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SPECIAL: हमने दाना-पानी देना छोड़ दिया और गौरैया हमें छोड़ कर चली गई

गौरैया का दिखना कम हो गया है, जो गौरैया घर आंगन में फुदकती दिखाई देती थी वह अब नजर नहीं आ रही है. गौरैया के कम होने की वजह सबसे ज्यादा प्रदूषण को माना जा रहा है.

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विश्व गौरैया दिवस
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Published : Mar 19, 2020, 11:03 PM IST

Updated : Mar 20, 2020, 8:09 PM IST

रायपुर: आज विश्व गौरैया दिवस है. ये दिन गौरैया के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से मनाया जाता है. गौरैया हमारे घरों की चिड़िया मानी जाती है. घर-आंगन में फुदकने वाली गौरैया अब नजर ही नहीं आती. किस्से और कहानियों में जिस चिड़िया को हमने खूब देखा, उसे देखने के लिए आंखें तरसने लगी हैं.

विश्व गौरैया दिवस

जानकार कहते हैं कि पर्यावरण प्रदूषण गौरैया के कम होने की बड़ी वजह है. वे कहते हैं कि पहले हर घर में गौरैया नजर आती थी, लेकिन हरियाली कम होने की वजह से ये अब नजर नहीं आती. घरों में घोंसले बनाने की जगह भी इन्हें नहीं मिलती है, जिसकी वजह से गौरैया अब नजर नहीं आती है.

हर छोड़ गांव की ओर उड़ी गौरैया

जानकार कहते हैं कि एक रिपोर्ट आई है, जिसमें ये कहा गया है कि गौरैया की संख्या कम नहीं हुई है बल्कि उन्होंने अपना स्थान बदल लिया है. उन्होंने बताया कि पहले घरों में दाना-पानी मिल जाता था, लेकिन अब लोग पैकेट बंद दाने लाते हैं, तो सुखाते नहीं. खाना और पानी न मिलने की वजह से गौरैया ने हमारा शहर छोड़ दिया और गांव की तरफ उड़ गईं.

घर के छत पर रखे दाना-पानी वापस लौटेगी चिड़िया

पहले चिड़िया का नाम लेते ही गौरैया की तस्वीर सामने आ जाती थी, लेकिन अब हम उसी चिड़िया को बचाने के लिए, उसके प्रति जागरूक करने के लिए विश्व गौरैया दिवस मना रहे हैं. जरूरत है कि हम फिर अपनी बालकनी में, छतों पर और आंगन में दाना-पानी रखना शुरू करें, उन्हें घोंसले बनाने की जगह दें, जिससे फिर हम अपनी गौरैया को चहचहाते हुए देख पाएंगे.

रायपुर: आज विश्व गौरैया दिवस है. ये दिन गौरैया के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से मनाया जाता है. गौरैया हमारे घरों की चिड़िया मानी जाती है. घर-आंगन में फुदकने वाली गौरैया अब नजर ही नहीं आती. किस्से और कहानियों में जिस चिड़िया को हमने खूब देखा, उसे देखने के लिए आंखें तरसने लगी हैं.

विश्व गौरैया दिवस

जानकार कहते हैं कि पर्यावरण प्रदूषण गौरैया के कम होने की बड़ी वजह है. वे कहते हैं कि पहले हर घर में गौरैया नजर आती थी, लेकिन हरियाली कम होने की वजह से ये अब नजर नहीं आती. घरों में घोंसले बनाने की जगह भी इन्हें नहीं मिलती है, जिसकी वजह से गौरैया अब नजर नहीं आती है.

हर छोड़ गांव की ओर उड़ी गौरैया

जानकार कहते हैं कि एक रिपोर्ट आई है, जिसमें ये कहा गया है कि गौरैया की संख्या कम नहीं हुई है बल्कि उन्होंने अपना स्थान बदल लिया है. उन्होंने बताया कि पहले घरों में दाना-पानी मिल जाता था, लेकिन अब लोग पैकेट बंद दाने लाते हैं, तो सुखाते नहीं. खाना और पानी न मिलने की वजह से गौरैया ने हमारा शहर छोड़ दिया और गांव की तरफ उड़ गईं.

घर के छत पर रखे दाना-पानी वापस लौटेगी चिड़िया

पहले चिड़िया का नाम लेते ही गौरैया की तस्वीर सामने आ जाती थी, लेकिन अब हम उसी चिड़िया को बचाने के लिए, उसके प्रति जागरूक करने के लिए विश्व गौरैया दिवस मना रहे हैं. जरूरत है कि हम फिर अपनी बालकनी में, छतों पर और आंगन में दाना-पानी रखना शुरू करें, उन्हें घोंसले बनाने की जगह दें, जिससे फिर हम अपनी गौरैया को चहचहाते हुए देख पाएंगे.

Last Updated : Mar 20, 2020, 8:09 PM IST
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