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कृषि कानून और विवाद: किसानों के हितों की रक्षा के लिए क्या कदम उठा सकती है छत्तीसगढ़ सरकार

मोदी सरकार के कृषि कानून 2020 पर देश के अलग-अलग राज्यों में सियासत जारी है. इसमें पंजाब सरकार ने कई संशोधन भी कर दिए हैं. पंजाब के बाद देश का दूसरा गैर बीजेपी शासित राज्य छत्तीसगढ़ में इसमें संशोधन के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जा रहा है. 27 और 28 अक्टूबर को होने जा रहे विशेष सत्र में किसानों के मुद्दे पर कई फैसले लिए जाने की संभावना जताई जा रही है.

chhattisgarh government vidhan Sabha special session on agriculture bill
छत्तीसगढ़ विधानसभा
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Published : Oct 22, 2020, 9:30 PM IST

Updated : Oct 22, 2020, 9:59 PM IST

रायपुर: केंद्र सरकार ने जब से कृषि से जुड़े तीन बिल पास किए हैं. तभी से कई किसान संगठन और कांग्रेस इसका विरोध कर रही है. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित करने जा रही है. 27 और 28 अक्टूबर को आयोजित होने जा रहे इस विशेष सत्र में प्रदेश के किसानों पर विशेष नजर है. उन्हें सरकार से क्या उम्मीदें हैं या किसानों के लिए भूपेश सरकार क्या कदम उठा सकती है इस पर ETV भारत ने जानकारों से चर्चा की है.

कृषि कानून पर क्या कदम उठा सकती है छत्तीसगढ़ सरकार

इस मामले को लेकर अबतक हुई सियासत से साफ है कि भाजपा और कांग्रेस संसद में पास कृषि बिल को लेकर अभी कई बार टकराने के मूड में है. छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र सरकार के बिल को लेकर शुरू से आपत्ति जताई है. वरिष्ठ मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा था कि हमें अपने राज्य में किसानों के हित में नया कानून बनाने से कोई नहीं रोक सकता. इसके बाद से किसान संगठनों की उम्मीद जगी है कि विशेष सत्र में उनके पक्ष में बड़ा फैसला हो सकता है.

किसान संगठन की प्रमुख मांगें-

कृषि बिल को लेकर अखिल भारतीय किसान महासंघ ने कुछ सुझाव दिए थे, इन्हीं में से कुछ सुधार की उम्मीद छत्तीसगढ़ सरकार से है.

  • न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी को जारी रखने की गारंटी देते हुए, तय न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दर पर खरीदी को दंडनीय अपराध माना जाए.
  • धान के साथ ही दलहन और तिलहन का भी समर्थन मूल्य तय होना चाहिए.
  • अनुबंध खेती में किसानों को भुगतान की गारंटी बैंक या सरकार प्रदान करे.
  • किसी भी हाल में फसल के खराब होने या उत्पादन में कमी आने का जोखिम अनुबंध खेती करवाने वाली संस्था/कंपनी वहन करे.
  • किसानों के साथ अनुबंध में विवाद की स्थिति में विवादों के निपटारे के लिए, निशुल्क न्याय देने के लिए, जिला स्तर पर एक पर्याप्त अधिकार प्राप्त 'विवाद निपटारा समिति' का गठन किया जाए.
  • समिति में अनिवार्य रूप से दो तिहाई संख्या में स्थानीय किसान प्रतिनिधियों को किसान की अध्यक्षता में सम्मिलित किया जाए.

27-28 अक्टूबर को विशेष सत्र

छत्तीसगढ़ में भी कृषि कानूनों को लेकर 27 और 28 अक्टूबर को सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाई है. इसके लिए सरकार ने राज्यपाल की मंजूरी के लिए प्रस्ताव भी भेजा लेकिन राजभवन ने फाइल लौटाकर ये पूछा है कि, 58 दिन पहले ही जब सत्र आहूत किया गया था, तो ऐसी कौन सी परिस्थिति आ गई है कि विशेष सत्र बुलाए जाने की जरूरत पड़ रही है? विशेष सत्र बुलाए जाने से संबंधित फाइल सरकार को लौटाने के बाद राजभवन और सरकार के बीच टकराव और तेज हो गए हैं.

किसान नेताओं ने पंजाब में बनाई गई व्यवस्था से बेहतर नियम बनाने की मांग की है. गौरतलब है पंजाब सरकार ने भी किसानों के अधिकतम समर्थन मूल्य में खरीदी करने के लिए नियम बनाए हैं.

