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SPECIAL: त्योहारों में आपका मजा न बन जाए दूसरों के लिए सजा, ध्वनि प्रदूषण से सावधान

ध्वनि प्रदूषण के लगातार खतरनाक होते स्तर ने चिंता बढ़ा दी है. लगातार बढ़ते शोर के चलते हालात जानलेवा हो चले हैं. इस अदृश्य प्रदूषण से कई गंभीर समस्याओं ने जन्म लिया है.

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Published : Oct 4, 2019, 3:23 PM IST

Updated : Oct 5, 2019, 7:27 AM IST

त्योहारों में आपका मजा न बन जाए दूसरों की सजा

रायपुरः राजधानी में गणेश विसर्जन के दौरान डीजे के शोर से दो बुजुर्गों की मौत हो गई. हर साल पूजा-त्योहारों के दौरान देश के किसी न किसी कौने से ऐसी खबरें आती हैं. बावजूद इसके सरकारें अब भी इस मसले को लेकर गंभीर नहीं हैं.

पैकेज.

ध्वनि प्रदूषण के लगातार खतरनाक होते स्तर ने चिंता बढ़ा दी है. लगातार बढ़ते शोर के चलते हालात जानलेवा हो चले हैं. इस अदृश्य प्रदूषण से कई गंभीर समस्याओं ने जन्म लिया है.

ध्वनि प्रदूषण के मानक
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार मनुष्य की सुनने की क्षमता 80 डेसीबल तक होती है, इससे ज्यादा की आवाज मनुष्य बर्दाश्त नहीं कर सकते. 0-25 डेसीबल तक की आवाज में शांति का वातावरण रहता है.

ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव
ध्वनि प्रदूषण से प्रभावित व्यक्ति में बोलने में व्यवधान (Speech Interference), चिड़चिड़ापन, नींद की कमी और इसके बाद पड़ने वाले प्रभावों से पैदा हुई समस्याएं होने लगती हैं.

सुनने की क्षमता पर प्रभाव
ध्वनि की तीव्रता जब 80 डीबी से ज्यादा हो जाती है तो लोगों की सुनने की शक्ति प्रभावित होती है. देश के कुछ शहरों में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभावों का अध्ययन करने के लिए ऐसे लोगों पर शोध किया गया जो लगातार पांच साल से 10 घंटे से अधिक समय शोर-शराबे के बीच गुजारते हैं. जिसमें पाया गया कि 55 प्रतिशत लोगों की सुनने की ताकत कम हो गई है.

मनोवैज्ञानिक प्रभाव
हाई लेवल के ध्वनि प्रदूषण के कारण मनुष्यों में कई तरह के आचार व्यवहार संबंधी परिवर्तन भी हो जाते है. लंबे समय तक ध्वनि प्रदूषण से लोगों में न्यूरोटिक मेंटल डिसार्डर हो जाता है.

शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव

  • ज्यादा शोर के कारण हाई ब्लड प्रेशर.
  • हाइपरटेंशन
  • दिल की बीमारियां
  • आंख की पुतलियों में खिंचाव और तनाव
  • मांसपेशियों में खिंचाव, पाचन तंत्र में गड़बड़ी.
  • मानसिक तनाव, अल्सर जैसे पेट एवं अंतड़ियों के रोग हो सकते हैं.
  • बेहद ज्यादा शोर के कारण गर्भवती महिलाओं में गर्भपात भी हो सकता है.

ध्वनि प्रदूषण के लिए रोकथाम

  • ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हम तीन कदम उठा सकते हैं- रोकथाम, उपचार और लोगो में इसे रोकने के लिए जागरुकता लाना.
  • कम शोर करने वाली मशीनों के इस्तेमाल पर जोर.
  • ज्यादा आवाज करने वाली मशीनों को साउंडप्रूफ कमरों में लगाया जाए.
  • गाड़ियों के हॉर्न की आवाज को नियंत्रित किया जाना चाहिए.
  • तेज आवाज वाले वाहनों का प्रवेश रिहायशी इलाकों में प्रतिबंधित किया जाना.
  • तेज आवाज वाले बैंड और लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.
  • तेज आवाज के पटाखों पर भी नियंत्रण होना चाहिए.
  • वृक्षारोपण किया जाना चाहिए, वृक्ष ध्वनि शोषक होते हैं.

