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छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव टलने के साइड इफेक्ट, जानिए क्या पड़ेगा असर ? - DELAY IN URBAN BODY ELECTIONS

प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव 5 जनवरी 2025 तक कराए जाने थे. लेकिन यह टलता नजर आ रहा है. जानिए इसका क्या असर पड़ेगा.

URBAN BODY ELECTIONS IN CG
छत्तीसगढ़ के नगर निगमों में प्रशासकों की नियुक्ति संभव (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 12 hours ago

रायपुर: किसी भी राज्य में सूबे की सरकार के साथ साथ शहर और पंचायत की सरकार का गठन होना अनिवार्य होता है. छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव पांच जनवरी तक कराए जाने थे, क्योंकि पांच जनवरी को प्रदेश सहित रायपुर नगर निगम का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. नगरीय निकाय चुनाव की घोषणा नहीं हुई है. अब ऐसे में राजनीतिक पंडित कयास लगा रहे हैं कि नगर निगम में प्रशासक बैठाने की प्रक्रिया होगी. आइए जानते हैं कि इसका निकाय चुनाव पर क्या असर पड़ेगा. Appointment Of Administrators

निकाय चुनाव नहीं होने के साइड इफेक्ट: राजनीति के जानकार उचित शर्मा का कहना है कि नगर निगम और निकाय चुनाव नहीं होने से संबंधित नगर निगम और निकाय में प्रशासक की नियुक्ति होगी. इसकी वजह से नगर निगम का सारा काम प्रशासक के जिम्मे होगा. 6 जनवरी 2025 से यह प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. रायपुर नगर निगम में प्रशासक को बैठा दिया जाएगा.

नगरीय निकाय चुनाव टलने पर क्या होगा ? (ETV BHARAT)

नगर निगम का सारा काम प्रशासक के जिम्मे होगा. सारी व्यवस्थाएं उसके अधीन होगी. जो जनप्रतिनिधि हैं, महापौर एमआईसी सदस्य और पार्षद हैं उनके अधिकार शून्य हो जाएंगे , यानी कि वह निगम के कार्य में किसी तरह का हस्तक्षेप ,निर्णय आदेश नहीं कर सकेंगे. नगर निगम के राजनेताओं की शक्तियां प्रशासक के पास चली जाएगी. सारा काम प्रशासक करेंगे- उचित शर्मा, राजनीति के जानकार

चुनाव में देरी के क्या हैं कारण?: राजनीति के जानकार उचित शर्मा ने बताया कि प्रशासक बैठाने की नौबत छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद पहली बार पैदा हुई है. उन्होंने इसके लिए कई कारण गिनाए. उचित शर्मा ने कहा कि इसके राजनीतिक और तकनीकी कारण भी हो सकते हैं. यदि चुनाव में देरी होती है तो फिर से वोटर लिस्ट का दोबारा निरीक्षण करना होगा. 18 साल की आयु पूरी करने वाले नागरिकों को इसमें जोड़ना होगा. पूरे प्रोसेस में लगभग दो से तीन महीने लग जाएंगे. इस सूरत में तब तक नगर निगम का काम प्रशासक करेंगे.

छत्तीसगढ़ बनने से पहले पैदा हुई थी ऐसी स्थिति: वरिष्ठ पत्रकार और राजनीति के जानकार उचित शर्मा ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण से पहले ऐसी स्थिति पैदा हुई थी. जीएस मिश्रा और मनोज श्रीवास्तव प्रशासक रह चुके हैं. यह दो से तीन साल तक प्रशासक रहे हैं. उन्होंने भी कई काम किए हैं, रायपुर का शास्त्री मार्केट प्रशासक की नियुक्ति के बाद ही बना था. प्रशासक के बैठने के कई फायदे भी हैं और नुकसान भी हैं. इस दौरान विकास कार्य में जो राजनीतिक हस्तक्षेप और रोकटोक होती थी वह देखने को नहीं मिलेगी.

प्रशासक के बैठने के बाद यदि चुनाव होते हैं तो जनप्रतिनिधियों पर इसका असर पड़ेगा. जनप्रतिनिधियों के पद पर रहते हुए चुनाव होता तो ज्यादा फायदा उनको मिलता. यदि महापौर है तो उसकी मर्जी के हिसाब से कई काम होते हैं. इसका फायदा वह उठा सकते थे लेकिन इस बार चुनाव में इसका फायदा नहीं मिल पाएगा- उचित शर्मा, राजनीति के जानकार

जनवरी के पहले हफ्ते में रायपुर नगर निगम में प्रशासक बैठ जाएंगे. प्रशासक के माध्यम से नगर निगम के विकास कार्य चलते रहेंगे , जो भी प्रस्ताव वर्तमान निर्वाचित बॉडी ने पारित किया है. वह सारे कार्य उसी तरह जारी रहेंगे. आम पब्लिक को किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी. पब्लिक को दिक्कत न हो इसके लिए बीजेपी के पार्षद प्रशासक के साथ मिलकर अपने क्षेत्र में काम कर सकते हैं- मृत्युंजय दुबे, भाजपा पार्षद

