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मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान की सिंहदेव ने की तारीफ, बोले- 'साथियों ने आदर्श काम किया है'

बस्तर में चलाए जा रहे मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान की स्वास्थ्य मंत्री ने तारीफ की है. उन्होंने कहा कि घने जंगलों और पहुंच विहीन इलाकों में मलेरिया की रोकथाम में लगे साथियों ने आदर्श काम किया है.

malaria free Bastar campaign
मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान की तारीफ
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Published : Jul 20, 2020, 6:03 PM IST

Updated : Jul 20, 2020, 8:00 PM IST

रायपुर : बस्तर हर साल मलेरिया से जंग लड़ता रहा है. इस साल भी स्वास्थ्य विभाग के सामने यह बड़ी चुनौती थी कि कोरोना के साथ-साथ मलेरिया से कैसे निपटा जाए. इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान चला रही है. पहले चरण में 15 जनवरी से 14 फरवरी तक 14 लाख 6 हजार लोगों की जांच की गई. इस दौरान 64 हजार 640 लोग मलेरिया पॉजिटिव पाए गए, जिनका मौके पर इलाज किया गया उन्हें दवाइयां दी गई.

मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान की सराहना

दूसरे चरण में अब तक 93 हजार लोगों की जांच की जा चुकी है. पॉजिटिव मिले 9 हजार लोगों का इलाज किया गया. करीब 60% ऐसे मामले थे जिनमें पीड़ितों को मलेरिया के कोई लक्षण नहीं दिखाई दे रहे थे. बता दें कि बिना लक्षण वाला मलेरिया एनीमिया और कुपोषण का कारण बनता है.

स्वास्थ्य मिशन संचालक प्रियंका शुक्ला ने अबूझमाड़ में रहे कार्यकर्ताओं के साथ काम भी किया. स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने भी मिशन में लगे स्वास्थ्य कर्मियों की जमकर तारीफ की है. सिंहदेव ने कहा कि मलेरिया को मापने वाला पैरासाइट इंडेक्स पिछले साल 40 का था वह इस साल 20 के आसपास है. कांकेर, कोंडागांव लगभग अब मलेरिया मुक्त होने की स्थिति में है. मलेरिया की रोकथाम में लगे साथियों ने आदर्श काम किया है.

पढ़ें- SPECIAL: अभियान के बाद भी बस्तर में पैर पसार रहा है मलेरिया, अब तक 3500 से ज्यादा मरीज

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी की अभियान की तारीफ

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान की तारीफ की है उनका कहना है कि ये अभियान देशभर में लागू हो सकता है. मलेरिया प्रभावित राज्यों को इस मॉडल पर काम करने का सुझाव भी दिया गया है. बता दें कि छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य ओड़िशा, झारखंड के साथ-साथ पश्चिम बंगाल में भी बड़े पैमाने पर मलेरिया का प्रभाव देखने को मिलता है.

मितानिन कार्यक्रम की कर रही निगरानी

मलेरिया मुक्त मॉडल के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीम घने जंगलों और पहाड़ों से घिरे पहुंच विहीन दुर्गम और दूरस्थ इलाकों में घर-घर पहुंचकर प्रत्येक व्यक्ति की जांच कर रही है. स्वास्थ्य कार्यकर्ता मलेरिया पॉजिटिव लोगों को पहली खुराक अपने सामने ही खिला रहे हैं, स्थानीय मितानिन इसका फॉलोअप करके खुराक की निगरानी कर रही हैं. पीड़ितों से दवा पूरा किए जाने के बाद खाली रैपर संग्रहित किए जा रहे हैं.

पढ़ें-बांस कटाई मामला : प्रभारी मंत्री ने लिया संज्ञान, DFO ने उच्चाधिकारियों को भेजी जांच फाइल

सीटी, घंटी और नगाड़े की मदद

जिनकी मलेरिया जांच हो चुकी उनके घरों में मार्किंग की जा रही है. अभियान में लगी टीम मेडिकेटेड मच्छरदानी बांटने, गर्भवती महिलाओं और बच्चों को टीके लगाने के साथ ही दूसरी शारीरिक समस्याओं की भी दवाइयां दे रहे हैं. स्थानीय मितानिन रोजाना शाम सात बजे सीटी, घंटी और नगाड़ा बजाकर लोगों को मच्छरदानी लगा कर सोने के लिए प्रेरित कर रही हैं.

