रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने दिल्ली की तर्ज पर राज्य में भी सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल का संचालन शुरू कर दिया (Training being given to teachers of Swami Atmanand English Medium ) है. सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूलों का नाम स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम रखा गया है. आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को उच्चस्तरीय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के उद्देश्य से इन स्कूलों की शुरुआत की गई है.
प्रदेश भर में वर्तमान में 171 स्कूल संचालित हो रहे हैं. आने वाले सत्र में 50 नए स्कूल खोलने की कवायद चल रही है. सीएम भूपेश बघेल का स्वामी आत्मानंद स्कूल ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है. ऐसे में यहां के बच्चों को बेहतर शिक्षा व्यवस्था मुहैया कराने के लिए इन तमाम स्कूलों के शिक्षकों को विशेष रूप से ट्रेनिंग दी जा रही है. इसकी शुरुआत राजधानी रायपुर में हो गई है, जिसमें प्रदेश भर के शिक्षक शहर पहुंचे हुए हैं.
प्रदेश भर के शिक्षकों को ट्रेनिंग: स्वामी आत्मानंद स्कूल के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले, इसलिए शिक्षा गुणवत्ता में सुधार को लेकर राजधानी रायपुर में शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जा रही है. प्रदेशभर के शिक्षकों को बेहतर शिक्षा के लिए बाकायदा ट्रेंड किया जा रहा है. इसके लिए एससीईआरटी ने पांच सेंटर बनाए हैं. 5 दिनों तक चलने वाले इस ट्रेनिंग सेंटर में प्रदेशभर के लगभग 4000 से अधिक शिक्षक शामिल होंगे. खास बात यह है कि इसमें बस्तर संभाग के स्वामी आत्मानंद स्कूल के शिक्षक भी शामिल हो रहे हैं, जिन्हें वहां की स्थानीय बोली के हिसाब से भी ट्रेनिंग दी जा रही है.
स्थानीय बोली चुनौती: बस्तर में स्वामी विवेकानंद स्कूल की शिक्षिका सरिता धर का कहना है, "हमारे लिए क्षेत्रीय बोली में पढ़ाना 100 फीसद चुनौती है. इंटीरियर एरिया में इंग्लिश मीडियम स्कूल खुलना ही अपने आप में बहुत बड़ी बात है. शायद मुख्यमंत्री का सपना रहा है कि ग्रामीण एरिया से शहर एरिया में बच्चे पढ़ाई करने नहीं आ पाते. इसलिए उनके क्षेत्र में ही शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था सोच रखी है. हमारे लिए यह बड़ी समस्या हो जाती है कि जब बच्चों को हिंदी नहीं आती. उनकी स्थानीय बोली में हमें उनको हिंदी सिखाना पड़ता है. उसके बाद उन्हें अंग्रेजी में पढ़ाई लिखाई करानी पड़ती है. पिछले कुछ महीने में हमें सफलता मिली है. जिसमें बच्चे बेहतर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं."
यह भी पढ़ें: कौन बना स्वामी आत्मानंद स्कूल के रास्ते में रोड़ा ?
नई चीजें सीखने को मिली: कांकेर से आए शिक्षक नोहर कहते हैं, "आज हमें इस ट्रेनिंग सेंटर में एक अलग ही माहौल देखने को मिला. हम पहले B.Ed-D.Ed किए हैं. वहां से यहां का माहौल अलग ही है. B.ed की पढ़ाई और यहां की पढ़ाई में बहुत अंतर है. यहां हमें नया सीखने को मिल रहा है. टीचर और स्टूडेंट के बीच में कैसे समन्वय बनाएं. इस फील्ड में शिक्षकों को धैर्य बनाए रखना जरूरी है. साथ ही हमें नए आइडियाज की जानकारी भी दी गई है ताकि स्वामी आत्मानंद स्कूल के बच्चों को बेहतर शिक्षा दे सकें और उनका रिजल्ट भी अच्छा आए."
बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए दी जा रही ट्रेनिंग: अलग-अलग जिलों से राजधानी में प्रशिक्षण लेने पहुंचे शिक्षक-शिक्षिकाओं को प्रशिक्षित कर रही पूर्णिमा वर्मा का कहना है, "सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना को कैसे धरातल पर साकार किया जाए. कैसे बेहतर शिक्षा बच्चों को दी जाए. मानसिक सर्वांगीण विकास किस तरह से हो. कई क्षेत्रों में बोली भाषा को लेकर कठिनाइयां शिक्षकों को हो रही. उसे भी ध्यान में रखते हुए ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि बच्चों को उनके समझ के मुताबिक कक्षाएं संचालित की जाए."
4 हजार से अधिक शिक्षकों की ट्रेनिंग: एससीईआरटी के अतिरिक्त संचालक योगेश शिवहरे ने बताया, "स्वामी आत्मानंद स्कूल के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके. इसके लिए राजधानी रायपुर में आत्मानंद के शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण केंद्र की शुरुआत की गई है. स्वामी आत्मानंद स्कूल शासन की प्राथमिकता का विषय है. आत्मानंद स्कूल के संचालन में विशेष ध्यान रखा जा रहा है. इसका संचालन गुणवत्तापूर्ण तरीके से किया जा सके इसलिए शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति व संविदा नियुक्ति की गई है. ऐसे शिक्षकों की संख्या पूरे प्रदेश में 4000 से अधिक है. उनको हम 5 दिन का प्रशिक्षण दे रहे हैं. पहले चरण में लगभग 120 मास्टर ट्रेनर को प्रशिक्षण दिया गया. अब बैच वाइस प्रशिक्षण शुरू किया गया है. यह प्रशिक्षण 30 जुलाई तक चलेगा. इसमें 4000 शिक्षक प्रशिक्षित होंगे. एक बैच में 500 शिक्षक आएंगे. इसके लिए अलग-अलग पांच सेंटर बनाए गए हैं."