रायपुर महापौर एजाज ढेबर ने क्या कहा ?: इस पूरे मसले पर रायपुर के महापौर एजाज ढेबर ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि नगर निगम में प्रशासक के बैठने से शहर की पूरी सफाई व्यवस्था ठप हो जाएगी. जो अधिकारी कर्मचारी काम करते थे वह काम नहीं कर सकेंगे. पार्षद के डर से काम होता था, पार्षद घूमते थे, इस वजह से उनके प्रभाव में काम होता था. पहले के समय में प्रशासक की नियुक्ति होती थी तो उस समय का दौर अलग था. आज रायपुर छत्तीसगढ़ की राजधानी है. प्रशासक के बैठने से पूरा सिस्टम धराशायी हो जाएगा. भले ही नगर निगम का चुनाव नहीं हो पाए. ऐसी सूरत मे भले ही हमारे पावर खत्म हो जाए. जब तक नए महापौर की नियुक्ति नहीं हो जाती. हम तो महापौर लिखते रहेंगे.

सरकार पूरी तरह से कन्फ्यूज नजर आ रही है. पहले कहा दोनों चुनाव साथ में करेंगे. नगर पंचायत में लॉटरी निकालने का भी ऐलान कर दिया, फिर उसे कैंसिल कर दिया गया. अब एक बार फिर उन्होंने आरक्षण को लेकर दोबारा लॉटरी निकाले जाने की बात कही है. मुझे नहीं लगता कि सरकार समय सीमा पर चुनाव करा पाएगी. यहां पर प्रशासक जरूर बैठेंगे. -एजाज ढेबर, महापौर, रायपुर नगर निगम

27 दिसंबर को महापौर और अध्यक्ष पद का आरक्षण है. मुझे लगता है कि चुनाव में केवल 15 से 20 दिन का अंतर आएगा और चुनाव निर्धारित समय सीमा से एक महीने की देरी में होगी. विधानसभा से पास अध्यादेश में भी 3 महीने में चुनाव कराए जाने की बात सामने आई है. ऐसे में मुझे लगता है कि चुनाव 1 महीने के अंदर कराए जा सकते हैं. चुनाव में देरी से जनप्रतिनिधियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. इसका चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा- गिरीश दुबे , कांग्रेस पार्षद

रायपुर निगम में कब कब हुई प्रशासक की नियुक्ति?: रायपुर नगर निगम में साल 1985 से 1995 तक प्रशासक की नियुक्ति रही है. 1985 में रायपुर नगर निगम में ओंकार प्रसाद दुबे को प्रशासक नियुक्त किया गया था. वे 1985 से 1987 तक प्रशासक के तौर पर जिम्मेदारी संभालते रहे. साल 1987 से 88 तक अजयनाथ को प्रशासक की जिम्मेदारी मिली थी. मनोज श्रीवास्तव भी 1990 से 93 तक प्रशासक रहे. पीसीएस अधिकारी जीएस मिश्रा ने 1993 से 95 तक रायपुर निगम में प्रशासक के तौर पर जिम्मेदारी संभाली. अन्य प्रशासकों में बजरंग सहाय और बीएस श्रीवास्तव ने भी भूमिका निभाई.

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निकाय चुनाव नहीं होने के साइड इफेक्ट: राजनीति के जानकार उचित शर्मा का कहना है कि नगर निगम और निकाय चुनाव नहीं होने से संबंधित नगर निगम और निकाय में प्रशासक की नियुक्ति होगी. इसकी वजह से नगर निगम का सारा काम प्रशासक के जिम्मे होगा. 6 जनवरी 2025 से यह प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. रायपुर नगर निगम में प्रशासक को बैठा दिया जाएगा.

नगरीय निकाय चुनाव टलने पर क्या होगा ? (ETV BHARAT)

नगर निगम का सारा काम प्रशासक के जिम्मे होगा. सारी व्यवस्थाएं उसके अधीन होगी. जो जनप्रतिनिधि हैं, महापौर एमआईसी सदस्य और पार्षद हैं उनके अधिकार शून्य हो जाएंगे , यानी कि वह निगम के कार्य में किसी तरह का हस्तक्षेप ,निर्णय आदेश नहीं कर सकेंगे. नगर निगम के राजनेताओं की शक्तियां प्रशासक के पास चली जाएगी. सारा काम प्रशासक करेंगे- उचित शर्मा, राजनीति के जानकार

चुनाव में देरी के क्या हैं कारण?: राजनीति के जानकार उचित शर्मा ने बताया कि प्रशासक बैठाने की नौबत छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद पहली बार पैदा हुई है. उन्होंने इसके लिए कई कारण गिनाए. उचित शर्मा ने कहा कि इसके राजनीतिक और तकनीकी कारण भी हो सकते हैं. यदि चुनाव में देरी होती है तो फिर से वोटर लिस्ट का दोबारा निरीक्षण करना होगा. 18 साल की आयु पूरी करने वाले नागरिकों को इसमें जोड़ना होगा. पूरे प्रोसेस में लगभग दो से तीन महीने लग जाएंगे. इस सूरत में तब तक नगर निगम का काम प्रशासक करेंगे.

