रायपुर: कोरोना की दूसरी लहर के बीच मंगलवार से चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो रही है. करीब 400 साल बाद मां दुर्गा की पूजा का ऐसा शुभ संयोग बन रहा है. कहा जा रहा है कि इस नौ दिनों में माता की पूजा-अर्चना से सारे कष्ट दूर होंगे. आइए हम सब मां से प्रार्थना करें कि, वो विश्व की कोरोना महामारी से रक्षा करें.
घट स्थापना का मुहूर्त 13 अप्रैल सुबह 5:28 से लेकर शाम 7:14 तक है. विशेष अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:36 से दोपहर 12:24 तक रहेगा. इस बार चैत्र नवरात्र में मां दुर्गा अश्व की सवारी पर विराजमान हो रही हैं. नवरात्र के दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश कर रहे हैं. जबकि मंगल मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे.
घटस्थापना का विशेष महत्व
घट स्थापना से ही नवरात्र की पूजा शुरू होती है. इसका मुहूर्त सुबह 5:28 बजे से सुबह 7:14 बजे तक रहेगा. घट स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में सात प्रकार के अनाज बोए जाते हैं. इसके बाद इस पात्र के ऊपर कलश की स्थापना की जाती है. कलश में जल भरने के बाद इसमें गंगाजल भी मिलाया जाता है. इसके बाद कलश पर कलावा बांधा जाता है. कलश के मुख पर आम या फिर अशोक का पत्ता रखा जाता है. फिर नारियल को कलावा से बांध दिया जाता है. इसके बाद लाल कपड़े में नारियल को लपेट कर कलश के ऊपर रख दिया जाता है.
कैसे करें कलश स्थापना ?
- इस दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए.
- फिर स्नान कर साफ-सुथरा वस्त्र पहन लें.
- इसके बाद मंदिर को अच्छे से साफ कर लें.
- एक लकड़ी का पाटा लेकर उस पर लाल या सफेद रंग का कपड़ा बिछाएं.
- अब इस कपड़े पर चावल रखकर मिट्टी के बर्तन में जौ बो दें.
- उसी बर्तन के ऊपर जल का कलश रखें. फिर कलश पर स्वास्तिक बनाएं. फिर कलावा बांध दें.
- कलश पर सुपाड़ी, सिक्का और अक्षत जरूर डालें.
- कलश पर अशोक या आम के पत्ते रखें.
- साथ ही एक नारियल को चुनरी से लपेट कर कलावा बांध दें.
- फिर मां दुर्गा का आह्वान करें और दीप प्रज्वलित कर कलश की पूजा करें.
इस चैत्र नवरात्र राशि के हिसाब से करें मां दुर्गा की पूजा
कलश स्थापना मुहूर्त-
- मेष लग्न - सुबह 6:02 से 7:38 बजे तक
- वृषभ लग्न - सुबह 7:38 से 9:34 बजे तक
- अभिजित मुहूर्त - मध्यान्ह 11:56 से 12:47 बजे तक
- सिंह लग्न - दोपहर 14:07 से 16:25 बजे तक
घट स्थापना के तीन मुहूर्त बहुत अच्छे
सुबह 9:11 से दोपहर 2:56 बजे तक चर, लाभ और अमृत के चौघड़िया रहेंगे, जो घट स्थापना के लिए अति उत्तम हैं.
इन 9 दिनों में मां के 9 रूपों की पूजा-
- प्रथम दिवस मां शैलपुत्री
- द्वितीय दिवस मां ब्रह्मचारिणी
- तृतीय दिवस मां चंद्रघंटा
- चतुर्थ दिवस मां कुष्मांडा
- पंचमी के दिन मां स्कंदमाता
- षष्ठी के दिन मां कात्यायनी
- सप्तमी के दिन मां कालरात्रि
- अष्टमी के दिन मां महागौरी
- नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री