ETV Bharat / state

SPECIAL: कोरोना काल में भी नापाक मंसूबे, नक्सलियों के शहीदी सप्ताह का विरोध शुरू - ग्रामीणों ने किया नक्लसलियों का विरोध

छत्तीसगढ़ में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. वहीं महामारी के इस दौर में भी नक्सली शहीदी सप्ताह मना रहे हैं. लगातार सुरक्षाबल नक्सलियों के बनाए शहीद स्मारक को ध्वस्त कर रहे हैं, ताकि नक्सली सभाएं न कर सकें. नक्सल इलाकों में ग्रामीण और जवानों की काउंसलिंग और अवेयरनेस के लिए काम करने वाली डॉक्टर वर्णिका शर्मा ने इस मुद्दे पर ETV भारत में अपनी बात रखी है.

chhattisgarh naxal news
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का शहीदी सप्ताह
author img

By

Published : Aug 2, 2020, 7:03 PM IST

Updated : Aug 2, 2020, 8:00 PM IST

रायपुर: देश में लगातार कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. छत्तीसगढ़ में भी कोरोना संक्रमण की स्थिति भयावह होती जा रही है. संकट काल में भी नक्सली अपनी आदात से बाज नहीं आ रहे हैं. महामारी के इस दौर में भी नक्सली संगठन सुरक्षाबलों के ऑपरेशन में मारे गए नक्सलियों की याद में शहीदी सप्ताह मना रहे हैं. इस साल 28 जुलाई से 3 अगस्त तक नक्सलियों ने शहीदी सप्ताह का आयोजन किया है. नक्सली क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों ने अब नक्सलियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का शहीदी सप्ताह

शहीदी सप्ताह में नक्सली मारे गए साथियों की याद में स्मारक बनाते हैं और सभाएं करते हैं. इन सभाओं के दौरान नक्सली मारे गए अपने साथियों का महिमामंडन करते हैं. शहीदी सप्ताह के दौरान नक्सलियों का यह भी मुख्य उद्देश्य होता है कि ज्यादातर ग्रामीणों को अपने संगठन से जोड़ा जा सके. शहीदी सप्ताह के पहले ही नक्सली बैनर-पोस्टर के माध्यम से जगह-जगह ग्रामीणों को इसे मनाने की जानकारी देते हैं.

chhattisgarh naxal news
2019 में हुई नक्सली घटनाएं

जवानों का सर्चिंग ऑपरेशन तेज

वहीं नक्सलियों के शहीदी सप्ताह को देखते हुए छत्तीसगढ़ गृह विभाग ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अलर्ट जारी किया है. साथ ही सर्चिंग अभियान तेज कर दिया गया है. जिससे शहीदी सप्ताह के दौरान नक्सली अपने हिंसक मंसूबे में कामयाब न हो सके और दहशत का माहौल पैदा न कर सके. सुरक्षाबल के जवान नक्सलियों के बनाए गए स्मारकों को ध्वस्त करने का भी काम कर रहे हैं, जिससे नक्सली उन जगहों पर सभा न कर सके.

naxal shaheedi saptah
बीते 5 साल में हुई 2000 से ज्यादा नक्सली घटनाएं

ग्रामीण कर रहे नक्सलियों के शहीदी सप्ताह का विरोध

नक्सलियों ने पहले भी शहीदी सप्ताह मनाया है और जवान उनके हुए स्मारकों को तोड़ते आए हैं, लेकिन इस बार शहीदी सप्ताह के दौरान नक्सल प्रभावित क्षेत्रों का नजारा कुछ अलग ही है. नक्सलियों के इस शहीदी सप्ताह का अब ग्रामीणों ने खुलकर विरोध करना शुरू कर दिया है. छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे महाराष्ट्र के गढ़चिरौली की बात की जाए तो यहां पर नक्सलियों द्वारा शहीदी सप्ताह मनाए जाने के ऐलान के बाद ग्रामीण एकजुट हो गए हैं और नक्सलियों के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं. ग्रामीणों ने नक्सलियों के खिलाफ बैनर-पोस्टर जलाते हुए नारेबाजी कर विरोध प्रदर्शन किया है.

