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Special: सड़ गई सब्जी, नहीं मिला मेहनत का 'फल'

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Published : Apr 25, 2020, 10:03 PM IST

लॉकडाउन सब्जी और फल किसानों के लिए आफत साबित हुआ है. प्रदेश भर के किसानों में हताशा छाई है. छोटे-बड़े सभी किसान परेशान हैं. स्थानीय स्तर पर भी अधिकतर बाजारों को बंद कर दिया गया है. सीमा सील होने के कारण बाहर सप्लाई ठप है. किसान अब अपनी फल और सब्जियां फेंकने को मजबूर हो गए हैं.

Chhattisgarh farmers upset
लॉकडाउन सब्जी और फल किसान बर्बाद

रायपुर : कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर किए गए लॉकडाउन और इस दौरान हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों को प्रभावित किया है. इससे उनके सामने आर्थिक संकट मंडरा रहा है. फसल पूरी तरह चौपट हो गई है. लॉकडाउन में परिवहन नहीं होने से सब्जियां और फल खराब हो रहे हैं. छोटे-बड़े सभी किसान परेशान हैं.

छत्तीसगढ़ के किसान परेशान

लॉकडाउन किसानों के लिए आफत साबित हो रहा है. लॉकडाउन में परिवहन नहीं होने से किसानों की सब्जियां और फल बाजार तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. देश का हर वर्ग परेशान है, लेकिन इस लॉकडाउन की सबसे अधिक मार किसानों पर पड़ रही है.

खरीदने वाले नहीं

इस बार सब्जियों की खेती अच्छी हुई है, साथ ही छोटे बड़े किसानों ने केले, पपीता, कलिंदर की खेती की थी. बावजूद इसके किसान हताश हैं. लॉकडाउन के कारण किसानों को खरीदार नहीं मिल पा रहे. स्थानीय स्तर पर भी अधिकतर बाजारों को बंद कर दिया गया है. इसका सीधा असर अब उत्पादकों पर पड़ रहा है.

नहीं मिल रही कीमत

लॉकडाउन के कारण किसानों के पास लोकल बाजार में सब्जियां और फल बेचने का विकल्प है. बाजारों में इसकी खपत घट गई है, लिहाजा किसान सब्जियों को कम कीमत में बेचने को मजबूर हैं. उम्मीद से कम कीमत मिलने के कारण किसानों के सामने आर्थिक संकट मंडरा रहा है. इनके उत्पादन की अधिकतर खपत लोकल बाजार में होती है. कुछ किसान बड़े व्यापारियों से समझौता कर आसपास के राज्यों में सप्लाई कर लेते हैं, लेकिन सीमा सील होने के कारण बाहर सप्लाई ठप है.

फसल हुआ बर्बाद

गर्मी के सीजन में भिंडी, लौकी, तोरई, करेला, टिंडे, पालक, मेथी, टमाटर, की खेती होती है. इन सब्जियों को एक दिन छोड़कर तोड़ना होता है. इन सब्जियों के फल रात दिन बढ़ते हैं. फलों को तोड़ने में एक दिन भी देर हो जाती है तो वह टाइट हो जाता है. नहीं टूटने की वजह से फसल खेत में खराब हो रही है. पालक का पौधा ज्यादा दिन तक खेत में खड़ा होने पर उसके पत्तों पर कालापन आ जाता है. टमाटर गर्मी की वजह से जल्दी पक रहा है.

सब्जियां फेंकने को मजबूर

किसानों का कहना है कि बेमौसम बारिश की मार झेलकर जो फसल तैयार हो सकी है, वो बिक नहीं रही है. बाजार बंद हैं, ऐसे में किसान सब्जियां लेकर जाएं तो जाएं कहां. सब्जियों की पैदावार तो अच्छी हुई है, लेकिन लॉकडाउन होने से माल दूसरे राज्य नहीं जा पा रहे हैं. किसान अब अपनी फल और सब्जियां फेंकने को मजबूर हो गए हैं.

