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छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रदेश प्रभारी के बाद प्रदेश अध्यक्ष बदलाव की सुगबुगाहट तेज

मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के अध्यक्ष पद संभालते ही विभिन्न राज्यों में टीम तैयार कर रहे हैं. सभी राज्यों के प्रभारी बदलने के बाद प्रदेश अध्यक्ष पर टिकी है. कयास लगाया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रदेश प्रभारी के बाद प्रदेश अध्यक्ष बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है. छत्तीसगढ़ कांग्रेस की कमान मोहन मरकाम संभाल रहे हैं जो कि विधायक भी हैं.

कांग्रेस नेता
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Published : Dec 9, 2022, 9:45 PM IST

रायपुर: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का चुनाव हुआ. जिसके बाद मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के नए अध्यक्ष चुने गए. अब मल्लिकार्जुन खड़गे देश के विभिन्न राज्यों में अपनी टीम तैयार कर रहे हैं. इसी कड़ी में मलिकार्जुन ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रदेश प्रभारी पी एल पुनिया को बदलते हुए उनकी जगह कुमारी शैलजा को छत्तीसगढ़ की कमान सौंपी है. कुमारी शैलजा के प्रदेश प्रभारी बनते ही, अब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बदलने की सुगबुगाहट तेज हो गई है. माना जा रहा है कि अब मल्लिकार्जुन खड़गे अपनी नई टीम तैयार कर रहे हैं और उसमें प्रभारी के बाद हो सकता है कि प्रदेश अध्यक्ष को भी बदला जाए.



वर्तमान में छत्तीसगढ़ कांग्रेस की कमान मोहन मरकाम संभाल रहे हैं जो कि विधायक भी हैं. उनके नेतृत्व में लगातार कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन कर रही है. हाल के उप चुनावों में भी कांग्रेस को अच्छी जीत मिली है. वहीं मोहन मरकाम पार्टी में बेहतर तालमेल मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं इस बीच यदि चुनाव के 10 11महीने पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बदला जाता है तो उसका पार्टी पर क्या प्रभाव पड़ेगा. इससे पार्टी को कितना नफा नुकसान होगा आखिर इस पूरे मामले को लेकर राजनीति के जानकार क्या कहते हैं.

राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा का कहना है कि "जुलाई अगस्त में इस तरह की चर्चा थी कि जब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव चल रहे हैं. ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष भी बदले जा सकते हैं. तब तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बदलने की जरूरत नहीं है. लेकिन अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बदल चुके हैं, ऐसे में स्वाभाविक है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष देश में अपनी टीम तैयार करेंगे. यही वजह है कि वर्तमान में पीएल पुनिया की जगह कुमारी शैलजा को कांग्रेस प्रदेश प्रभारी बनाया गया है. ऐसे में कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व वर्तमान प्रदेश प्रभारी से फीडबैक ले. आगामी दिनों में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कोई निर्णय ले सकता है.

यह भी पढ़ें: जहां जहां करप्शन वहां वहां जाएगी ED, रमन सिंह का बयान

शशांक ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए 10 11 महीने पहले प्रदेश अध्यक्ष को बदलना भाजपा ने जरूर किया है, लेकिन कांग्रेस पार्टी के लिए वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए अच्छा संदेश नहीं जाएगा. वैसे ही छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है और ऐसे में सरकार के रहते हुए संगठन का ज्यादा प्रभाव नहीं होता है. सरकार अपने दम पर चुनाव लड़ती है. ऐसे में मुझे लगता है कि मोहन मरकाम का चेहरा सामने रखकर भी चुनाव लड़ा जा सकता है. हाल ही में आदिवासी सीटों पर कांग्रेस को जीत भी हासिल हुई है. वर्तमान में ऐसी स्थिति निर्मित नहीं हो रही है कि पार्टी को लगे कि मरकाम को बदलने की जरूरत है. हालांकि प्रदेश में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बदलने की सुगबुगाहट है, लेकिन मुझे लगता है कि मोहन मरकाम के नेतृत्व में ही आगामी विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा.

यदि प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम को बदला जाता है तो उसका पार्टी पर क्या प्रभाव पड़ेगा. इस सवाल के जवाब में शशांक शर्मा ने कहा कि "कांग्रेस के लिए यह माइनस प्लस कहना कठिन होगा, क्योंकि देखने में आता है कि यदि आप किसी को बदलते हैं तो उनके बीच मनमुटाव शुरू हो जाता है, उनमें असंतोष उभर कर देखने को मिलता है. लगभग 4 वर्षों से मोहन मरकाम अध्यक्ष हैं, उनका भी प्रभाव पूरे प्रदेश में है, और एक उनकी अलग पहचान बनी है. यदि कोई नया अध्यक्ष नियुक्त करते हैं तो उन्हें पहचान बनाने, कार्यकर्ताओं से तालमेल बिठाने, पूरे विधानसभा में अपनी टीम बनाने कम समय मिलेगा. ऐसे में जब सब कुछ ठीक चल रहा है तो पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बदल कर कोई जोखिम लेना नहीं चाहेगी."