chhattisgarh naxal news
हर साल होती है 500 से ज्यादा नक्सली घटनाएं

इस विरोध प्रदर्शन के बाद कई दूसरी जगहों पर भी नक्सलियों के खिलाफ ग्रामीणों का विरोध देखने को मिल रहा है. इन क्षेत्रों के ग्रामीण नक्सलियों के बनाए गए स्मारक की जानकारी जवानों को दे रहे हैं. ग्रामीणों की सूचना मिलने के बाद जवान इन जगहों पर जाकर नक्सली स्मारकों को ध्वस्त कर रहे हैं. इससे साफ जाहिर होता है कि अब ग्रामीण नक्सलियों के अंजाम दिए जा रहे हिंसक घटनाओं से परेशान हो चुके हैं और शांति पूर्ण वातावरण में जीवन यापन करना चाहते हैं.

2015 से लेकर 2020 फरवरी तक के आंकड़ें

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का आतंक कोई नई बात नहीं है. 2015 से लेकर फरवरी 2020 तक की बात करें, तो प्रदेशभर में नक्सली हिंसा में करीब एक हजार लोगों की जान जा चुकी है. इनमें करीब 314 आम लोग भी शामिल हैं. इनका नक्सल आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं था, लेकिन इस हिंसा की आग में इन्हें भी अपनी जान गंवानी पड़ी है. वहीं इन 5 सालों में 220 जवान शहीद हुए हैं. साथ ही 466 नक्सली भी मुठभेड़ में मारे गए हैं.

पिछले 5 सालों में हुई नक्सली घटनाओं की बात करें तो छत्तीसगढ़ में करीब 2496 नक्सली घटनाएं हुई हैं. लाल आतंक और सुरक्षाबलों के बीच प्रदेश में 904 मुठभेड़ पिछले 5 सालों में हुई हुई है, जहां 2015 से 2018 तक हर साल 500 से ज्यादा नक्सली घटनाएं हुई हैं. वहीं 2019 में यह आंकड़ा घटकर 327 पहुंच जाता है. इससे साफ होता है कि अपने एक साल के कार्यकाल में भूपेश सरकार नक्सलियों पर नकेल कसने में एक हद तक कामयाब रही है.

ग्रामीणों को संगठन में जोड़ने का काम करते हैं नक्सली

नक्सल इलाकों में ग्रामीण और जवानों की काउंसलिंग और अवेयरनेस के लिए काम करने वाली डॉक्टर वर्णिका शर्मा का कहना है कि नक्सली ग्रामीणों के मन में भय और आतंक का आवरण तैयार करते हैं, जहां शासकीय योजनाओं और बाहरी दुनिया की आवाजाही पूरी तरह से बंद होती है. इसके बाद यह नक्सली अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देते हैं.

वर्णिका ने बताया कि नक्सली ग्रामीणों के बीच जाने के लिए उनकी धार्मिक आस्था का मनोवैज्ञानिक तौर पर उपयोग करते हैं. क्योंकि ग्रामीण अपने पूर्वजों को देवी-देवता मानते हैं. उनमें उनकी अटूट आस्था होती है. नक्सली इसी बात का फायदा उठाते हुए पुलिस मुठभेड़ में मारे गए अपने साथियों को शहीद बताते हैं और उन साथियों की याद में अलग-अलग गांवों में स्मारक बनाते हैं. उसके बाद उस स्मारक की पूजा शुरू कर दी जाती है. यह कहकर कि आने वाले समय में वह ग्रामीणों की रक्षा करेंगे और उन्हें शक्ति प्रदान करेंगे.

सुरक्षाबल के जवानों से प्रभावित हो रहे ग्रामीण

वर्णिका ने बताया कि बाद में नक्सली शहीदी सप्ताह के दौरान बड़ी-बड़ी हिंसक घटनाओं को अंजाम देने लगे, जिससे ग्रामीणों के बीच पैठ जम जाए. साथ ही नक्सलियों का डर और दहशत ग्रामीणों में बरकरार रहे.

