एनिमल वेलफेयर बोर्ड को पत्र लिखकर विभाग के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

वन विभाग पर आरोप

बलरामपुर के जंगलों में विचरण कर रहे बहरादेव नामक जख्मी जंगली हाथी के इलाज के संबंध में हथनी गंगा ने 19 दिसंबर को एक शावक को जन्म दिया है. वन विभाग के सर्वोच्च अधिकारी के अनुसार वन विभाग को मालूम था कि गंगा गर्भवती है और उनके अनुसार उसकी देखभाल की जा रही थी. पूरी जानकारी से अवगत होने के बाद भी एडवांस स्टेज की गर्भवती गंगा को तमोर पिंगला के रेस्क्यू सेंटर से एक दिन में 70 किलोमीटर पैदल चलवा कर बलरामपुर के राजपुर परिक्षेत्र के रेवतपुर में भेजा गया था.

भारत सरकार की गाइडलाइन का उल्लंघन
8 जनवरी 2008 को जारी की गई भारत सरकार की गाइडलाइंस फॉर फेयर एंड मैनेजमेंट ऑफ कैपटिव एलीफेंट के अनुसार किसी भी सामान्य और स्वस्थ्य हाथी को भी एक दिन में 30 किलोमीटर से ज्यादा पैदल नहीं चलाया जा सकता, लेकिन छत्तीसगढ़ वन विभाग ने एडवांस स्टेज की गर्भवती गंगा को एक दिन में 70 किलोमीटर चलवा दिया, वह भी ये जानते हुए की जंगल में बहरादेव के साथ युद्ध की स्थिति निर्मित हो सकती है गर्भवती गंगा को वहा ले जाया गया, जबकि गंगा प्रशिक्षित कुनकी हाथी नहीं है.

वन विभाग पर लगाया हाथियों पर क्रूरता का आरोप
सिंघवी ने आरोप लगाया कि इसके पहले भी गंगा पर वन विभाग क्रूरता करता रहा है, और पूरी गर्भावस्था के दौरान गंगा के साथ क्रूरता की गई है. छत्तीसगढ़ वन विभाग कर्णाटक से 5 कैंप हाथियों को कुनकी बनाने के लिए जनवरी 2018 में लाया था. जिसके बाद कुनकी का प्रशिक्षण देने के दौरान हाथियों पर लोहे के पॉइंटेड अंकुश से प्रताड़ित किया गया.

गंगा पर वन विभाग क्रूर
13 महीने की गर्भवती गंगा को ट्रक में सिरपुर के तमोर पिंगला हाथी रेस्क्यू सेंटर भेजा गया था. इस दौरान गणेश हाथी से युद्ध के लिए तमोर पिंगला से कोरबा ले जाया गया है. सिंघवी ने बताया की गंगा के साथ किया कृत्य जीव-जन्तुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम 1960 का उलंघन है.
इसी प्रकार 5 तथाकथित कुनकी हाथियों को तमोर पिंगला के जिस रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है, वन विभाग उसे अवैध रूप से केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की मान्यता के बिना चला रहा है, इसलिए उन्हें भी क्रूरता के मद्दे नजर मान्यता न देने हेतु पत्र लिखा गया है.

Intro:वन्यजीव प्रेमी ने लगाया वन विभाग पर आरोप,जानबूझकर गर्भवती हथनी गंगा के साथ की क्रूरता

एनिमल वेलफेयर बोर्ड से की गई शिकायत......

केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से रेस्क्यू सेंटर को मान्यता न देने के लिए भी लिखा गया पत्र.

