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सर्व आदिवासी समाज के महाबंद से कई जिलों में आवागमन हुआ बाधित - आदिवासी इलाकों में आंदोलन

छत्तीसगढ़ के कई जिलों में सर्व आदिवासी समाज(sarwa aadiwashi samaj)के महाबंद का व्यापक असर दिखा. प्रदेश के कांकेर, बालोद और धमतरी में बंद से आवागमन प्रभावित हुआ. आदिवासी समाज ने सिलगेर (silger) के आरोपियों पर कार्रवाई और आदिवासी हितों की पूर्ति को लेकर बंद का आह्वान किया था.

Mahaband of Sarva aadiwasi Samaj
सर्व आदिवासी समाज का महाबंद
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Published : Sep 20, 2021, 7:39 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में सोमवार को सर्व आदिवासी समाज के महाबंद का असर कई जिलों में देखा गया. सिलगेर के आरोपियों पर कार्रवाई सहित कई मांगों को लेकर आदिवासी समाज ने महाबंद बुलाया था. जिसके बाद प्रदेश के कई जिलों में आदिवासी समाज के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मोर्चा बुलंद किया. इस दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग और स्टेट हाईवे को जाम किया गया. प्रदेश के बालोद, कांकेर, जगदलपुर, धमतरी, सुकमा सहित कई जिलों में बंद का असर दिखा

बालोद में सड़कों को किया गया जाम, दुकानें रही बंद

बालोद (Balod)में 9 सूत्री मांगों को लेकर सर्व आदिवासी समाज (sarwa aadiwashi samaj) ने पूरे जिले में घेराव(Ghero) किया. इसके साथ ही सीमा में प्रवेश करने वाले सभी प्रमुख मार्गों पर आदिवासी समाज (aadiwashi samaj)के लोग बैठे हुए रहे. दुपहिया वाहन सहित यात्री बसों को भी रोक दिया गया. इस बीच प्रशासन द्वारा पल-पल की मॉनिटरिंग की गई. यहां तक कि शहर सहित ग्रामीण अंचलों में घूम-घूम कर आदिवासी समाज ने दुकानों को बंद (Shop close)करवाया. आदिवासी समाज के प्रदर्शन को लेकर प्रशासन पूरी तरह चौकस दिखा.

कांकेर में राष्ट्रीय राजमार्ग और स्टेट हाईवे को किया गया जाम

कांकेर जिले में आज सर्व आदिवासी समाज(Sarva Adivasi Samaj) की अगुवाई में जिला बन्द (district closed)किया गया. इस दौरान नेशनल हाइवे 30(National Highway 30) में जिले के मचांदुर से लेकर माकड़ी तक जगह-जगह आदिवासियों (Tribesman)ने चक्का जाम (road block)किया. इसके अलावा भानुप्रतापपुर के कच्चे, दुर्गुकोंदल, कोयलीबेड़ा, अन्तागढ़ में आदिवासियों ने स्टेट हाइवे (state highway)में भी जाम रखा. विरोध प्रदर्शन के दौरान सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष सोहन पोटाई ने कहा कि, हमारे समाज के 30 आदिवासी विधायक होने के बावजूद हमें सड़क की लड़ाई लड़नी पड़ रही है. इससे बड़ी दुर्भाग्य की बात क्या हो सकती है. अगर 30 आदिवासी विधायक चाहते तो छत्तीसगढ़ में पंजाब की तरह मुख्यमंत्री बदल देते और छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री आदिवासी होता.

धमतरी में आदिवासी समाज ने किया पुतला दहन

धमतरी में शासन प्रशासन के रवैये से नाराज सर्व आदिवासी समाज ने अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ हल्ला बोला (Speak against the government for demands). 9 सूत्रीय मांगों सहित स्थानीय मुद्दों को लेकर सर्व आदिवासी समाज (Sarva Adivasi Samaj) ने जिलेभर में प्रदर्शन किया. वहीं महाबंद, धरना प्रदर्शन और नेशनल हाईवे को चक्काजाम कर सरकार को चेतावनी दी. आदिवासी समाज (Sarva Adivasi Samaj) ने नाराजगी जताते हुए स्थानीय विधायक डॉ.लक्ष्मी ध्रुव (MLA Laxmi Dhruv) तक का पुतला दहन किया.