रायपुर : बस्तर हर साल मलेरिया से जंग लड़ता रहा है. इस साल भी स्वास्थ्य विभाग के सामने यह बड़ी चुनौती थी कि कोरोना के साथ-साथ मलेरिया से कैसे निपटा जाए. इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान चला रही है. पहले चरण में 15 जनवरी से 14 फरवरी तक 14 लाख 6 हजार लोगों की जांच की गई. इस दौरान 64 हजार 640 लोग मलेरिया पॉजिटिव पाए गए, जिनका मौके पर इलाज किया गया उन्हें दवाइयां दी गई.

मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान की सराहना

दूसरे चरण में अब तक 93 हजार लोगों की जांच की जा चुकी है. पॉजिटिव मिले 9 हजार लोगों का इलाज किया गया. करीब 60% ऐसे मामले थे जिनमें पीड़ितों को मलेरिया के कोई लक्षण नहीं दिखाई दे रहे थे. बता दें कि बिना लक्षण वाला मलेरिया एनीमिया और कुपोषण का कारण बनता है.

स्वास्थ्य मिशन संचालक प्रियंका शुक्ला ने अबूझमाड़ में रहे कार्यकर्ताओं के साथ काम भी किया. स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने भी मिशन में लगे स्वास्थ्य कर्मियों की जमकर तारीफ की है. सिंहदेव ने कहा कि मलेरिया को मापने वाला पैरासाइट इंडेक्स पिछले साल 40 का था वह इस साल 20 के आसपास है. कांकेर, कोंडागांव लगभग अब मलेरिया मुक्त होने की स्थिति में है. मलेरिया की रोकथाम में लगे साथियों ने आदर्श काम किया है.

पढ़ें- SPECIAL: अभियान के बाद भी बस्तर में पैर पसार रहा है मलेरिया, अब तक 3500 से ज्यादा मरीज

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी की अभियान की तारीफ

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान की तारीफ की है उनका कहना है कि ये अभियान देशभर में लागू हो सकता है. मलेरिया प्रभावित राज्यों को इस मॉडल पर काम करने का सुझाव भी दिया गया है. बता दें कि छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य ओड़िशा, झारखंड के साथ-साथ पश्चिम बंगाल में भी बड़े पैमाने पर मलेरिया का प्रभाव देखने को मिलता है.

मितानिन कार्यक्रम की कर रही निगरानी

मलेरिया मुक्त मॉडल के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीम घने जंगलों और पहाड़ों से घिरे पहुंच विहीन दुर्गम और दूरस्थ इलाकों में घर-घर पहुंचकर प्रत्येक व्यक्ति की जांच कर रही है. स्वास्थ्य कार्यकर्ता मलेरिया पॉजिटिव लोगों को पहली खुराक अपने सामने ही खिला रहे हैं, स्थानीय मितानिन इसका फॉलोअप करके खुराक की निगरानी कर रही हैं. पीड़ितों से दवा पूरा किए जाने के बाद खाली रैपर संग्रहित किए जा रहे हैं.

पढ़ें-बांस कटाई मामला : प्रभारी मंत्री ने लिया संज्ञान, DFO ने उच्चाधिकारियों को भेजी जांच फाइल

सीटी, घंटी और नगाड़े की मदद

जिनकी मलेरिया जांच हो चुकी उनके घरों में मार्किंग की जा रही है. अभियान में लगी टीम मेडिकेटेड मच्छरदानी बांटने, गर्भवती महिलाओं और बच्चों को टीके लगाने के साथ ही दूसरी शारीरिक समस्याओं की भी दवाइयां दे रहे हैं. स्थानीय मितानिन रोजाना शाम सात बजे सीटी, घंटी और नगाड़ा बजाकर लोगों को मच्छरदानी लगा कर सोने के लिए प्रेरित कर रही हैं.

Last Updated : Jul 20, 2020, 8:00 PM IST
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