वर्णिका ने बताया कि अब धीरे-धीरे समय के साथ बदलाव हो रहा है. ग्रामीणों के मन में भी अब विकास की बयार बहने लगी है. सुरक्षाबलों के द्वारा ग्रामीणों के हित में किए जा रहे काम और सरकार की योजनाओं से ग्रामीण काफी प्रभावित हुए हैं. यही कारण है कि अब ग्रामीण खुलकर नक्सलियों के विरोध में सामने आ रहे हैं. कई जगहों पर ग्रामीणों ने मन बना लिया है कि वे नक्सलियों की हिंसक घटनाओं में सहयोग नहीं करेंगे. इतना ही नहीं अब वे नक्सलियों के खिलाफ खुलकर सड़कों पर आ रहे हैं और जवानों के साथ मिलकर नक्सलियों से मोर्चा लेने भी तैयार हैं.

नक्सली क्षेत्रों में तैनात जवान बधाई के पात्र

इस दौरान वर्णिका ने कहा कि नक्सली क्षेत्रों में तैनात जवान बधाई के पात्र हैं. जिन्होंने घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी अपनी पैठ जमाना शुरू कर दिया है. वहां ये जवान ग्रामीणों का विश्वास जीत रहे हैं. ऐसे में अब जब आम जनता का जवानों के प्रति विश्वास बढ़ा है, तो इस विश्वास को कायम रखना भी जवानों की जवाबदारी है.

कोरोना काल मे फिलीपींस सहित अन्य देशों में नक्सलियों द्वारा सीजफायर किया गया है. ऐसे में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने सीजफायर की पहल नहीं की है. जिस पर वर्णिका का कहना था कि इसके लिए दोनों ओर से पहल की जानी थी, लेकिन कोरोना काल में दोनों ओर से ही सीजफायर की पहल नहीं की गई और यही वजह है कि यहां पर लगातार नक्सली और जवानों के बीच मुठभेड़ जारी है.

गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने जवानों को दिए आवश्यक निर्देश

जहां एक ओर नक्सली कोरोना काल में भी शहीदी सप्ताह के दौरान हिंसक घटनाओं को अंजाम देने की तैयारी कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात जवान उनसे मोर्चा लेने के लिए तैयार खड़े हैं. शहीदी सप्ताह को देखते हुए छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने जवानों को आवश्यक दिशा निर्देश दिया है.

गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने नक्सलियों के 28 जुलाई से 3 अगस्त तक शुरू हुए शहीदी सप्ताह के दौरान अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं. गृहमंत्री साहू के निर्देश पर नक्सलियों के शहीदी सप्ताह को लेकर 28 तारीख के पहले ही पुलिस महानिदेशक और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (नक्सल ऑपरेशन- एसआईटी) ने प्रदेश के समस्त पुलिस अधीक्षकों और विशेषकर बस्तर रेंज के लिए अलर्ट जारी किया था. साथ ही जवानों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए थे. वहीं सभी थानों और पुलिस कैम्पों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए भी निर्देशित किया जा चुका था.

पढ़ें- शहीदी सप्ताह के पहले दिन नक्सलियों ने लगाए बैनर-पोस्टर, विकास कार्यों का विरोध

सार्वजनिक स्थानों शासकीय कार्य में लगे कर्मचारियों के लिए अतिरिक्त बल तैनात कराया गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में सभाओं का आयोजन, स्थानीय लोगों को अपने संगठन से जोड़ने और अंदरूनी इलाकों में बैठक बुलाए जाने को ध्यान में रखते हुए पुलिस अधीक्षकों को लगातार नक्सलियों और ग्रामीणों की गतिविधियों पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं. शहीदी सप्ताह के मद्देनजर गश्त और सर्चिंग बढ़ाई गई है.

