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SPECIAL: टाइल्स और ग्रेनाइट सेक्टर पर Lockdown की मार, कारोबार धड़ाम - टाइल्स के कारोबार में घाटा

टाइल्स और ग्रेनाइट के कारोबार में मंदी का दौर चल रहा है. कारोबारियों की मानें तो पहले के मुकाबले मांग में भारी कमी आई है. कारोबार में करोड़ों का घाटा हो रहा है. इससे जुड़े काम करने वालों के रोजगार पर प्रभाव पड़ रहा है.

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टाइल्स और ग्रेनाइट सेक्टर पर बुरा प्रभाव
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Published : Jun 17, 2020, 10:57 AM IST

रायपुर : कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए 2 महीने तक लॉकडाउन लागू रहा. ऐसे में लगभग हर सेक्टर प्रभावित हुआ. लॉकडाउन में टाइल्स और ग्रेनाइट सेक्टर पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है. फिलहाल टाइल्स और ग्रेनाइट के कारोबार में मंदी का दौर चल रहा है. कारोबारी दुकान खोल रहे हैं, लेकिन टाइल्स और ग्रेनाइट की मांग घट गई है. इसके साथ ही इस सेक्टर में कामगारों की भारी कमी हो गई है.

टाइल्स और ग्रेनाइट का कारोबार निर्माण कार्यों पर निर्भर है. 2 महीने लॉकडाउन के दौरान निर्माण कार्य बंद थे. इस दौरान कई मजदूर अपने घर लौट गए. प्राइवेट और सरकारी कई निर्माण कार्य अधर में लटक गए. ऐसे में टाइल्स और ग्रेनाइट के ऑर्डर में कमी आ गई है. कारोबारियों की मानें तो पहले के मुकाबले मांग में भारी कमी आई है.

टाइल्स और ग्रेनाइट सेक्टर पर बुरा प्रभाव

करोड़ों का कारोबार प्रभावित

लॉकडाउन की वजह से टाइल्स और ग्रेनाइट का कारोबार एकदम मंदा है. होलसेल के कारोबार में थोड़ी तेजी देखी जा रही है, लेकिन रिटेल टाइल्स ग्रेनाइट के व्यवसाय में अब भी मंदी छाई हुई है. कारोबारियों का मानना है कि कई नियमों के कारण भी कारोबार प्रभावित हो रहा है. वे दुकानों पर ग्राहकों को समय नहीं दे पा रहे हैं. इसके अलावा होली के पहले घर गए मजदूर अब तक नहीं लौटे हैं. ऐसे में कारोबार में करोड़ों का घाटा हो रहा है.

रोजगार पर प्रभाव

टाइल्स और ग्रेनाइट के काम से कई मजदूरों को रोजगार मिला करता था, लेकिन इसका काम करने वाले मजदूर घर लौट चुके हैं. निर्माण कार्य बंद होने से टाइल्स और ग्रेनाइट बिक नहीं पा रहे. ऐसे में प्रदेश में इससे जुड़े लोगों के रोजगार पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. उनके हाथ खाली हैं.

पढ़ें: विधायकों के खरीद-फरोख्त के मामले पर बोलीं सरोज पांडे- 'कांग्रेस संभाले अपना घर'

अब सीजन भी नहीं

व्यापारियों का मानना है कि टाइल्स और ग्रेनाइट की बिक्री को पटरी पर आने में 1 साल लग जाएंगे. लॉकडाउन के दौरान 2 महीने तक कोई बिक्री नहीं हुई. आने वाले दिनों में बारिश होगी, तो निर्माण कार्य पूरी तरह से थम जाएंगे. टाइल्स और ग्रेनाइट की फैक्ट्रियां भी मजदूरों की कमी की मार झेल रहे हैं. ऐसे में मटेरियल भी नहीं आ पा रहा है.

सरकार से उम्मीद

व्यापारी सरकार से उम्मीद लगा रहे हैं. उनका कहना है कि प्रदेश सरकार उनकी समस्याओं को देखते हुए कोई राहत पैकेज दे, ताकि लगातार मंदी की मार झेल रहे कारोबार में थोड़ी तेजी आ सके.

रायपुर : कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए 2 महीने तक लॉकडाउन लागू रहा. ऐसे में लगभग हर सेक्टर प्रभावित हुआ. लॉकडाउन में टाइल्स और ग्रेनाइट सेक्टर पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है. फिलहाल टाइल्स और ग्रेनाइट के कारोबार में मंदी का दौर चल रहा है. कारोबारी दुकान खोल रहे हैं, लेकिन टाइल्स और ग्रेनाइट की मांग घट गई है. इसके साथ ही इस सेक्टर में कामगारों की भारी कमी हो गई है.

टाइल्स और ग्रेनाइट का कारोबार निर्माण कार्यों पर निर्भर है. 2 महीने लॉकडाउन के दौरान निर्माण कार्य बंद थे. इस दौरान कई मजदूर अपने घर लौट गए. प्राइवेट और सरकारी कई निर्माण कार्य अधर में लटक गए. ऐसे में टाइल्स और ग्रेनाइट के ऑर्डर में कमी आ गई है. कारोबारियों की मानें तो पहले के मुकाबले मांग में भारी कमी आई है.

टाइल्स और ग्रेनाइट सेक्टर पर बुरा प्रभाव

करोड़ों का कारोबार प्रभावित

लॉकडाउन की वजह से टाइल्स और ग्रेनाइट का कारोबार एकदम मंदा है. होलसेल के कारोबार में थोड़ी तेजी देखी जा रही है, लेकिन रिटेल टाइल्स ग्रेनाइट के व्यवसाय में अब भी मंदी छाई हुई है. कारोबारियों का मानना है कि कई नियमों के कारण भी कारोबार प्रभावित हो रहा है. वे दुकानों पर ग्राहकों को समय नहीं दे पा रहे हैं. इसके अलावा होली के पहले घर गए मजदूर अब तक नहीं लौटे हैं. ऐसे में कारोबार में करोड़ों का घाटा हो रहा है.

रोजगार पर प्रभाव

टाइल्स और ग्रेनाइट के काम से कई मजदूरों को रोजगार मिला करता था, लेकिन इसका काम करने वाले मजदूर घर लौट चुके हैं. निर्माण कार्य बंद होने से टाइल्स और ग्रेनाइट बिक नहीं पा रहे. ऐसे में प्रदेश में इससे जुड़े लोगों के रोजगार पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. उनके हाथ खाली हैं.

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अब सीजन भी नहीं

व्यापारियों का मानना है कि टाइल्स और ग्रेनाइट की बिक्री को पटरी पर आने में 1 साल लग जाएंगे. लॉकडाउन के दौरान 2 महीने तक कोई बिक्री नहीं हुई. आने वाले दिनों में बारिश होगी, तो निर्माण कार्य पूरी तरह से थम जाएंगे. टाइल्स और ग्रेनाइट की फैक्ट्रियां भी मजदूरों की कमी की मार झेल रहे हैं. ऐसे में मटेरियल भी नहीं आ पा रहा है.

सरकार से उम्मीद

व्यापारी सरकार से उम्मीद लगा रहे हैं. उनका कहना है कि प्रदेश सरकार उनकी समस्याओं को देखते हुए कोई राहत पैकेज दे, ताकि लगातार मंदी की मार झेल रहे कारोबार में थोड़ी तेजी आ सके.

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