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"द कश्मीर फाइल्स" पर आदिवासी नेता नंदकुमार साय का बड़ा बयान, कहा- जनजाति समुदाय की परेशानियों पर बने "द बस्तर फाइल्स" फिल्म

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Published : Mar 15, 2022, 9:30 PM IST

Updated : Mar 16, 2022, 2:47 PM IST

आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने आदिवासी समुदाय की दशा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इन पर भी "द बस्तर फाइल्स" फिल्म का निर्माण होना चाहिए.

Big statement of tribal leader Nandkumar Sai
आदिवासी नेता नंदकुमार साय का बड़ा बयान

रायपुर: आदिवासी समुदाय के लोग लगातार अपनी मांगों को लेकर राजधानी में प्रदर्शन कर रहे हैं. कुछ महीने पहले ही बस्तर के तमाम आदिवासी राज्यपाल अनुसुइया उईके से मिलने राजधानी पैदल पहुंचे हुए थे. सोमवार को भी आदिवासी समुदाय के लोग अपनी 23 सूत्री मांगों को लेकर राजधानी में प्रदर्शन किये. आखिर आदिवासी वनवासी समुदाय के लोगों को किस तरह की हो रही परेशानी, क्या है उनकी मांगे? इस बात को लेकर ईटीवी भारत ने भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय से खास बातचीत की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा...

बननी चाहिए फिल्म दी बस्तर फाइल्स

नक्सली से अधिक जनजाति समुदाय के साथ जुल्म करती है पुलिस

वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने कहा कि जनजाति समुदाय अत्यंत सीधा-साधा भोला-भाला समुदाय होता है. जनजाति समुदाय वनों में रहते हैं. इस वजह से उन्हें अनेक समस्याएं होती हैं. जनजातियों की सुरक्षा के नाम पर वन क्षेत्रों में पुलिस का कैंप लगाया जाता है. जितना नक्सली जनजाति समुदाय के साथ जुल्म करते हैं, उससे ज्यादा पुलिस वाले करते है. सिलगेर में जब आदिवासी समुदाय के लोग पुलिस के कैंप का विरोध कर रहे थे, तो वहां गोली चला दी गई. और 3 लोग मारे गए .आज तक इसको लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया है. मरने वालों को कोई मुआवजा नहीं दिया गया. ना ही पीड़ित के परिवार से किसी को नौकरी दी गई. इसी तरह से आदिवासी क्षेत्र ताड़मेटला, सतिगुड़ा में पुलिसवाले आम लोगों को यह कहकर कि तुम नक्सली से मिले हुए हो.. जुल्म करते हैं.जनजाति क्षेत्रों में पुलिसवाले आम लोगों से कहते है कि नक्सली बहुत परेशान करते हैं. तुम लोग उनके साथ मिले हुए हो ऐसा आरोप लगाकर बहुत सारे आम लोगों को जेल में डाल दिया जाता है.

समुदाय की लड़कियों की रक्षा करने वाला कोई नहीं

सरगुजा में जनजाति समुदाय की लड़कियों को दूसरे समुदाय के लोग उठाकर ले जाते हैं. उनकी बात कोई नहीं सुनता. बहुत तरह की समस्याओं से जनजाति को गुजारना पड़ता है. कोरवा, कामर, पंडो जनजाति तो इतने गरीब हैं कि उनके खाने-पीने तक की परेशानी है. उनको जमीन का पट्टा नहीं दिया जा रहा. कोरवा, कामर, पंडो जनजातियों को लगातार परेशान किया जाता है. जनजाति समुदाय की शिक्षा का भी कोई अच्छा प्रबंध नहीं है. उनके रहने का कोई अच्छा प्रबंध नहीं है. जनजाति समुदाय के लोगों के लिए घोषणा तो बहुत सारी होती है लेकिन होता कुछ नहीं है.

बातचीत करने से होगा नक्सली समस्या का समाधान

जनजाति समुदाय नक्सली समस्याओं को लेकर काफी परेशान हैं. इस समस्या को लेकर प्रशासन एक पहल तो करें. हम चाहते हैं कि जो लोग कथित तौर पर नक्सली हैं. उनके लोग भी बैठें प्रशासन के लोग भी बैठें और बातचीत हो. दुनिया की सारी समस्याओं का हल बातचीत है. विश्वयुद्ध का भी समाधान टेबल पर बैठकर बातचीत करने से होगा. रणभूमि में नहीं. इसी तरह नक्सली समस्या का भी समाधान बैठकर बातचीत करने से होगा.

