रायपुर: एक तरफ पूरे देश में लॉकडाउन की वजह से बेरोजगारी के आंकड़े बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी के स्तर में कमी आई है. भले भारत में कामकाज पर रोक लग गई हो लेकिन छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए मनरेगा के तहत काम शुरू किया गया है. लॉकडाउन के बीच 24 फीसदी मजदूरों को मनरेगा के तहत रोजगार मिला है. ये भी एक वजह है कि छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर में कमी दर्ज की गई है.
क्या कहती है रिपोर्ट
- सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की ओर से जारी ताजा रिपोर्ट में प्रदेश की बेरोजगारी दर 12 महीने के सबसे निचले स्तर पर 3.4 प्रतिशत दर्ज की गई है, जो कि राष्ट्रीय बेरोजगारी की दर (23.5 प्रतिशत) से काफी कम है.
- सीएमआईई के किये गए सर्वेक्षण के अनुसार छत्तीसगढ़ की बेरोजगारी दर सितंबर 2018 में 22.2 प्रतिशत थी, जो घट कर अप्रैल 2020 में 3.4 प्रतिशत दर्ज की गई है.
- लॉकडाउन में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के अंतर्गत ग्रामीणों को रोजगार देने में छत्तीसगढ़ अभी पूरे देश में प्रथम स्थान पर है.
- देशभर में मनरेगा कार्यों में लगे कुल मजदूरों में से करीब 24 फीसदी अकेले छत्तीसगढ़ से हैं. यह संख्या देश में सर्वाधिक है.
- प्रदेश की 9883 ग्राम पंचायतों में चल रहे विभिन्न मनरेगा कार्यों में अभी 18 लाख 51 हजार 536 श्रमिक काम कर रहे हैं.
- किसानों को फसल बीमा और प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत लॉकडाउन की अवधि में अब तक 900 करोड़ रुपए की राशि उनके खातों में भेजी जा चुकी है. साथ ही खेती-किसानी के लिए आवश्यक छूट के साथ ही उनके उत्पाद के विक्रय की भी व्यवस्था सुनिश्चित की गई है.
- RBI ने भी छत्तीसगढ़ में कोरोना संकट के दौरान किये जा रहे प्रयासों को सराहा है. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ में आर्थिक विकास की दर को अन्य विकसित राज्यों की तुलना में काफी अच्छा बताया है.
- प्रदेश में वनोपज संग्राहकों को भी काफी राहत प्रदान की गई है. महुआ फूल का समर्थन मूल्य 18 रुपए प्रतिकिलो से बढ़ाकर 30 रुपए किया गया है. प्रदेश में 23 लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही है.
- लघु वनोपजों के काम में वनवासियों को भी रोजगार के अवसर मिले हैं.
- “द ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया” (ट्राईफेड) की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में अब तक 18 करोड़ 63 लाख रुपए से अधिक मूल्य की खरीदी की गई है, जो देश के सभी राज्यों में सर्वाधिक है.
- छत्तीसगढ़ के अलावा केवल दो राज्यों झारखण्ड और ओडिशा में लघु वनोपज की खरीदी का काम शुरू हुआ है.
- ट्राईफेड के आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में अब तक 18 करोड़ 67 लाख 26 हजार रुपए मूल्य की लघु वनोपजों की खरीदी की गई है. इसमें से अकेले छत्तीसगढ़ में 18 करोड़ 63 लाख 82 हजार रूपए मूल्य की लघु वनोपजों की खरीदी की गई है.