आदिवासी समाज की मुख्य मांगें

  • पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में जब तक माननीय उच्च न्यायालय के स्थगन समाप्त नहीं हो जाता. तब तक किसी भी हालत में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित पदोन्नत रिक्त पदों को नहीं भरे जाने की मांग.
  • शासकीय नौकरी में बैकलॉग और नई भर्तियों पर आरक्षण रोस्टर लागू किया जाए.
  • पांचवी अनुसूची क्षेत्र में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भर्ती में मूलनिवासियों की शत- प्रतिशत आरक्षण लागू किया जाए.
  • संभाग एवं जिलास्तर पर भर्ती कराया जाए.प्रदेश में खनिज उत्खनन के लिए जमीन अधिग्रहण की जगह लीज में लेकर जमीन मालिक को शेयर होल्डर बनाए जाए.
  • गांव की सामुदायिक गौण खनिज का उत्खन्न एवं निकासी का पूरा अधिकार ग्राम सभा को दिया जाए.
  • ग्राम सभा के द्वारा स्थानीय आदिवासी समिति के माध्यम से बेरोजगार युवाओं को खनिज पट्टा दिया जाए
  • फर्जी जाति मामले में दोषियों पर कार्रवाई की जाए.
  • छत्तीसगढ़ राज्य के 18 जनजातियों की मात्रात्मक त्रुटि में सुधार किया जाकर उन्हें जाति प्रमाण पत्र जारी किया जाएं.
  • अनुसूची में उल्लेखित जनजातियों का जाति प्रमाण - पत्र जारी नहीं करने वाले संबंधित अधिकारी पर दंडात्मक कार्रवाई किया जाए.
  • छात्रवृत्ति योजना में आदिवासी विद्यार्थियों के लिए आय की 2.50 लाख की पात्रता सीमा समाप्त किया जाए.
  • आदिवासी समाज की लड़कियों से अन्य गैर आदिवासी व्यक्ति से शादी होने पर उक्त महिला को जनजाति समुदाय के लाभ से वंचित न किया जाए
  • वन अधिकार कानून 2006 का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करवाया जाए. पेसा कानून की क्रियान्वयन नियम तत्काल बनाकर अनुपालन सुनिश्चित करवाया जाए.
  • 13 बिन्दुओं पर राज्य सरकार गंभीरतापूर्वक विचार कर 15 दिवस के अन्दर निर्णय कर समाज को समुचित माध्यम से सूचित किया जाए.

सर्व आदिवासी समाज के बंद में बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग जुटे. लोगों ने एक सुर में सिलगेर के आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की और प्रदेश में आदिवासी हितों से जुड़े फैसले जल्द से जल्द लिए जाने के लिए सरकार पर दबाव बनाया.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में सोमवार को सर्व आदिवासी समाज के महाबंद का असर कई जिलों में देखा गया. सिलगेर के आरोपियों पर कार्रवाई सहित कई मांगों को लेकर आदिवासी समाज ने महाबंद बुलाया था. जिसके बाद प्रदेश के कई जिलों में आदिवासी समाज के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मोर्चा बुलंद किया. इस दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग और स्टेट हाईवे को जाम किया गया. प्रदेश के बालोद, कांकेर, जगदलपुर, धमतरी, सुकमा सहित कई जिलों में बंद का असर दिखा

बालोद में सड़कों को किया गया जाम, दुकानें रही बंद

बालोद (Balod)में 9 सूत्री मांगों को लेकर सर्व आदिवासी समाज (sarwa aadiwashi samaj) ने पूरे जिले में घेराव(Ghero) किया. इसके साथ ही सीमा में प्रवेश करने वाले सभी प्रमुख मार्गों पर आदिवासी समाज (aadiwashi samaj)के लोग बैठे हुए रहे. दुपहिया वाहन सहित यात्री बसों को भी रोक दिया गया. इस बीच प्रशासन द्वारा पल-पल की मॉनिटरिंग की गई. यहां तक कि शहर सहित ग्रामीण अंचलों में घूम-घूम कर आदिवासी समाज ने दुकानों को बंद (Shop close)करवाया. आदिवासी समाज के प्रदर्शन को लेकर प्रशासन पूरी तरह चौकस दिखा.

