रायपुर: हर साल की तरह इस साल भी वन विभाग पौधरोपण की तैयारी कर रहा है. इस बार भी राज्य सरकार ने 'हरियर छत्तीसगढ़ अभियान' के तहत करीब 7 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बैठक लेकर सभी अधिकारियों को निर्देशित भी किया है. अब सवाल ये उठता है कि करोड़ों की संख्या में लगने वाले इन पेड़-पौधों को सहेजा जाता है कि नहीं और आखिर आंकड़ों के हिसाब से जमीनी स्तर पर हर साल कितने पौधे पेड़ बन पाते हैं.
पर्यावरण दिवस के दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सीएम हाउस में पौधरोपण किया. इस दौरान उन्होंने अमरूद, आम और बोहार का पौधा लगाया. इस मौके पर सीएम बघेल एक किसान की भांति खुद ही पौधा रोपने के लिए गड्ढा खोदते नजर आए. उन्होंने मिट्टी हटाकर अपने हाथों से पौधा लगाया और उस पर पानी डाला. यही नहीं उन्होंने मुख्यमंत्री निवास परिसर के गार्डन में घूमकर सभी पेड़-पौधों पर पानी की बौछार भी की.
काश ! यह पेड़ वाईफाई देते तो, न जाने कितने पेड़ लग जाते: सीएम भूपेश
पर्यावरण दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक वीडियो संदेश के जरिए लोगों से पर्यावरण संरक्षण की अपील की थी. उन्होंने कहा था कि 'काश ! पेड़ वाईफाई दे पाते, तो न जाने कितने पेड़ लग जाते'. इस दौरान सीएम बघेल ने हरियाली और शुद्ध वातावरण को जरूरी बताया था.
11 जुलाई को पूरे छत्तीसगढ़ में एक साथ होगा पौधरोपण
इस साल 11 जुलाई को पूरे प्रदेश में एक साथ पौधे लगाए जाएंगे. इसके लिए फलों और सब्जियों के पेड़ों को लिए बीज और सीडबॉल की व्यवस्था भी वन विभाग ने कर ली है. 50 हजार किलोग्राम फलदार पौधों के बीज, 6 हजार 500 किलोग्राम सब्जी बीज और 25 लाख सीडबॉल की बुआई की व्यवस्था की गई है.
नदियों के किनारे लगाए जाएंगे पौधे
इस बार नदी के किनारे भी वृक्षारोपण की योजना राज्य सरकार ने बनाई है. राज्य की 14 अलग-अलग नदियों के 946 हेक्टेयर रकबे में 10 लाख 39 हजार 524 पौधरोपण का लक्ष्य रखा गया है. नदी के किनारे तटों पर पीपल, आम, आंवला, अर्जुन बांस, शिशु कहुआ, जामुन, नीम, करंज, महुआ, सिरस, अकेशिया सहित अन्य मिश्रित प्रजातियों के पौधे लगाए जाएंगे.
राम वन गमन मार्ग पर भी होगा वृक्षारोपण
प्रदेश में भगवान राम जिन भी जगहों से गुजरे हैं, उन्हें पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है. इसे राम वन गमन पथ का नाम दिया गया है. करीब 1300 किलोमीटर लंबे इस राम वन गमन पथ के 75 विभिन्न स्थलों में आम, बरगद, पीपल, नीम और आंवला जैसे फलदार पौधों का रोपण किया जाएगा.
पेड़ लगाने और बचाने के लिए मिलेंगे प्रति पेड़ 15 रूपये
छत्तीसगढ़ में पेड़ों की रक्षा करने के लिए पंचायत विभाग प्रति व्यक्ति प्रति पेड़ 15 रुपए तक देने की प्लानिंग पिछले साल कर रहा था. पौधरोपण के बाद पौधों को बचाने के लिए इसे मनरेगा से जोड़कर योजना बनाई जा रही थी. इससे लोगों को रोजगार मिलता, साथ ही पौधों को मरने से बचाया जा सकता था, लेकिन सरकार की यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई.
हर साल लगाए जाते हैं करोड़ों पेड़, फिर भी घटा जंगल का रकबा
ऐसा पहली बार नहीं है, जब प्रदेश में करोड़ों पेड़ लगाने की तैयारी की गई हो. हर साल वृक्षारोपण किया जाता है. सरकार हर बार करोड़ों पेड़ लगाने का दावा करती है, इसमें अरबों रुपए खर्च भी किए जाते हैं. इसके बावजूद जंगलों का क्षेत्रफल लगातार घटता जा रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल करोड़ों वृक्ष लगाने के बावजूद लगभग 3700 वर्ग किलोमीटर जंगल घट गए हैं.