रायपुर के नितिन सिंघवी ने वन विभाग पर भारत सरकार की गाइडलाइंस को ताक पर रखकर हाथियों के साथ लगातार जानबूझकर क्रूरता करने का आरोप लगाया है. बलरामपुर के जंगलो में विचरण कर रहे बहरादेव नामक जख्मी जंगली हाथी के इलाज के संबंध में भेजी गई हथनी गंगा ने 19 दिसंबर को एक शावक को जन्म दिया है. वन विभाग के सर्वोच्च अधिकारी के अनुसार वन विभाग को मालूम था कि गंगा गर्भवती है और उनके अनुसार उसकी देखभाल की जा रही थी. पूर्ण जानकारी से अवगत होने के बावजूद भी एडवांस स्टेज की प्रिगनेंट गंगा को तमोर पिंगला के रेस्क्यू सेंटर से एक दिन में 70 किलोमीटर पैदल चलवा कर बलरामपुर के राजपुर परिक्षेत्र के रेवतपुर में भिजवाया गयाBody:भारत सरकार की गाइडलाइंस फॉर फेयर एंड मैनेजमेंट ऑफ कैपटिव एलीफेंट जो कि 8 जनवरी 2008 को जारी की गई है के अनुसार किसी भी सामान्य और स्वस्थ हाथी को भी 1 दिन में 30 किलोमीटर से ज्यादा पैदल नहीं चलाया जा सकता परंतु छत्तीसगढ़ वन विभाग ने क्रूरता की सभी हदें पार करते हुए एडवांस स्टेज की प्रिगनेंट गंगा को 1 दिन में 70 किलोमीटर चलवा दिया, वह भी यह जानते हुए की जंगल में बहरादेव के साथ युद्ध की स्थिति निर्मित हा सकती है और ऐसी स्थिति निर्मित होने पर जंगली हाथी ही एक सामान्य हाथी पर हावी हो कर गंभीर रूप से चोटिल कर सकता है. गौरतलब है कि गंगा भी अन्य कुनकी हाथियों की तरह प्रशिक्षित कुनकी नहीं है.

सिंघवी ने आरोप लगाया कि इसके पूर्व भी गंगा पर वन विभाग क्रूरता करता रहा है और पूरी गर्भावस्था के दौरान गंगा के साथ क्रूरता की गई है. छत्तीसगढ़ वन विभाग कर्णाटक से 5 कैंप हाथियों को कुनकी बनाने के लिए जनवरी 2018 में लाया था. जनता को बताया गया की प्रशिक्षित कुनकी लाये है. कुनकी का प्रशिक्षिण देने के दौरान और बाद में प्रतिबंधित लोहे के पॉइंटेड अंकुश से प्रताड़ित किया जाता रहा है.
बाईट नितिन सिंघवी वन्यजीव प्रेमी

*पूर्व में भी भारत सरकार की गाइडलाइंस का उलंगन कर गंगा के साथ क्रूरता की गई:-*

गंगा जब 13 माह की गर्भवती थी तब उसे ट्रक मैं खड़े खड़े, मार्च 2019 में महासमुंद के सिरपुर से तमोर पिंगला हाथी रेस्क्यू सेंटर भेजा गया. हाथियों के मामले में 13 माह की प्रेगनेंसी एडवांस स्टेज की प्रेगनेंसी मानी जाती है. हथनी का गर्भधारण का समय 22 माह का होता है. इस संबंध में भी छत्तीसगढ़ वन विभाग ने भारत सरकार की उपरोक्त गाइडलाइन का उल्लंघन किया जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि एडवांस स्टेज में प्रेग्नेंट हथिनी को ट्रक द्वारा ट्रांसपोर्ट नहीं किया जावेगा.

*गर्भधारण की अवस्था में ट्रक में खड़ा कर गंगा को घुमाता रहा वन विभाग÷*

गणेश हाथी से युद्ध कराने के लिए भी एडवांस स्टेज की प्रेग्नेंट गंगा को जब वह 17-18 माह की गर्भवती थी तब जुलाई 2019 में तमोर पिंगला से कोरबा ट्रक से भेजा और ट्रक से ही वापस लाया गया था.

सिंघवी ने बताया कि गंगा के साथ किया गया कृत्य अमानवीयता के साथ साथ जीव जन्तुओ के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम 1960 का उलंघन है इसलिए उन्होंने एनिमल वेलफेयर बोर्ड को पत्र लिख कर कार्यवाही की मांग की है. इसी प्रकार पांचो तथाकथित कुनकी हाथियों को तमोर पिंगला स्थित जिस रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है वह वन विभाग द्वारो अवैध रूप से केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की मान्यता के बिना चलाया जा रहा है, इस लिए उन्हे भी क्रूरता के मद्दे नजर मान्यता न देने हेतु पत्र लिखा गया है.Conclusion:
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