जनजाति समुदाय पर हो रहे अत्याचार कों देश को जानने का हक

"दी कश्मीर फाइल्स" जैसे जनजाति समुदाय के जीवन पर भी बनानी चाहिए फिल्म. हम चाहते हैं कि सरकार आदिवासी वनवासी समुदाय के बारे में सोचे. आदिवासी वनवासी समुदाय को मुख्यधारा में जोड़ने की कोशिश किया जाए. समुदाय पर जो लगातार जुल्म किए जाते हैं वो बंद हो. इसी वजह से मैंने कहा है कि आदिवासी वनवासी समुदाय के बारे में लोगों को जानना चाहिए. यह समुदाय किस तरह रहता है? कितनी परेशानी उनको आज तक उठानी पड़ी है और अभी भी उठा रहे है. इसके लिए "दी कश्मीर फाइल्स" जैसे आदिवासी जीवन पर भी एक फिल्म बननी चाहिए.

यह भी पढ़ें: जशपुर : अधर में लटका चराईडांड-दमेरा मार्ग, विरोध में भाजपा ने निकाली पदयात्रा कमीशनखोरी का आरोप

चुनाव में मेरी भूमिका पार्टी करेगी तय

प्रदेश में जल्द चुनाव होने वाले हैं. अभी यूपी सहित 5 राज्यों में चुनाव हुए हैं. मेरी भूमिका प्रदेश में किस तरह रहेगी. पार्टी जरूर इसको लेकर चिंतन करती होगी. समय आने पर मुझे इसकी जानकारी होगी. इसका निर्णय ऊपर लेवल पर होता है.

इस वजह से पुरंदेश्वरी कर रही अकेले दौरा

प्रदेश प्रभारी लगातार बस्तर जिले में प्रवास कर रही हैं. बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ प्रदेश प्रभारी मिल रही है. लोगों की समस्याओं को जान रही है. प्रदेश प्रभारी लोगों से डायरेक्ट बात कर रही है. जरूर उन्होंने कोई रणनीति बनाई होगी. मुझे लगता है कि आने वाले समय में प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र में डी पुरंदेश्वरी किस लिए इतने दौरा कर रही है. इसका अर्थ क्या है यह सामने आएगा. प्रदेश के बड़े नेताओं के साथ में रहने से प्रदेश की वास्तविक स्थिति समझ में ना आए. इस वजह से डी पुरंदेश्वरी अकेले दौरा कर रही हैं.

यह भी पढ़ें: दुर्ग पुलिस की बड़ी कार्रवाई : 30 लाख की प्रतिबंधित दवा बरामद, महिला समेत 5 आरोपी गिरफ्तार

दूसरे राज्य में जाकर बसे आदिवासियों की हो वापसी

सरकार चाहे किसी भी दल की रही हो यह महत्वपूर्ण नहीं है.सरकार को जो लीड कर रहे हैं यह उनका दायित्व होता है कि आखिर बहुत सारे लोग दूसरे प्रदेश में क्यों गए. जैसे राज्य जाने वाले लोगों की क्या स्थिति रही इस चीजों को समझें.सरकार को यह कोशिश करनी चाहिए कि अगर आदिवासी सहमत हो तो उनको वापस उनकी जमीन पर लाया जाए. जिन क्षेत्रों में वह रहते थे वहां ला करके उनको पुनः बसाना चाहिए.

रायपुर: आदिवासी समुदाय के लोग लगातार अपनी मांगों को लेकर राजधानी में प्रदर्शन कर रहे हैं. कुछ महीने पहले ही बस्तर के तमाम आदिवासी राज्यपाल अनुसुइया उईके से मिलने राजधानी पैदल पहुंचे हुए थे. सोमवार को भी आदिवासी समुदाय के लोग अपनी 23 सूत्री मांगों को लेकर राजधानी में प्रदर्शन किये. आखिर आदिवासी वनवासी समुदाय के लोगों को किस तरह की हो रही परेशानी, क्या है उनकी मांगे? इस बात को लेकर ईटीवी भारत ने भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय से खास बातचीत की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा...

बननी चाहिए फिल्म दी बस्तर फाइल्स

नक्सली से अधिक जनजाति समुदाय के साथ जुल्म करती है पुलिस

वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने कहा कि जनजाति समुदाय अत्यंत सीधा-साधा भोला-भाला समुदाय होता है. जनजाति समुदाय वनों में रहते हैं. इस वजह से उन्हें अनेक समस्याएं होती हैं. जनजातियों की सुरक्षा के नाम पर वन क्षेत्रों में पुलिस का कैंप लगाया जाता है. जितना नक्सली जनजाति समुदाय के साथ जुल्म करते हैं, उससे ज्यादा पुलिस वाले करते है. सिलगेर में जब आदिवासी समुदाय के लोग पुलिस के कैंप का विरोध कर रहे थे, तो वहां गोली चला दी गई. और 3 लोग मारे गए .आज तक इसको लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया है. मरने वालों को कोई मुआवजा नहीं दिया गया. ना ही पीड़ित के परिवार से किसी को नौकरी दी गई. इसी तरह से आदिवासी क्षेत्र ताड़मेटला, सतिगुड़ा में पुलिसवाले आम लोगों को यह कहकर कि तुम नक्सली से मिले हुए हो.. जुल्म करते हैं.जनजाति क्षेत्रों में पुलिसवाले आम लोगों से कहते है कि नक्सली बहुत परेशान करते हैं. तुम लोग उनके साथ मिले हुए हो ऐसा आरोप लगाकर बहुत सारे आम लोगों को जेल में डाल दिया जाता है.