पढ़ें- नक्सल शहीदी सप्ताह: चौथे दिन सुरक्षाबलों की कार्रवाई, कैंप से भागे नक्सली

गृहमंत्री ने यह भी कहा है कि कुछ पत्रकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अंदर तक चले जाते हैं. ऐसे में शहीदी सप्ताह के दौरान उन्हें उन क्षेत्रों में जाने से सतर्क किया गया है. क्योंकि नक्सली शहीदी सप्ताह के दौरान कोई भी हादसा हो सकता है और किसी को भी जान का खतरा हो सकता है. इसके लिए पुलिस जिम्मेदार नहीं होगी.

रायपुर: देश में लगातार कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. छत्तीसगढ़ में भी कोरोना संक्रमण की स्थिति भयावह होती जा रही है. संकट काल में भी नक्सली अपनी आदात से बाज नहीं आ रहे हैं. महामारी के इस दौर में भी नक्सली संगठन सुरक्षाबलों के ऑपरेशन में मारे गए नक्सलियों की याद में शहीदी सप्ताह मना रहे हैं. इस साल 28 जुलाई से 3 अगस्त तक नक्सलियों ने शहीदी सप्ताह का आयोजन किया है. नक्सली क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों ने अब नक्सलियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का शहीदी सप्ताह

शहीदी सप्ताह में नक्सली मारे गए साथियों की याद में स्मारक बनाते हैं और सभाएं करते हैं. इन सभाओं के दौरान नक्सली मारे गए अपने साथियों का महिमामंडन करते हैं. शहीदी सप्ताह के दौरान नक्सलियों का यह भी मुख्य उद्देश्य होता है कि ज्यादातर ग्रामीणों को अपने संगठन से जोड़ा जा सके. शहीदी सप्ताह के पहले ही नक्सली बैनर-पोस्टर के माध्यम से जगह-जगह ग्रामीणों को इसे मनाने की जानकारी देते हैं.

chhattisgarh naxal news
2019 में हुई नक्सली घटनाएं

जवानों का सर्चिंग ऑपरेशन तेज

वहीं नक्सलियों के शहीदी सप्ताह को देखते हुए छत्तीसगढ़ गृह विभाग ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अलर्ट जारी किया है. साथ ही सर्चिंग अभियान तेज कर दिया गया है. जिससे शहीदी सप्ताह के दौरान नक्सली अपने हिंसक मंसूबे में कामयाब न हो सके और दहशत का माहौल पैदा न कर सके. सुरक्षाबल के जवान नक्सलियों के बनाए गए स्मारकों को ध्वस्त करने का भी काम कर रहे हैं, जिससे नक्सली उन जगहों पर सभा न कर सके.

naxal shaheedi saptah
बीते 5 साल में हुई 2000 से ज्यादा नक्सली घटनाएं

ग्रामीण कर रहे नक्सलियों के शहीदी सप्ताह का विरोध

नक्सलियों ने पहले भी शहीदी सप्ताह मनाया है और जवान उनके हुए स्मारकों को तोड़ते आए हैं, लेकिन इस बार शहीदी सप्ताह के दौरान नक्सल प्रभावित क्षेत्रों का नजारा कुछ अलग ही है. नक्सलियों के इस शहीदी सप्ताह का अब ग्रामीणों ने खुलकर विरोध करना शुरू कर दिया है. छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे महाराष्ट्र के गढ़चिरौली की बात की जाए तो यहां पर नक्सलियों द्वारा शहीदी सप्ताह मनाए जाने के ऐलान के बाद ग्रामीण एकजुट हो गए हैं और नक्सलियों के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं. ग्रामीणों ने नक्सलियों के खिलाफ बैनर-पोस्टर जलाते हुए नारेबाजी कर विरोध प्रदर्शन किया है.

chhattisgarh naxal news
हर साल होती है 500 से ज्यादा नक्सली घटनाएं

इस विरोध प्रदर्शन के बाद कई दूसरी जगहों पर भी नक्सलियों के खिलाफ ग्रामीणों का विरोध देखने को मिल रहा है. इन क्षेत्रों के ग्रामीण नक्सलियों के बनाए गए स्मारक की जानकारी जवानों को दे रहे हैं. ग्रामीणों की सूचना मिलने के बाद जवान इन जगहों पर जाकर नक्सली स्मारकों को ध्वस्त कर रहे हैं. इससे साफ जाहिर होता है कि अब ग्रामीण नक्सलियों के अंजाम दिए जा रहे हिंसक घटनाओं से परेशान हो चुके हैं और शांति पूर्ण वातावरण में जीवन यापन करना चाहते हैं.