'आधे वृक्ष भी लग जाते, तो प्रदेश में चारों और दिखता जंगल'
जिस तरह से वर्तमान और पूर्व की सरकारों ने प्रदेश में प्रतिवर्ष वृक्षारोपण किया, अगर लगाए गए सभी पेड़ों में से आधे को भी सहेज कर रखा जाता और उनका संरक्षण किया जाता, तो पूरा प्रदेश जंगलनुमा नजर आता. चारों तरफ हरियाली होती, लेकिन प्रदेश बनने के 20 साल बाद भी ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है.
घटते जंगल को लेकर हाईकोर्ट में लगाई गई थी याचिका
प्रदेश में वृक्षारोपण के बाद भी घटते जंगल को लेकर पूर्व में हाईकोर्ट में एक याचिका भी लगाई गई थी. जिसमें बताया गया था कि छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद लगातार वृक्षारोपण किया जा रहा है. बावजूद इसके 2001 से लेकर 2015 तक लगभग 3 प्रतिशत जंगल यानि कि 3700 वर्ग किलोमीटर जंगल कम हो गए. साल 2017 में आठ करोड़, साल 2016 में 7 करोड़ 60 लाख, साल 2015 में 10 करोड़ पौधे रोपित किए गए थे, इसके बावजूद भी जंगल का रकबा नहीं बढ़ा.
सरकारी दस्तावेजों में सूखे मैदानों में दिखा हरा-भरा जंगल
एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी दस्तावेजों में राज्य के दर्जनभर जिलों में खाली पड़े मैदानों को वन विभाग ने सरकारी रिकॉर्ड में हरे-भरे वृक्षों का जंगल बताया है. इन जिलों में धमतरी, महासमुंद, बस्तर, रायगढ़, कोरबा, जांजगीर-चांपा, अंबिकापुर, मुंगेली, राजनंदगांव, बेमेतरा, बालोद और सूरजपुर जैसे कई जिले के कई इलाके शामिल हैं, जबकि इन इलाकों में दूर-दूर तक जंगलों का नामोनिशान नहीं है.
जानकार बताते हैं कि सरकार बिना किसी पूर्व तैयारी और योजना के तहत वृक्षारोपण करती है. उनकी ये योजना सफल नहीं हो पा रही है. पर्यावरण प्रेमी नितिन सिंघवी ने बताया कि साल 1986 में मध्यप्रदेश के समय जारी प्लांटेशन टेक्निक के मुताबिक वृक्षारोपण के लिए जगह का चयन वृक्षारोपण करने के एक साल पहले ही कर दिया जाना चाहिए. गर्मियों में ही वृक्षारोपण के लिए गड्ढे खोदे जाने चाहिए. हालांकि वन विभाग ने इसके लिए साल 2013 में निर्देश जारी कर दिए हैं कि हर हालात में 20 जुलाई तक वृक्षारोपण का काम पूरा हो जाना चाहिए. बारिश या विषम परिस्थिति हो तो 31 जुलाई तक भी वृक्षारोपण किया जा सकता है, लेकिन इन प्रावधानों का पालन नहीं किया जा रहा है. इतना ही नहीं राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को तकनीकी तौर पर वृक्षारोपण किए जाने को लेकर शपथ पत्र दिया है, फिर भी इस पर अमल नहीं किया जा रहा है.
लगाए गए पौधों की गिनती और जांच प्रक्रिया ठंडे बस्ते में
वृक्षारोपण में कई जगहों से गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद दिसंबर 2018 में राज्य में पहली बार वन विभाग ने पिछले 3 वर्षों में लगाए गए पौधे की जांच कराने का निर्णय लिया. जनवरी 2019 में एक निजी एजेंसी इसकी निगरानी शुरू करने वाली थी, जिसके तहत सभी 27 जिलों में जाकर 2015 से लेकर 2017 के बीच में पौधारोपण की स्थिति का निरीक्षण किया जाना था. इसके लिए टेंडर प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई थी, लेकिन बाद में यह प्रक्रिया ठंडे बस्ते में चली गई.
