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विकास उपाध्याय ने मोदी सरकार पर लगाये वेंटिलेटर खरीदी में भ्रष्टाचार के आरोप

संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाये हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने वेंटिलेटर के सत्यापन का सर्टिफिकेट लेना तक जरूरी नहीं समझा.

Vikas Upadhyay accuses Modi government
संसदीय सचिव विकास उपाध्याय
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Published : May 8, 2021, 3:59 PM IST

रायपुर: संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार कांग्रेस शासनकाल में किए गए कार्य को लेकर सवाल उठाती है, लेकिन खुद अपने कार्यकाल में क्या किया वह किसी से छुपा नहीं है.

विकास उपाध्याय ने कहा कि, भाजपा जो यह कहते नहीं थकती कि कांग्रेस ने 70 साल में कुछ नहीं किया. इसका ज्वलंत उदाहरण है कि केंद्र सरकार ने कोविड-19 दौर के पहले देश में एक भी वेंटिलेटर नहीं खरीदा बल्कि सरकारी अस्पतालों में कुल आईसीयू के हिसाब से जो 20 हजार वेंटिलेटर पहले से थे उसी के भरोसे सब चल रहा था.

आठ गुना अंतर के बावजूद हुई खरीदी

विकास उपाध्याय ने कहा कि जब देश में संक्रमण का दौर आया तो समझ आया कि वेंटिलेटर की जरूरत है. अभी जरूरत डेढ़ लाख की थी पर खरीदी सिर्फ 40 हजार वेंटिलेटर की की गई. इस खरीदी में भी भाजपा की केंद्र सरकार भ्रष्टाचार करने से बाज नहीं आई. एक ही तरह के स्पेसिफिकेशन वाली अलग-अलग कंपनियों के वेंटिलेटर की कीमत में सात से आठ गुना अंतर के बावजूद खरीदी की गई.

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वेंटिलेटर के सत्यापन का सर्टिफिकेट भी नहीं लिया गया

संसदीय सचिव ने कहा कि किसी भी कंपनी से केंद्र सरकार ने वेंटिलेटर के सत्यापन का सर्टिफिकेट लेना जरूरी नहीं समझा. यही वजह है कि देश भर में घटिया क्वालिटी के वेंटिलेटर की सप्लाई कर मरीजों की जान जोखिम में डाल दिया गया है.

रायपुर: संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार कांग्रेस शासनकाल में किए गए कार्य को लेकर सवाल उठाती है, लेकिन खुद अपने कार्यकाल में क्या किया वह किसी से छुपा नहीं है.

विकास उपाध्याय ने कहा कि, भाजपा जो यह कहते नहीं थकती कि कांग्रेस ने 70 साल में कुछ नहीं किया. इसका ज्वलंत उदाहरण है कि केंद्र सरकार ने कोविड-19 दौर के पहले देश में एक भी वेंटिलेटर नहीं खरीदा बल्कि सरकारी अस्पतालों में कुल आईसीयू के हिसाब से जो 20 हजार वेंटिलेटर पहले से थे उसी के भरोसे सब चल रहा था.

आठ गुना अंतर के बावजूद हुई खरीदी

विकास उपाध्याय ने कहा कि जब देश में संक्रमण का दौर आया तो समझ आया कि वेंटिलेटर की जरूरत है. अभी जरूरत डेढ़ लाख की थी पर खरीदी सिर्फ 40 हजार वेंटिलेटर की की गई. इस खरीदी में भी भाजपा की केंद्र सरकार भ्रष्टाचार करने से बाज नहीं आई. एक ही तरह के स्पेसिफिकेशन वाली अलग-अलग कंपनियों के वेंटिलेटर की कीमत में सात से आठ गुना अंतर के बावजूद खरीदी की गई.

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वेंटिलेटर के सत्यापन का सर्टिफिकेट भी नहीं लिया गया

संसदीय सचिव ने कहा कि किसी भी कंपनी से केंद्र सरकार ने वेंटिलेटर के सत्यापन का सर्टिफिकेट लेना जरूरी नहीं समझा. यही वजह है कि देश भर में घटिया क्वालिटी के वेंटिलेटर की सप्लाई कर मरीजों की जान जोखिम में डाल दिया गया है.

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