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स्वच्छ भारत मिशन: रायपुर शहर में महिलाओं के लिए 265 सार्वजनिक शौचालय, फिर भी बद से बदतर हैं हालात - रायपुर में कुल सार्वजनिक शौचालय

छत्तीसगढ़ में सफाई के लिए सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. सरकार लगातार लोगों को सुविधाएं उपलब्ध कराने के दावे कर रही है. गांवों में सार्वजनिक शौचालय बनाए जा रहे हैं. ETV भारत की टीम ने राजधानी रायपुर के मुख्य बाजारों में सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति की जानकारी ली. देखिए स्वच्छत, शौचालय और महिलाओं की परेशानी पर ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

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रायपुर के बाजार में नहीं है शौचालय
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Published : Oct 18, 2020, 7:54 PM IST

रायपुर: देशभर में इन दिनों जोर-शोर से स्वच्छ भारत मिशन से चल रहा है. गांव को ओडीएफ करने के लिए जिला प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है. जगह-जगह सार्वजनिक शौचालय बनाए गए हैं. ETV भारत की टीम ने राजधानी रायपुर के मुख्य बाजारों में सार्वजनिक शौचालयों की उपलब्धता की जानकारी ली, जिसमें जो आंकड़े सामने आए हैं, वो चौंकाने वाले हैं. राजधानी के बााजार में हर दिन हजारों महिलाएं खरीददारी के लिए पहुंचती हैं, लेकिन इन महिलाओं के लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं है.

राजधानी में महिलाओं को नहीं मिल रही सुविधा

पढ़ें-महामारी और आर्थिक मंदी: छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी की दर में कमी, प्रवासी मजदूरों को काम देने में भी अव्वल

शहर के विस्तार के साथ ही यहां बड़े-छोटे कई बाजार विकसित हो रहे हैं. करोड़ों का कारोबार होने वाले इन बाजारों में व्यापारियों और सरकार को काफी मुनाफा होता है, लेकिन तब भी बुनियादी सुविधाओं से बाजार कोसों दूर है. रायपुर के गोल बाजार की बात करें तो यहां महज एक शौचालय है, जो हजारों महिलाओं के लिए नाकाफी है. गंदगी की वजह से महिलाएं वहां खड़ी भी नहीं रह पाती हैं. ऐसा ही हाल सदर बाजार, पंडरी और शास्त्री बाजार का है. बाजार पहुंचने वाली महिलाओं को अक्सर वॉशरूम न होने से परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी नहीं मिल रही सुविधा

महिलाओं के लिए शौचालय नहीं होने की वजह से कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. नगर निगम करोड़ों रुपये इसपर खर्च कर रहा है, बावजूद इसके लोगों को अबतक राहत नहीं मिल रही है. महिला-पुरुष दोनों शौचालयों की व्यवस्था नहीं होने की वजह से लोग सड़क पर ही लघु शंका कर रहे हैं, इससे गंदगी के साथ बीमारियों का भी खतरा बना रहता है. पार्षद सीमा साहू ने कहा कि करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी निगम लोगों को सुविधाएं नहीं दे पा रहा है. पार्षद विषदुनि पांडेय ने कहा कि बाजार में अक्सर महिलाओं को इस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. शहर के कई वार्ड में भी सार्वजनिक शौचालयों की कमी है.

रायपुर में मौजूद सार्वजनिक शौचालय-

  • 72 सार्वजनिक अस्थायी यूरिनल बाथरूम

⦁ 1900 रुपये मासिक शुक्ल दिया जाता है

⦁ शहर में 117 सामुदायिक शौचालय

⦁ 113 शौचालय को स्वच्छता श्रृंगार योजना से संचालित

⦁ 20 सीटर से कम 24 बाथरूम

⦁ 15 हजार रुपये मासिक शुल्क दिया जाता है

⦁ 20 सीटर से अधिक 83 शौचालय

⦁ 18 हजार रुपये मासिक शुल्क

⦁ शहर में सार्वजनिक 65 शौचालय

स्वास्थ्य के लिए हानिकारक

गंदगी और वॉशरूम उपलब्ध नहीं होने की वजह से महिलाओं को कई तरह की बीमरियों का खतरा बना रहा है. गायनोलॉजिस्ट आशा जैन का कहना है कि महिलाएं घंटों तक शॉपिंग करती हैं, इस स्थिति में बाजार में वॉशरूम का होना बेहद आवश्यक है. गंदी जगहों पर अक्सर यूरिनरी इंफेक्शन का खतरा बना रहता है.