पंजाब सरकार ने ये 3 बिल पेश किए

  • फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) स्पेशल प्रोविजंस एंड पंजाब अमेंडमेंट बिल
  • द एसेंशियल कमोडिटीज (स्पेशल प्रोविजंस एंड पंजाब अमेंडमेंट) बिल
  • द फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज (स्पेशल प्रोविजंस एंड पंजाब अमेंडमेंट बिल)

रायपुर: केंद्र सरकार ने जब से कृषि से जुड़े तीन बिल पास किए हैं. तभी से कई किसान संगठन और कांग्रेस इसका विरोध कर रही है. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित करने जा रही है. 27 और 28 अक्टूबर को आयोजित होने जा रहे इस विशेष सत्र में प्रदेश के किसानों पर विशेष नजर है. उन्हें सरकार से क्या उम्मीदें हैं या किसानों के लिए भूपेश सरकार क्या कदम उठा सकती है इस पर ETV भारत ने जानकारों से चर्चा की है.

कृषि कानून पर क्या कदम उठा सकती है छत्तीसगढ़ सरकार

इस मामले को लेकर अबतक हुई सियासत से साफ है कि भाजपा और कांग्रेस संसद में पास कृषि बिल को लेकर अभी कई बार टकराने के मूड में है. छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र सरकार के बिल को लेकर शुरू से आपत्ति जताई है. वरिष्ठ मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा था कि हमें अपने राज्य में किसानों के हित में नया कानून बनाने से कोई नहीं रोक सकता. इसके बाद से किसान संगठनों की उम्मीद जगी है कि विशेष सत्र में उनके पक्ष में बड़ा फैसला हो सकता है.

किसान संगठन की प्रमुख मांगें-

कृषि बिल को लेकर अखिल भारतीय किसान महासंघ ने कुछ सुझाव दिए थे, इन्हीं में से कुछ सुधार की उम्मीद छत्तीसगढ़ सरकार से है.

  • न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी को जारी रखने की गारंटी देते हुए, तय न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दर पर खरीदी को दंडनीय अपराध माना जाए.
  • धान के साथ ही दलहन और तिलहन का भी समर्थन मूल्य तय होना चाहिए.
  • अनुबंध खेती में किसानों को भुगतान की गारंटी बैंक या सरकार प्रदान करे.
  • किसी भी हाल में फसल के खराब होने या उत्पादन में कमी आने का जोखिम अनुबंध खेती करवाने वाली संस्था/कंपनी वहन करे.
  • किसानों के साथ अनुबंध में विवाद की स्थिति में विवादों के निपटारे के लिए, निशुल्क न्याय देने के लिए, जिला स्तर पर एक पर्याप्त अधिकार प्राप्त 'विवाद निपटारा समिति' का गठन किया जाए.
  • समिति में अनिवार्य रूप से दो तिहाई संख्या में स्थानीय किसान प्रतिनिधियों को किसान की अध्यक्षता में सम्मिलित किया जाए.

27-28 अक्टूबर को विशेष सत्र

छत्तीसगढ़ में भी कृषि कानूनों को लेकर 27 और 28 अक्टूबर को सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाई है. इसके लिए सरकार ने राज्यपाल की मंजूरी के लिए प्रस्ताव भी भेजा लेकिन राजभवन ने फाइल लौटाकर ये पूछा है कि, 58 दिन पहले ही जब सत्र आहूत किया गया था, तो ऐसी कौन सी परिस्थिति आ गई है कि विशेष सत्र बुलाए जाने की जरूरत पड़ रही है? विशेष सत्र बुलाए जाने से संबंधित फाइल सरकार को लौटाने के बाद राजभवन और सरकार के बीच टकराव और तेज हो गए हैं.

किसान नेताओं ने पंजाब में बनाई गई व्यवस्था से बेहतर नियम बनाने की मांग की है. गौरतलब है पंजाब सरकार ने भी किसानों के अधिकतम समर्थन मूल्य में खरीदी करने के लिए नियम बनाए हैं.

पंजाब सरकार ने ये 3 बिल पेश किए

  • फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) स्पेशल प्रोविजंस एंड पंजाब अमेंडमेंट बिल
  • द एसेंशियल कमोडिटीज (स्पेशल प्रोविजंस एंड पंजाब अमेंडमेंट) बिल
  • द फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज (स्पेशल प्रोविजंस एंड पंजाब अमेंडमेंट बिल)
Last Updated : Oct 22, 2020, 9:59 PM IST
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