समुदाय की लड़कियों की रक्षा करने वाला कोई नहीं

सरगुजा में जनजाति समुदाय की लड़कियों को दूसरे समुदाय के लोग उठाकर ले जाते हैं. उनकी बात कोई नहीं सुनता. बहुत तरह की समस्याओं से जनजाति को गुजारना पड़ता है. कोरवा, कामर, पंडो जनजाति तो इतने गरीब हैं कि उनके खाने-पीने तक की परेशानी है. उनको जमीन का पट्टा नहीं दिया जा रहा. कोरवा, कामर, पंडो जनजातियों को लगातार परेशान किया जाता है. जनजाति समुदाय की शिक्षा का भी कोई अच्छा प्रबंध नहीं है. उनके रहने का कोई अच्छा प्रबंध नहीं है. जनजाति समुदाय के लोगों के लिए घोषणा तो बहुत सारी होती है लेकिन होता कुछ नहीं है.

बातचीत करने से होगा नक्सली समस्या का समाधान

जनजाति समुदाय नक्सली समस्याओं को लेकर काफी परेशान हैं. इस समस्या को लेकर प्रशासन एक पहल तो करें. हम चाहते हैं कि जो लोग कथित तौर पर नक्सली हैं. उनके लोग भी बैठें प्रशासन के लोग भी बैठें और बातचीत हो. दुनिया की सारी समस्याओं का हल बातचीत है. विश्वयुद्ध का भी समाधान टेबल पर बैठकर बातचीत करने से होगा. रणभूमि में नहीं. इसी तरह नक्सली समस्या का भी समाधान बैठकर बातचीत करने से होगा.

जनजाति समुदाय पर हो रहे अत्याचार कों देश को जानने का हक

"दी कश्मीर फाइल्स" जैसे जनजाति समुदाय के जीवन पर भी बनानी चाहिए फिल्म. हम चाहते हैं कि सरकार आदिवासी वनवासी समुदाय के बारे में सोचे. आदिवासी वनवासी समुदाय को मुख्यधारा में जोड़ने की कोशिश किया जाए. समुदाय पर जो लगातार जुल्म किए जाते हैं वो बंद हो. इसी वजह से मैंने कहा है कि आदिवासी वनवासी समुदाय के बारे में लोगों को जानना चाहिए. यह समुदाय किस तरह रहता है? कितनी परेशानी उनको आज तक उठानी पड़ी है और अभी भी उठा रहे है. इसके लिए "दी कश्मीर फाइल्स" जैसे आदिवासी जीवन पर भी एक फिल्म बननी चाहिए.

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चुनाव में मेरी भूमिका पार्टी करेगी तय

प्रदेश में जल्द चुनाव होने वाले हैं. अभी यूपी सहित 5 राज्यों में चुनाव हुए हैं. मेरी भूमिका प्रदेश में किस तरह रहेगी. पार्टी जरूर इसको लेकर चिंतन करती होगी. समय आने पर मुझे इसकी जानकारी होगी. इसका निर्णय ऊपर लेवल पर होता है.

इस वजह से पुरंदेश्वरी कर रही अकेले दौरा

प्रदेश प्रभारी लगातार बस्तर जिले में प्रवास कर रही हैं. बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ प्रदेश प्रभारी मिल रही है. लोगों की समस्याओं को जान रही है. प्रदेश प्रभारी लोगों से डायरेक्ट बात कर रही है. जरूर उन्होंने कोई रणनीति बनाई होगी. मुझे लगता है कि आने वाले समय में प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र में डी पुरंदेश्वरी किस लिए इतने दौरा कर रही है. इसका अर्थ क्या है यह सामने आएगा. प्रदेश के बड़े नेताओं के साथ में रहने से प्रदेश की वास्तविक स्थिति समझ में ना आए. इस वजह से डी पुरंदेश्वरी अकेले दौरा कर रही हैं.

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दूसरे राज्य में जाकर बसे आदिवासियों की हो वापसी

सरकार चाहे किसी भी दल की रही हो यह महत्वपूर्ण नहीं है.सरकार को जो लीड कर रहे हैं यह उनका दायित्व होता है कि आखिर बहुत सारे लोग दूसरे प्रदेश में क्यों गए. जैसे राज्य जाने वाले लोगों की क्या स्थिति रही इस चीजों को समझें.सरकार को यह कोशिश करनी चाहिए कि अगर आदिवासी सहमत हो तो उनको वापस उनकी जमीन पर लाया जाए. जिन क्षेत्रों में वह रहते थे वहां ला करके उनको पुनः बसाना चाहिए.

Last Updated : Mar 16, 2022, 2:47 PM IST
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