छत्तीसगढ़ में वन का क्षेत्रफल
- राज्य का कुल क्षेत्रफल - 1,35,191 वर्ग किलोमोटर
- राज्य में वन का क्षेत्रफल - 59,772 वर्ग किलोमोटर
वन क्षेत्रफल प्रतिशत
आरक्षित वन क्षेत्र | 25,782 वर्ग किलोमोटर | 43.13% |
संरक्षित | 24,036 वर्ग किलोमोटर | 40.22% |
अवर्गीकृत | 9,954 वर्ग किलोमोटर | 16.65% |
वृक्ष प्रजाति वन
साल वन | 24,245 वर्ग किलोमोटर | 40.56% |
सागौन वन | 5,633 वर्ग किलोमोटर | 9.42% |
मिश्रित | 26,018 वर्ग किलोमोटर | 43.52% |
कांग्रेस ने पूर्व की सरकार पर लगाया वृक्षारोपण में भ्रष्टाचार का आरोप
हर साल करोड़ों वृक्ष लगाने के बावजूद घट रहे जंगल को लेकर कांग्रेस ने पूर्ववर्ती सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि पूर्ववर्ती सरकार में बैठे लोगों ने वृक्षारोपण के नाम पर भ्रष्टाचार किया और अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को ठेका देकर इसमें करोड़ों के वारे न्यारे किए हैं. उनका आरोप है कि सारा वृक्षारोपण पहले की सरकार ने कागजों पर ही किया है. प्रवक्ता सुशील का दावा है कि आने वाले समय में वृक्षारोपण को लेकर भ्रष्टाचार नहीं होगा और जो वृक्ष लगाए जाएंगे वे जीवित भी रहेंगे. इसकी निगरानी भी की जाएगी, जिसके लिए रणनीति तैयार की गई है.
'विकास होगा तो पेड़ भी कटेंगे और जंगल भी'
वहीं बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने का कहना है कि हर साल इतनी संख्या में पेड़ लगाने के बावजूद प्रदेश का कंक्रीट दिखाना अलग मामला है. उपासने ने कहा कि जहां विकास होता है. वहां जंगल भी काटे जाते हैं. वृक्ष भी काटे जाते हैं, जो कि सामान्य प्रक्रिया है. उन्होंने कहा कि उस दौरान भी इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि विकास के साथ जिन वृक्षों को काटा जा रहा है. उसकी भरपाई भी की जाए, जो शायद नहीं हो सका है. इस दौरान उपासने ने वृक्षारोपण में घोटाले की बात को भी स्वीकार किया. उनका कहना था कि प्रदेश में ही नहीं देश में भी वृक्षारोपण के नाम पर भ्रष्टाचार होता है, उस पर नकेल कसने की जरूरत है.
पढ़ें- कटघोरा: 'मुनगा महाअभियान' की शुरुआत, विधायक ने लगाये पौधे
बता दें कि छत्तीसगढ़ के कुल क्षेत्रफल का 44 फीसदी से ज्यादा का हिस्सा वन क्षेत्र है. वन आवरण की दृष्टि से राज्य देश का तीसरा बड़ा राज्य है. ऐसे में जानकारों का यह भी मानना है कि छत्तीसगढ़ को वनावरण की दृष्टि से देश में तीसरे स्थान में शामिल करने में ना तो राज्य सरकार का कोई योगदान है और न ही वन विभाग के अधिकारियों का. क्योंकि जिस तरह से पिछले 20 वर्षों में सरकारों ने हर साल पेड़ लगाए गए थे, तो यह आंकड़ा 44 फीसदी की जगह लगभग 70 फीसदी तक पहुंच जाता और छत्तीसगढ़ देश में प्रथम स्थान पर आ सकता था.
पढ़ें-छत्तीसगढ़ : पौधरोपण के जरिए 28 हजार लोगों को मिला रोजगार
कांग्रेस ने बीते 15 साल से सत्ता पर काबिज रही बीजेपी की सरकार पर वृक्षारोपण को लेकर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए हैं. अब देखना होगा कि सत्ता में आने वाली कांग्रेस सरकार वृक्षारोपण के मामले में कितना खरा उतरती है. पौधरोपण करने के बाद पेड़ बनते तक उनकी देखभाल कि जाएगी या फिर सिर्फ कागजों पर ही वृक्षारोपण कर खानापूर्ति की जाएगी.