रायपुर: रामचरितमानस भारतीय संस्कृति की अमूल्य निधि है. यह हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं. गोस्वामी तुलसीदास ने इसकी रचना की थी. यह ग्रंथ आस्था से जुड़ा हुआ है. रामचरितमानस की हर चौपाई और मंत्र लोगों को अच्छी सीख देती है. कुछ चौपाईयां ऐसी भी हैं, जिनसे कितना भी बड़ा संकट क्यों न आ जाए, उससे तुरंत छुटकारा मिल जाता है. जीवन में बड़ा बदलाव होता है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
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रामचरितमानस अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा 16 वीं सदी में रचित प्रसिद्ध ग्रन्थ है. इस ग्रन्थ को अवधी साहित्य (हिंदी साहित्य) की एक महान कृति माना जाता है. इसे सामान्यतः 'तुलसी रामायण' या 'तुलसीकृत रामायण' भी कहा जाता है. रामचरितमानस का भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान है. उत्तर भारत में 'रामायण' के रूप में बहुत से लोगों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है. शरद नवरात्रि में इसके सुन्दर काण्ड का पाठ पूरे नौ दिन किया जाता है.
रामचरितमानस में राम का अवतार: रामचरितमानस के नायक राम हैं, जिनको मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में दर्शाया गया है. वह अखिल ब्रह्माण्ड के स्वामी हरि नारायण भगवान के अवतार हैं. महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में राम को एक आदर्श चरित्र मानव के रूप में दिखाया गया है, जो सम्पूर्ण मानव समाज को यह सिखाता है कि जीवन को किस प्रकार जिया जाए, भले ही कितनी बाधाएं आएं. तुलसी के राम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं. गोस्वामी तुलसीदास ने अनुपम शैली में दोहों, चौपाइयों, सोरठों और छंद का आश्रय लेकर भगवान राम के जीवन से जुड़े सभी प्रसंगों का वर्णन किया है.