2015 से लेकर 2020 फरवरी तक के आंकड़ें

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का आतंक कोई नई बात नहीं है. 2015 से लेकर फरवरी 2020 तक की बात करें, तो प्रदेशभर में नक्सली हिंसा में करीब एक हजार लोगों की जान जा चुकी है. इनमें करीब 314 आम लोग भी शामिल हैं. इनका नक्सल आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं था, लेकिन इस हिंसा की आग में इन्हें भी अपनी जान गंवानी पड़ी है. वहीं इन 5 सालों में 220 जवान शहीद हुए हैं. साथ ही 466 नक्सली भी मुठभेड़ में मारे गए हैं.

पिछले 5 सालों में हुई नक्सली घटनाओं की बात करें तो छत्तीसगढ़ में करीब 2496 नक्सली घटनाएं हुई हैं. लाल आतंक और सुरक्षाबलों के बीच प्रदेश में 904 मुठभेड़ पिछले 5 सालों में हुई हुई है, जहां 2015 से 2018 तक हर साल 500 से ज्यादा नक्सली घटनाएं हुई हैं. वहीं 2019 में यह आंकड़ा घटकर 327 पहुंच जाता है. इससे साफ होता है कि अपने एक साल के कार्यकाल में भूपेश सरकार नक्सलियों पर नकेल कसने में एक हद तक कामयाब रही है.

ग्रामीणों को संगठन में जोड़ने का काम करते हैं नक्सली

नक्सल इलाकों में ग्रामीण और जवानों की काउंसलिंग और अवेयरनेस के लिए काम करने वाली डॉक्टर वर्णिका शर्मा का कहना है कि नक्सली ग्रामीणों के मन में भय और आतंक का आवरण तैयार करते हैं, जहां शासकीय योजनाओं और बाहरी दुनिया की आवाजाही पूरी तरह से बंद होती है. इसके बाद यह नक्सली अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देते हैं.

वर्णिका ने बताया कि नक्सली ग्रामीणों के बीच जाने के लिए उनकी धार्मिक आस्था का मनोवैज्ञानिक तौर पर उपयोग करते हैं. क्योंकि ग्रामीण अपने पूर्वजों को देवी-देवता मानते हैं. उनमें उनकी अटूट आस्था होती है. नक्सली इसी बात का फायदा उठाते हुए पुलिस मुठभेड़ में मारे गए अपने साथियों को शहीद बताते हैं और उन साथियों की याद में अलग-अलग गांवों में स्मारक बनाते हैं. उसके बाद उस स्मारक की पूजा शुरू कर दी जाती है. यह कहकर कि आने वाले समय में वह ग्रामीणों की रक्षा करेंगे और उन्हें शक्ति प्रदान करेंगे.

सुरक्षाबल के जवानों से प्रभावित हो रहे ग्रामीण

वर्णिका ने बताया कि बाद में नक्सली शहीदी सप्ताह के दौरान बड़ी-बड़ी हिंसक घटनाओं को अंजाम देने लगे, जिससे ग्रामीणों के बीच पैठ जम जाए. साथ ही नक्सलियों का डर और दहशत ग्रामीणों में बरकरार रहे.

वर्णिका ने बताया कि अब धीरे-धीरे समय के साथ बदलाव हो रहा है. ग्रामीणों के मन में भी अब विकास की बयार बहने लगी है. सुरक्षाबलों के द्वारा ग्रामीणों के हित में किए जा रहे काम और सरकार की योजनाओं से ग्रामीण काफी प्रभावित हुए हैं. यही कारण है कि अब ग्रामीण खुलकर नक्सलियों के विरोध में सामने आ रहे हैं. कई जगहों पर ग्रामीणों ने मन बना लिया है कि वे नक्सलियों की हिंसक घटनाओं में सहयोग नहीं करेंगे. इतना ही नहीं अब वे नक्सलियों के खिलाफ खुलकर सड़कों पर आ रहे हैं और जवानों के साथ मिलकर नक्सलियों से मोर्चा लेने भी तैयार हैं.

