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इंटर स्टेट बस टर्मिनल बनकर तैयार, लेकिन पूरी नहीं हुई दूधाधारी मठ की शर्तें

राजधानी के भाटागांव स्थित दूधाधारी मठ द्वारा दान की गई जमीन पर इंटर स्टेट बस टर्मिनल का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन दूधाधारी मठ ने जिन चार शर्तों के आधार पर जमीन दी थी, उसमें से एक भी शर्त पूरी नहीं हुई है.

पूरी नहीं हुई दूधाधारी मठ की शर्तें
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Published : Oct 3, 2019, 5:31 PM IST

Updated : Oct 3, 2019, 8:07 PM IST

रायपुर : भाटागांव स्थित दूधाधारी मठ द्वारा दान की गई जमीन पर नगरीय प्रशासन और विकास विभाग ने 49 करोड़ की लागत से इंटर स्टेट बस टर्मिनल का निर्माण कराया है. बस टर्मिनल का काम लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन जमीन देने के साथ दी गई चार शर्तों में से एक भी शर्त को पूरा नहीं किया गया है.

पूरी नहीं हुई दूधाधारी मठ की शर्तें

इंटर स्टेट बस टर्मिनल का लोकार्पण 2 अक्टूबर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा किया जाना था, लेकिन किसी कारण लोकार्पण नहीं हो सका. जिसकी वजह से शहरवासियों को हाईटेक बस टर्मिनल के लिए थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा, लेकिन दूधाधारी मठ ने जिन चार शर्तों के साथ जमीन दिया था, उसमें से एक भी शर्त पूरी नहीं की गई है.

दूधाधारी मठ की 4 शर्तें

⦁ इंटर स्टेट बस टर्मिनल का नाम दूधाधारी मठ के नाम पर रखा जाएगा.
⦁ इंटर स्टेट बस टर्मिनल पर बनी दुकानों में 15 दुकानें दूधाधारी मठ को दी जाएंगी.
⦁ समय-समय पर जमीन की उपयोगिता बदली जाएगी.
⦁ रायपुर के आसपास की 30 एकड़ जमीन दूधाधारी मठ को दी जाएगी.

इन चार शर्तों के आधार पर ही दूधाधारी मठ ने सरकार को यह जमीन दी थी. जिसमें से अब तक एक भी शर्त पूरी नहीं की गई है.

इस पर जब ETV भारत की टीम ने दूधाधारी मठ के महामंडलेश्वर राम सुंदर दास से पूछा कि उनकी शर्तें पूरी न होने पर उनकी प्रतिक्रिया क्या होगी तो उन्होंने बताया कि दूधाधारी मठ का धर्म मनुष्य समाज की सेवा करना है, इसलिए उन्होंने यह जमीन दान कर दी है.

रायपुर : भाटागांव स्थित दूधाधारी मठ द्वारा दान की गई जमीन पर नगरीय प्रशासन और विकास विभाग ने 49 करोड़ की लागत से इंटर स्टेट बस टर्मिनल का निर्माण कराया है. बस टर्मिनल का काम लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन जमीन देने के साथ दी गई चार शर्तों में से एक भी शर्त को पूरा नहीं किया गया है.

पूरी नहीं हुई दूधाधारी मठ की शर्तें

इंटर स्टेट बस टर्मिनल का लोकार्पण 2 अक्टूबर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा किया जाना था, लेकिन किसी कारण लोकार्पण नहीं हो सका. जिसकी वजह से शहरवासियों को हाईटेक बस टर्मिनल के लिए थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा, लेकिन दूधाधारी मठ ने जिन चार शर्तों के साथ जमीन दिया था, उसमें से एक भी शर्त पूरी नहीं की गई है.

दूधाधारी मठ की 4 शर्तें

⦁ इंटर स्टेट बस टर्मिनल का नाम दूधाधारी मठ के नाम पर रखा जाएगा.
⦁ इंटर स्टेट बस टर्मिनल पर बनी दुकानों में 15 दुकानें दूधाधारी मठ को दी जाएंगी.
⦁ समय-समय पर जमीन की उपयोगिता बदली जाएगी.
⦁ रायपुर के आसपास की 30 एकड़ जमीन दूधाधारी मठ को दी जाएगी.

इन चार शर्तों के आधार पर ही दूधाधारी मठ ने सरकार को यह जमीन दी थी. जिसमें से अब तक एक भी शर्त पूरी नहीं की गई है.

इस पर जब ETV भारत की टीम ने दूधाधारी मठ के महामंडलेश्वर राम सुंदर दास से पूछा कि उनकी शर्तें पूरी न होने पर उनकी प्रतिक्रिया क्या होगी तो उन्होंने बताया कि दूधाधारी मठ का धर्म मनुष्य समाज की सेवा करना है, इसलिए उन्होंने यह जमीन दान कर दी है.

