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मिसाल : पद्म श्री के लिए चयनित ये हैं 'बीजमाता' राहीबाई पोपरे

'बीजमाता' यानी राहीबाई पोपरे को भारत सरकार ने पद्म श्री के लिए चुना गया है. इसके साथ ही बीजों को खोजने के उनके जतन को देखते हुए नारीशक्ति पुरस्कार भी मिल चुका है.

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Published : Mar 7, 2020, 12:08 AM IST

Updated : Mar 7, 2020, 2:45 PM IST

'बीजमाता' राहीबाई पोपरे
'बीजमाता' राहीबाई पोपरे

अहमदनगर: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आज मिलिए आप बीजमाता से. इनका नाम है राहीबाई पोपरे. राही बाई के उपलब्धियों के सफर की कहानी 20 साल पहले शुरु हुई थी. इन्होंने न सिर्फ पारंपरिक तरीके से खेती करके पहचान बनाई बल्कि बीजों को खोजने के उनके जतन को देखते हुए नारीशक्ति पुरस्कार भी मिल चुका है. भारत सरकार ने राहीबाई पोपरे को पद्म श्री के लिए चुना है.

पैकेज

कई फसलों के बीज खोजने के लिए रमाबाई को पद्म पुरस्कार के लिए चुना गया है. राहीबाई कहती हैं कि भूमाता की सेवा के लिए उन्हें ये पुरस्कार मिला है. सिर्फ वे नहीं बल्कि उनका पूरा परिवार बहुत खुश है. राहीबाई बताती हैं कि वे कभी स्कूल नहीं गईं लेकिन कुदरत ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया. वो आगे भी किसानी के क्षेत्र में ही काम करना चाहती हैं.

शुरू किया बीजों का बैंक

राहीबाई कई बार गांव वालों को बीज बांटती हैं. बीजों को खोजने, उनके संकलन करने के साथ-साथ वे उसकी बुआई भी करती हैं. इससे गांव में बीज बैंक का विस्तार हो रहा है. गांव वालों की मदद से उन्होंने करीब 245 बीजों का बैंक शुरू किया है. वे पिछले 20 साल से खेती कर रही हैं.

सब्जी और फल खाने पर जोर देती हैं राहीबाई

राहीबाई महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले की रहने वाली है. वे पढ़ी-लिखी नहीं हैं. उनके पास 2 से 3 एकड़ जमीन है. इसी खेत में वो धान के साथ सब्जियां, फलों की बुआई करती हैं. सब्जी, फल के साथ विविध फसलों को लगाना राहीबाई को पहले से ही बहुत पसंद था. वे कहती हैं कि लोगों को सब्जी के अलावा नैसर्गिक रुप से उत्पादित चीजें खानी चाहिए. हाईब्रिड जीतें मानव के शरीर के लिए हानिकारक हैं. वे कहती हैं कि छोटे बच्चों को पूरा आहार मिलना चाहिए.

राहीबाई ने धान, नागरी, उड़द, मटर, अरहर समेत कई बीजों को बैंक किया है. वे कहती हैं ये खजाना आम लोगों के काम आना चाहिए. आज नासिक और अहमदनगर की कई एकड़ जमीन पर राहीबाई की प्रेरणा से पारंपरिक तरीक से खेती की जा रही है. उनके उन्नत किए हुए बीज महाराष्ट्र के साथ-साथ अन्य राज्यों में पहुंच चुके हैं.

अहमदनगर: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आज मिलिए आप बीजमाता से. इनका नाम है राहीबाई पोपरे. राही बाई के उपलब्धियों के सफर की कहानी 20 साल पहले शुरु हुई थी. इन्होंने न सिर्फ पारंपरिक तरीके से खेती करके पहचान बनाई बल्कि बीजों को खोजने के उनके जतन को देखते हुए नारीशक्ति पुरस्कार भी मिल चुका है. भारत सरकार ने राहीबाई पोपरे को पद्म श्री के लिए चुना है.

पैकेज

कई फसलों के बीज खोजने के लिए रमाबाई को पद्म पुरस्कार के लिए चुना गया है. राहीबाई कहती हैं कि भूमाता की सेवा के लिए उन्हें ये पुरस्कार मिला है. सिर्फ वे नहीं बल्कि उनका पूरा परिवार बहुत खुश है. राहीबाई बताती हैं कि वे कभी स्कूल नहीं गईं लेकिन कुदरत ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया. वो आगे भी किसानी के क्षेत्र में ही काम करना चाहती हैं.

शुरू किया बीजों का बैंक

राहीबाई कई बार गांव वालों को बीज बांटती हैं. बीजों को खोजने, उनके संकलन करने के साथ-साथ वे उसकी बुआई भी करती हैं. इससे गांव में बीज बैंक का विस्तार हो रहा है. गांव वालों की मदद से उन्होंने करीब 245 बीजों का बैंक शुरू किया है. वे पिछले 20 साल से खेती कर रही हैं.

सब्जी और फल खाने पर जोर देती हैं राहीबाई

राहीबाई महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले की रहने वाली है. वे पढ़ी-लिखी नहीं हैं. उनके पास 2 से 3 एकड़ जमीन है. इसी खेत में वो धान के साथ सब्जियां, फलों की बुआई करती हैं. सब्जी, फल के साथ विविध फसलों को लगाना राहीबाई को पहले से ही बहुत पसंद था. वे कहती हैं कि लोगों को सब्जी के अलावा नैसर्गिक रुप से उत्पादित चीजें खानी चाहिए. हाईब्रिड जीतें मानव के शरीर के लिए हानिकारक हैं. वे कहती हैं कि छोटे बच्चों को पूरा आहार मिलना चाहिए.

राहीबाई ने धान, नागरी, उड़द, मटर, अरहर समेत कई बीजों को बैंक किया है. वे कहती हैं ये खजाना आम लोगों के काम आना चाहिए. आज नासिक और अहमदनगर की कई एकड़ जमीन पर राहीबाई की प्रेरणा से पारंपरिक तरीक से खेती की जा रही है. उनके उन्नत किए हुए बीज महाराष्ट्र के साथ-साथ अन्य राज्यों में पहुंच चुके हैं.

Last Updated : Mar 7, 2020, 2:45 PM IST
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