छत्तीसगढ़ बनने से पहले पैदा हुई थी ऐसी स्थिति: वरिष्ठ पत्रकार और राजनीति के जानकार उचित शर्मा ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण से पहले ऐसी स्थिति पैदा हुई थी. जीएस मिश्रा और मनोज श्रीवास्तव प्रशासक रह चुके हैं. यह दो से तीन साल तक प्रशासक रहे हैं. उन्होंने भी कई काम किए हैं, रायपुर का शास्त्री मार्केट प्रशासक की नियुक्ति के बाद ही बना था. प्रशासक के बैठने के कई फायदे भी हैं और नुकसान भी हैं. इस दौरान विकास कार्य में जो राजनीतिक हस्तक्षेप और रोकटोक होती थी वह देखने को नहीं मिलेगी.

प्रशासक के बैठने के बाद यदि चुनाव होते हैं तो जनप्रतिनिधियों पर इसका असर पड़ेगा. जनप्रतिनिधियों के पद पर रहते हुए चुनाव होता तो ज्यादा फायदा उनको मिलता. यदि महापौर है तो उसकी मर्जी के हिसाब से कई काम होते हैं. इसका फायदा वह उठा सकते थे लेकिन इस बार चुनाव में इसका फायदा नहीं मिल पाएगा- उचित शर्मा, राजनीति के जानकार

जनवरी के पहले हफ्ते में रायपुर नगर निगम में प्रशासक बैठ जाएंगे. प्रशासक के माध्यम से नगर निगम के विकास कार्य चलते रहेंगे , जो भी प्रस्ताव वर्तमान निर्वाचित बॉडी ने पारित किया है. वह सारे कार्य उसी तरह जारी रहेंगे. आम पब्लिक को किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी. पब्लिक को दिक्कत न हो इसके लिए बीजेपी के पार्षद प्रशासक के साथ मिलकर अपने क्षेत्र में काम कर सकते हैं- मृत्युंजय दुबे, भाजपा पार्षद

रायपुर महापौर एजाज ढेबर ने क्या कहा ?: इस पूरे मसले पर रायपुर के महापौर एजाज ढेबर ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि नगर निगम में प्रशासक के बैठने से शहर की पूरी सफाई व्यवस्था ठप हो जाएगी. जो अधिकारी कर्मचारी काम करते थे वह काम नहीं कर सकेंगे. पार्षद के डर से काम होता था, पार्षद घूमते थे, इस वजह से उनके प्रभाव में काम होता था. पहले के समय में प्रशासक की नियुक्ति होती थी तो उस समय का दौर अलग था. आज रायपुर छत्तीसगढ़ की राजधानी है. प्रशासक के बैठने से पूरा सिस्टम धराशायी हो जाएगा. भले ही नगर निगम का चुनाव नहीं हो पाए. ऐसी सूरत मे भले ही हमारे पावर खत्म हो जाए. जब तक नए महापौर की नियुक्ति नहीं हो जाती. हम तो महापौर लिखते रहेंगे.

सरकार पूरी तरह से कन्फ्यूज नजर आ रही है. पहले कहा दोनों चुनाव साथ में करेंगे. नगर पंचायत में लॉटरी निकालने का भी ऐलान कर दिया, फिर उसे कैंसिल कर दिया गया. अब एक बार फिर उन्होंने आरक्षण को लेकर दोबारा लॉटरी निकाले जाने की बात कही है. मुझे नहीं लगता कि सरकार समय सीमा पर चुनाव करा पाएगी. यहां पर प्रशासक जरूर बैठेंगे. -एजाज ढेबर, महापौर, रायपुर नगर निगम

27 दिसंबर को महापौर और अध्यक्ष पद का आरक्षण है. मुझे लगता है कि चुनाव में केवल 15 से 20 दिन का अंतर आएगा और चुनाव निर्धारित समय सीमा से एक महीने की देरी में होगी. विधानसभा से पास अध्यादेश में भी 3 महीने में चुनाव कराए जाने की बात सामने आई है. ऐसे में मुझे लगता है कि चुनाव 1 महीने के अंदर कराए जा सकते हैं. चुनाव में देरी से जनप्रतिनिधियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. इसका चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा- गिरीश दुबे , कांग्रेस पार्षद

रायपुर निगम में कब कब हुई प्रशासक की नियुक्ति?: रायपुर नगर निगम में साल 1985 से 1995 तक प्रशासक की नियुक्ति रही है. 1985 में रायपुर नगर निगम में ओंकार प्रसाद दुबे को प्रशासक नियुक्त किया गया था. वे 1985 से 1987 तक प्रशासक के तौर पर जिम्मेदारी संभालते रहे. साल 1987 से 88 तक अजयनाथ को प्रशासक की जिम्मेदारी मिली थी. मनोज श्रीवास्तव भी 1990 से 93 तक प्रशासक रहे. पीसीएस अधिकारी जीएस मिश्रा ने 1993 से 95 तक रायपुर निगम में प्रशासक के तौर पर जिम्मेदारी संभाली. अन्य प्रशासकों में बजरंग सहाय और बीएस श्रीवास्तव ने भी भूमिका निभाई.

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