Intro:राजधानी रायपुर के भाटा गांव स्थित दूधाधारी मठ के द्वारा दान की गई जमीन पर नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा 49 करोड़ की लागत से इंटर स्टेट बस टर्मिनल का निर्माण किया जा चुका है। इंटर स्टेट बस टर्मिनल का लोकार्पण 2 अक्टूबर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा किया जाना था जो कि अब किसी कारण वार्श स्तागित कर दिया गया है। नगर निगम द्वारा इस समारोह के लिए तैयारी पूरी कर ली गई थी पर अब शहरवासियों को हाईटेक बस टर्मिनल के लिए थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा।

Body:दूधाधारी मठ के महामंडलेश्वर डॉ राम सुंदर दास का कहना है कि प्रशासन के पास रायपुर के आसपास कोई बड़ी जमीन ना होने के कारण प्रशासन ने दूधाधारी मठ के सामने प्रस्ताव रखा जिसमें प्रशासन ने कहा कि दूधाधारी मठ की जमीन जो भाटा गांव में रिंग रोड से लगी हुई है वह हमें मिल जाए तो उसे बस अड्डा बनाया जा सकता है इसके बाद दूधाधारी मठ के ट्रस्ट कमेटी ने एक बैठक बुलाई जिसमें चर्चा कर प्रशासन को 30 एकड़ जमीन जो की रिंग रोड से लगी हुई है वह दान कर दी गई। दूधाधारी मठ द्वारा चार शर्तें कही गई जिसे स्वीकार कर सरकार द्वारा जमीन ले ली गई और सरकार ने मठ को यह यकीन दिलाया था कि उनकी यह शर्तें वह बस टर्मिनल बनते साथ ही पूरी कर दी जाएगी। पहली शर्त थी कि इंटर स्टेट बस टर्मिनल का नाम दूधाधारी मठ के नाम पर रखा जाएगा। दूसरी शर्त थी कि इंटर स्टेट बस टर्मिनल पर बनी दुकानों में 15 दुकान दूधाधारी मठ को दी जाएगी । तीसरी शर्त थी कि वह जमीन की उपयोगिता बदलेंगे। चोथी शर्त थी कि रायपुर के आसपास की 30 एकड़ जमीन दूधाधारी मठ को दी जाएगी। इन चार शर्त के आधार पर दूधाधारी मठ ने सरकार को यह जमीन दे दी थी। दूधाधारी मठ ने 4 शर्तों के साथ प्रशासन को यह जमीन 2007 में सौंप दी थी पर इस जमीन पर इंटर स्टेट बस टर्मिनल का निर्माण में 2017 से तेज़ी आई और 2019 तक बन कर लगभग तैयार है पर दूधाधारी मठ द्वारा जो शर्ते रखी गई थी उन 4 शर्तों में अब तक एक शर्त भी पूरी नहीं की गई है पर बस टर्मिनल बनकर लोकार्पण के लिए लगभग तैयार है।

2007 में मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने बस अड्डा बनाने का प्रस्ताव दूधाधारी मठ के सामने रखा गया था इस प्रस्ताव में डॉ रमन सिंह के साथ साथ ,रायपुर जिला कलेक्टर विकास सिल , रायपुर नगर निगम महापौर सुनील सोनी , महामंडलेश्वर राम सुंदर दास सहित ट्रस्ट के वरिष्ठ सदस्य देवेंद्र नाथ सिंह ठाकुर सबके सिग्नेचर इस प्रस्ताव में किए गए थे। 2007 से 2018 तक बीजेपी की सरकार होने के बावजूद दूधाधारी मठ की ये 4 शर्तें पूरी नहीं की गई अब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है और अब देखने की बात यह है कि क्या बस टर्मिनल के उद्घाटन होने तक दूधाधारी मठ की ये 4 शर्ते पूरी कि जा सकेगी ।
Conclusion:जब हमने दूधाधारी मठ के महामंडलेश्वर डॉक्टर राम सुंदर दास से पूछा उनकी शर्त पूरी ना होने पर उनकी प्रतिक्रिया क्या होगी तो उन्होंने बताया कि दूधाधारी मठ का धर्म मनुष्य समाज की सेवा करना है इसलिए उन्होंने यह जमीन दान कर दी पर क्योंकि बस टर्मिनल बनाने का प्रस्ताव डॉक्टर रमन सिंह के द्वारा रखा गया था और 4 शर्ते दूधाधारी मठ के द्वारा दी गई थी जिसे मानना ना मानना अब सरकार के ऊपर है।

बाइट :- डॉ राम सुंदर दास महामंडलेश्वर दूधाधारी मठ
अभिषेक कुमार सिंह ईटीवी भारत रायपुर
Last Updated : Oct 3, 2019, 8:07 PM IST
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