कर्ज चुकाने की चिंता

किसानों ने बताया कि उन्होंने सब्जी और फलों की फसल उगाने के लिए बैंक से लाखों रुपए कर्ज लिया है, लेकिन बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण पूरी सब्जी खराब हो गई है. सबसे ज्यादा टमाटर, मिर्च ,भिंडी और लौकी को नुकसान हुआ है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन की वजह से वैसे ही आर्थिक रूप से नुकसान हो रहा है ऊपर से ओलावृष्टि के कारण उनका मनोबल टूट गया और अब बैंक का ऋण चुकाना तो दूर की बात है, मूलधन भी निकल पाना मुश्किल हो गया है.

रायपुर : कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर किए गए लॉकडाउन और इस दौरान हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों को प्रभावित किया है. इससे उनके सामने आर्थिक संकट मंडरा रहा है. फसल पूरी तरह चौपट हो गई है. लॉकडाउन में परिवहन नहीं होने से सब्जियां और फल खराब हो रहे हैं. छोटे-बड़े सभी किसान परेशान हैं.

छत्तीसगढ़ के किसान परेशान

लॉकडाउन किसानों के लिए आफत साबित हो रहा है. लॉकडाउन में परिवहन नहीं होने से किसानों की सब्जियां और फल बाजार तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. देश का हर वर्ग परेशान है, लेकिन इस लॉकडाउन की सबसे अधिक मार किसानों पर पड़ रही है.

खरीदने वाले नहीं

इस बार सब्जियों की खेती अच्छी हुई है, साथ ही छोटे बड़े किसानों ने केले, पपीता, कलिंदर की खेती की थी. बावजूद इसके किसान हताश हैं. लॉकडाउन के कारण किसानों को खरीदार नहीं मिल पा रहे. स्थानीय स्तर पर भी अधिकतर बाजारों को बंद कर दिया गया है. इसका सीधा असर अब उत्पादकों पर पड़ रहा है.

नहीं मिल रही कीमत

लॉकडाउन के कारण किसानों के पास लोकल बाजार में सब्जियां और फल बेचने का विकल्प है. बाजारों में इसकी खपत घट गई है, लिहाजा किसान सब्जियों को कम कीमत में बेचने को मजबूर हैं. उम्मीद से कम कीमत मिलने के कारण किसानों के सामने आर्थिक संकट मंडरा रहा है. इनके उत्पादन की अधिकतर खपत लोकल बाजार में होती है. कुछ किसान बड़े व्यापारियों से समझौता कर आसपास के राज्यों में सप्लाई कर लेते हैं, लेकिन सीमा सील होने के कारण बाहर सप्लाई ठप है.

फसल हुआ बर्बाद

गर्मी के सीजन में भिंडी, लौकी, तोरई, करेला, टिंडे, पालक, मेथी, टमाटर, की खेती होती है. इन सब्जियों को एक दिन छोड़कर तोड़ना होता है. इन सब्जियों के फल रात दिन बढ़ते हैं. फलों को तोड़ने में एक दिन भी देर हो जाती है तो वह टाइट हो जाता है. नहीं टूटने की वजह से फसल खेत में खराब हो रही है. पालक का पौधा ज्यादा दिन तक खेत में खड़ा होने पर उसके पत्तों पर कालापन आ जाता है. टमाटर गर्मी की वजह से जल्दी पक रहा है.

सब्जियां फेंकने को मजबूर

किसानों का कहना है कि बेमौसम बारिश की मार झेलकर जो फसल तैयार हो सकी है, वो बिक नहीं रही है. बाजार बंद हैं, ऐसे में किसान सब्जियां लेकर जाएं तो जाएं कहां. सब्जियों की पैदावार तो अच्छी हुई है, लेकिन लॉकडाउन होने से माल दूसरे राज्य नहीं जा पा रहे हैं. किसान अब अपनी फल और सब्जियां फेंकने को मजबूर हो गए हैं.

कर्ज चुकाने की चिंता

किसानों ने बताया कि उन्होंने सब्जी और फलों की फसल उगाने के लिए बैंक से लाखों रुपए कर्ज लिया है, लेकिन बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण पूरी सब्जी खराब हो गई है. सबसे ज्यादा टमाटर, मिर्च ,भिंडी और लौकी को नुकसान हुआ है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन की वजह से वैसे ही आर्थिक रूप से नुकसान हो रहा है ऊपर से ओलावृष्टि के कारण उनका मनोबल टूट गया और अब बैंक का ऋण चुकाना तो दूर की बात है, मूलधन भी निकल पाना मुश्किल हो गया है.

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