जल्द आएगा नया प्रोजेक्ट

रायपुर के महापौर एजाज ढेबर ने जल्द ही इस समस्या के लोगों को निजात दिलाने के लिए नया प्रोजेक्ट लाने की बात कही है, जहां न केवल महिलाओं के लिए वॉशरूम बल्कि फीडिंग रूम भी बनाया जाएगा. अब देखना ये होगा सरकार महिलाओं की इस समस्या को कितनी गंभीरता से लेती है और जल्द से जल्द सार्वजनिक शौचालयों की सुविधा प्रदान करती है.

रायपुर: देशभर में इन दिनों जोर-शोर से स्वच्छ भारत मिशन से चल रहा है. गांव को ओडीएफ करने के लिए जिला प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है. जगह-जगह सार्वजनिक शौचालय बनाए गए हैं. ETV भारत की टीम ने राजधानी रायपुर के मुख्य बाजारों में सार्वजनिक शौचालयों की उपलब्धता की जानकारी ली, जिसमें जो आंकड़े सामने आए हैं, वो चौंकाने वाले हैं. राजधानी के बााजार में हर दिन हजारों महिलाएं खरीददारी के लिए पहुंचती हैं, लेकिन इन महिलाओं के लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं है.

राजधानी में महिलाओं को नहीं मिल रही सुविधा

पढ़ें-महामारी और आर्थिक मंदी: छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी की दर में कमी, प्रवासी मजदूरों को काम देने में भी अव्वल

शहर के विस्तार के साथ ही यहां बड़े-छोटे कई बाजार विकसित हो रहे हैं. करोड़ों का कारोबार होने वाले इन बाजारों में व्यापारियों और सरकार को काफी मुनाफा होता है, लेकिन तब भी बुनियादी सुविधाओं से बाजार कोसों दूर है. रायपुर के गोल बाजार की बात करें तो यहां महज एक शौचालय है, जो हजारों महिलाओं के लिए नाकाफी है. गंदगी की वजह से महिलाएं वहां खड़ी भी नहीं रह पाती हैं. ऐसा ही हाल सदर बाजार, पंडरी और शास्त्री बाजार का है. बाजार पहुंचने वाली महिलाओं को अक्सर वॉशरूम न होने से परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी नहीं मिल रही सुविधा

महिलाओं के लिए शौचालय नहीं होने की वजह से कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. नगर निगम करोड़ों रुपये इसपर खर्च कर रहा है, बावजूद इसके लोगों को अबतक राहत नहीं मिल रही है. महिला-पुरुष दोनों शौचालयों की व्यवस्था नहीं होने की वजह से लोग सड़क पर ही लघु शंका कर रहे हैं, इससे गंदगी के साथ बीमारियों का भी खतरा बना रहता है. पार्षद सीमा साहू ने कहा कि करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी निगम लोगों को सुविधाएं नहीं दे पा रहा है. पार्षद विषदुनि पांडेय ने कहा कि बाजार में अक्सर महिलाओं को इस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. शहर के कई वार्ड में भी सार्वजनिक शौचालयों की कमी है.

रायपुर में मौजूद सार्वजनिक शौचालय-

  • 72 सार्वजनिक अस्थायी यूरिनल बाथरूम

⦁ 1900 रुपये मासिक शुक्ल दिया जाता है

⦁ शहर में 117 सामुदायिक शौचालय

⦁ 113 शौचालय को स्वच्छता श्रृंगार योजना से संचालित

⦁ 20 सीटर से कम 24 बाथरूम

⦁ 15 हजार रुपये मासिक शुल्क दिया जाता है

⦁ 20 सीटर से अधिक 83 शौचालय

⦁ 18 हजार रुपये मासिक शुल्क

⦁ शहर में सार्वजनिक 65 शौचालय

स्वास्थ्य के लिए हानिकारक

गंदगी और वॉशरूम उपलब्ध नहीं होने की वजह से महिलाओं को कई तरह की बीमरियों का खतरा बना रहा है. गायनोलॉजिस्ट आशा जैन का कहना है कि महिलाएं घंटों तक शॉपिंग करती हैं, इस स्थिति में बाजार में वॉशरूम का होना बेहद आवश्यक है. गंदी जगहों पर अक्सर यूरिनरी इंफेक्शन का खतरा बना रहता है.

जल्द आएगा नया प्रोजेक्ट

रायपुर के महापौर एजाज ढेबर ने जल्द ही इस समस्या के लोगों को निजात दिलाने के लिए नया प्रोजेक्ट लाने की बात कही है, जहां न केवल महिलाओं के लिए वॉशरूम बल्कि फीडिंग रूम भी बनाया जाएगा. अब देखना ये होगा सरकार महिलाओं की इस समस्या को कितनी गंभीरता से लेती है और जल्द से जल्द सार्वजनिक शौचालयों की सुविधा प्रदान करती है.

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