कांकेर में राष्ट्रीय राजमार्ग और स्टेट हाईवे को किया गया जाम

कांकेर जिले में आज सर्व आदिवासी समाज(Sarva Adivasi Samaj) की अगुवाई में जिला बन्द (district closed)किया गया. इस दौरान नेशनल हाइवे 30(National Highway 30) में जिले के मचांदुर से लेकर माकड़ी तक जगह-जगह आदिवासियों (Tribesman)ने चक्का जाम (road block)किया. इसके अलावा भानुप्रतापपुर के कच्चे, दुर्गुकोंदल, कोयलीबेड़ा, अन्तागढ़ में आदिवासियों ने स्टेट हाइवे (state highway)में भी जाम रखा. विरोध प्रदर्शन के दौरान सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष सोहन पोटाई ने कहा कि, हमारे समाज के 30 आदिवासी विधायक होने के बावजूद हमें सड़क की लड़ाई लड़नी पड़ रही है. इससे बड़ी दुर्भाग्य की बात क्या हो सकती है. अगर 30 आदिवासी विधायक चाहते तो छत्तीसगढ़ में पंजाब की तरह मुख्यमंत्री बदल देते और छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री आदिवासी होता.

धमतरी में आदिवासी समाज ने किया पुतला दहन

धमतरी में शासन प्रशासन के रवैये से नाराज सर्व आदिवासी समाज ने अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ हल्ला बोला (Speak against the government for demands). 9 सूत्रीय मांगों सहित स्थानीय मुद्दों को लेकर सर्व आदिवासी समाज (Sarva Adivasi Samaj) ने जिलेभर में प्रदर्शन किया. वहीं महाबंद, धरना प्रदर्शन और नेशनल हाईवे को चक्काजाम कर सरकार को चेतावनी दी. आदिवासी समाज (Sarva Adivasi Samaj) ने नाराजगी जताते हुए स्थानीय विधायक डॉ.लक्ष्मी ध्रुव (MLA Laxmi Dhruv) तक का पुतला दहन किया.

आदिवासी समाज की मुख्य मांगें

  • पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में जब तक माननीय उच्च न्यायालय के स्थगन समाप्त नहीं हो जाता. तब तक किसी भी हालत में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित पदोन्नत रिक्त पदों को नहीं भरे जाने की मांग.
  • शासकीय नौकरी में बैकलॉग और नई भर्तियों पर आरक्षण रोस्टर लागू किया जाए.
  • पांचवी अनुसूची क्षेत्र में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भर्ती में मूलनिवासियों की शत- प्रतिशत आरक्षण लागू किया जाए.
  • संभाग एवं जिलास्तर पर भर्ती कराया जाए.प्रदेश में खनिज उत्खनन के लिए जमीन अधिग्रहण की जगह लीज में लेकर जमीन मालिक को शेयर होल्डर बनाए जाए.
  • गांव की सामुदायिक गौण खनिज का उत्खन्न एवं निकासी का पूरा अधिकार ग्राम सभा को दिया जाए.
  • ग्राम सभा के द्वारा स्थानीय आदिवासी समिति के माध्यम से बेरोजगार युवाओं को खनिज पट्टा दिया जाए
  • फर्जी जाति मामले में दोषियों पर कार्रवाई की जाए.
  • छत्तीसगढ़ राज्य के 18 जनजातियों की मात्रात्मक त्रुटि में सुधार किया जाकर उन्हें जाति प्रमाण पत्र जारी किया जाएं.
  • अनुसूची में उल्लेखित जनजातियों का जाति प्रमाण - पत्र जारी नहीं करने वाले संबंधित अधिकारी पर दंडात्मक कार्रवाई किया जाए.
  • छात्रवृत्ति योजना में आदिवासी विद्यार्थियों के लिए आय की 2.50 लाख की पात्रता सीमा समाप्त किया जाए.
  • आदिवासी समाज की लड़कियों से अन्य गैर आदिवासी व्यक्ति से शादी होने पर उक्त महिला को जनजाति समुदाय के लाभ से वंचित न किया जाए
  • वन अधिकार कानून 2006 का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करवाया जाए. पेसा कानून की क्रियान्वयन नियम तत्काल बनाकर अनुपालन सुनिश्चित करवाया जाए.
  • 13 बिन्दुओं पर राज्य सरकार गंभीरतापूर्वक विचार कर 15 दिवस के अन्दर निर्णय कर समाज को समुचित माध्यम से सूचित किया जाए.

सर्व आदिवासी समाज के बंद में बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग जुटे. लोगों ने एक सुर में सिलगेर के आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की और प्रदेश में आदिवासी हितों से जुड़े फैसले जल्द से जल्द लिए जाने के लिए सरकार पर दबाव बनाया.

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