नक्सली क्षेत्रों में तैनात जवान बधाई के पात्र

इस दौरान वर्णिका ने कहा कि नक्सली क्षेत्रों में तैनात जवान बधाई के पात्र हैं. जिन्होंने घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी अपनी पैठ जमाना शुरू कर दिया है. वहां ये जवान ग्रामीणों का विश्वास जीत रहे हैं. ऐसे में अब जब आम जनता का जवानों के प्रति विश्वास बढ़ा है, तो इस विश्वास को कायम रखना भी जवानों की जवाबदारी है.

कोरोना काल मे फिलीपींस सहित अन्य देशों में नक्सलियों द्वारा सीजफायर किया गया है. ऐसे में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने सीजफायर की पहल नहीं की है. जिस पर वर्णिका का कहना था कि इसके लिए दोनों ओर से पहल की जानी थी, लेकिन कोरोना काल में दोनों ओर से ही सीजफायर की पहल नहीं की गई और यही वजह है कि यहां पर लगातार नक्सली और जवानों के बीच मुठभेड़ जारी है.

गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने जवानों को दिए आवश्यक निर्देश

जहां एक ओर नक्सली कोरोना काल में भी शहीदी सप्ताह के दौरान हिंसक घटनाओं को अंजाम देने की तैयारी कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात जवान उनसे मोर्चा लेने के लिए तैयार खड़े हैं. शहीदी सप्ताह को देखते हुए छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने जवानों को आवश्यक दिशा निर्देश दिया है.

गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने नक्सलियों के 28 जुलाई से 3 अगस्त तक शुरू हुए शहीदी सप्ताह के दौरान अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं. गृहमंत्री साहू के निर्देश पर नक्सलियों के शहीदी सप्ताह को लेकर 28 तारीख के पहले ही पुलिस महानिदेशक और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (नक्सल ऑपरेशन- एसआईटी) ने प्रदेश के समस्त पुलिस अधीक्षकों और विशेषकर बस्तर रेंज के लिए अलर्ट जारी किया था. साथ ही जवानों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए थे. वहीं सभी थानों और पुलिस कैम्पों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए भी निर्देशित किया जा चुका था.

पढ़ें- शहीदी सप्ताह के पहले दिन नक्सलियों ने लगाए बैनर-पोस्टर, विकास कार्यों का विरोध

सार्वजनिक स्थानों शासकीय कार्य में लगे कर्मचारियों के लिए अतिरिक्त बल तैनात कराया गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में सभाओं का आयोजन, स्थानीय लोगों को अपने संगठन से जोड़ने और अंदरूनी इलाकों में बैठक बुलाए जाने को ध्यान में रखते हुए पुलिस अधीक्षकों को लगातार नक्सलियों और ग्रामीणों की गतिविधियों पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं. शहीदी सप्ताह के मद्देनजर गश्त और सर्चिंग बढ़ाई गई है.

पढ़ें- नक्सल शहीदी सप्ताह: चौथे दिन सुरक्षाबलों की कार्रवाई, कैंप से भागे नक्सली

गृहमंत्री ने यह भी कहा है कि कुछ पत्रकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अंदर तक चले जाते हैं. ऐसे में शहीदी सप्ताह के दौरान उन्हें उन क्षेत्रों में जाने से सतर्क किया गया है. क्योंकि नक्सली शहीदी सप्ताह के दौरान कोई भी हादसा हो सकता है और किसी को भी जान का खतरा हो सकता है. इसके लिए पुलिस जिम्मेदार नहीं होगी.

Last Updated : Aug 2, 2020, 8:00 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.