रायपुर: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का चुनाव हुआ. जिसके बाद मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के नए अध्यक्ष चुने गए. अब मल्लिकार्जुन खड़गे देश के विभिन्न राज्यों में अपनी टीम तैयार कर रहे हैं. इसी कड़ी में मलिकार्जुन ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रदेश प्रभारी पी एल पुनिया को बदलते हुए उनकी जगह कुमारी शैलजा को छत्तीसगढ़ की कमान सौंपी है. कुमारी शैलजा के प्रदेश प्रभारी बनते ही, अब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बदलने की सुगबुगाहट तेज हो गई है. माना जा रहा है कि अब मल्लिकार्जुन खड़गे अपनी नई टीम तैयार कर रहे हैं और उसमें प्रभारी के बाद हो सकता है कि प्रदेश अध्यक्ष को भी बदला जाए.



वर्तमान में छत्तीसगढ़ कांग्रेस की कमान मोहन मरकाम संभाल रहे हैं जो कि विधायक भी हैं. उनके नेतृत्व में लगातार कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन कर रही है. हाल के उप चुनावों में भी कांग्रेस को अच्छी जीत मिली है. वहीं मोहन मरकाम पार्टी में बेहतर तालमेल मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं इस बीच यदि चुनाव के 10 11महीने पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बदला जाता है तो उसका पार्टी पर क्या प्रभाव पड़ेगा. इससे पार्टी को कितना नफा नुकसान होगा आखिर इस पूरे मामले को लेकर राजनीति के जानकार क्या कहते हैं.

राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा का कहना है कि "जुलाई अगस्त में इस तरह की चर्चा थी कि जब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव चल रहे हैं. ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष भी बदले जा सकते हैं. तब तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बदलने की जरूरत नहीं है. लेकिन अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बदल चुके हैं, ऐसे में स्वाभाविक है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष देश में अपनी टीम तैयार करेंगे. यही वजह है कि वर्तमान में पीएल पुनिया की जगह कुमारी शैलजा को कांग्रेस प्रदेश प्रभारी बनाया गया है. ऐसे में कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व वर्तमान प्रदेश प्रभारी से फीडबैक ले. आगामी दिनों में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कोई निर्णय ले सकता है.

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शशांक ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए 10 11 महीने पहले प्रदेश अध्यक्ष को बदलना भाजपा ने जरूर किया है, लेकिन कांग्रेस पार्टी के लिए वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए अच्छा संदेश नहीं जाएगा. वैसे ही छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है और ऐसे में सरकार के रहते हुए संगठन का ज्यादा प्रभाव नहीं होता है. सरकार अपने दम पर चुनाव लड़ती है. ऐसे में मुझे लगता है कि मोहन मरकाम का चेहरा सामने रखकर भी चुनाव लड़ा जा सकता है. हाल ही में आदिवासी सीटों पर कांग्रेस को जीत भी हासिल हुई है. वर्तमान में ऐसी स्थिति निर्मित नहीं हो रही है कि पार्टी को लगे कि मरकाम को बदलने की जरूरत है. हालांकि प्रदेश में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बदलने की सुगबुगाहट है, लेकिन मुझे लगता है कि मोहन मरकाम के नेतृत्व में ही आगामी विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा.

यदि प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम को बदला जाता है तो उसका पार्टी पर क्या प्रभाव पड़ेगा. इस सवाल के जवाब में शशांक शर्मा ने कहा कि "कांग्रेस के लिए यह माइनस प्लस कहना कठिन होगा, क्योंकि देखने में आता है कि यदि आप किसी को बदलते हैं तो उनके बीच मनमुटाव शुरू हो जाता है, उनमें असंतोष उभर कर देखने को मिलता है. लगभग 4 वर्षों से मोहन मरकाम अध्यक्ष हैं, उनका भी प्रभाव पूरे प्रदेश में है, और एक उनकी अलग पहचान बनी है. यदि कोई नया अध्यक्ष नियुक्त करते हैं तो उन्हें पहचान बनाने, कार्यकर्ताओं से तालमेल बिठाने, पूरे विधानसभा में अपनी टीम बनाने कम समय मिलेगा. ऐसे में जब सब कुछ ठीक चल रहा है तो पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बदल कर कोई जोखिम लेना नहीं चाहेगी."

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