रायपुरः राजधानी में गणेश विसर्जन के दौरान डीजे के शोर से दो बुजुर्गों की मौत हो गई. हर साल पूजा-त्योहारों के दौरान देश के किसी न किसी कौने से ऐसी खबरें आती हैं. बावजूद इसके सरकारें अब भी इस मसले को लेकर गंभीर नहीं हैं.

पैकेज.

ध्वनि प्रदूषण के लगातार खतरनाक होते स्तर ने चिंता बढ़ा दी है. लगातार बढ़ते शोर के चलते हालात जानलेवा हो चले हैं. इस अदृश्य प्रदूषण से कई गंभीर समस्याओं ने जन्म लिया है.

ध्वनि प्रदूषण के मानक
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार मनुष्य की सुनने की क्षमता 80 डेसीबल तक होती है, इससे ज्यादा की आवाज मनुष्य बर्दाश्त नहीं कर सकते. 0-25 डेसीबल तक की आवाज में शांति का वातावरण रहता है.

ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव
ध्वनि प्रदूषण से प्रभावित व्यक्ति में बोलने में व्यवधान (Speech Interference), चिड़चिड़ापन, नींद की कमी और इसके बाद पड़ने वाले प्रभावों से पैदा हुई समस्याएं होने लगती हैं.

सुनने की क्षमता पर प्रभाव
ध्वनि की तीव्रता जब 80 डीबी से ज्यादा हो जाती है तो लोगों की सुनने की शक्ति प्रभावित होती है. देश के कुछ शहरों में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभावों का अध्ययन करने के लिए ऐसे लोगों पर शोध किया गया जो लगातार पांच साल से 10 घंटे से अधिक समय शोर-शराबे के बीच गुजारते हैं. जिसमें पाया गया कि 55 प्रतिशत लोगों की सुनने की ताकत कम हो गई है.

मनोवैज्ञानिक प्रभाव
हाई लेवल के ध्वनि प्रदूषण के कारण मनुष्यों में कई तरह के आचार व्यवहार संबंधी परिवर्तन भी हो जाते है. लंबे समय तक ध्वनि प्रदूषण से लोगों में न्यूरोटिक मेंटल डिसार्डर हो जाता है.

शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव

  • ज्यादा शोर के कारण हाई ब्लड प्रेशर.
  • हाइपरटेंशन
  • दिल की बीमारियां
  • आंख की पुतलियों में खिंचाव और तनाव
  • मांसपेशियों में खिंचाव, पाचन तंत्र में गड़बड़ी.
  • मानसिक तनाव, अल्सर जैसे पेट एवं अंतड़ियों के रोग हो सकते हैं.
  • बेहद ज्यादा शोर के कारण गर्भवती महिलाओं में गर्भपात भी हो सकता है.

ध्वनि प्रदूषण के लिए रोकथाम

  • ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हम तीन कदम उठा सकते हैं- रोकथाम, उपचार और लोगो में इसे रोकने के लिए जागरुकता लाना.
  • कम शोर करने वाली मशीनों के इस्तेमाल पर जोर.
  • ज्यादा आवाज करने वाली मशीनों को साउंडप्रूफ कमरों में लगाया जाए.
  • गाड़ियों के हॉर्न की आवाज को नियंत्रित किया जाना चाहिए.
  • तेज आवाज वाले वाहनों का प्रवेश रिहायशी इलाकों में प्रतिबंधित किया जाना.
  • तेज आवाज वाले बैंड और लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.
  • तेज आवाज के पटाखों पर भी नियंत्रण होना चाहिए.
  • वृक्षारोपण किया जाना चाहिए, वृक्ष ध्वनि शोषक होते हैं.
Intro:cg_rpr_02_dj_sound_avb_CG10001



बाइट डॉ राकेश गुप्ता ईएनटी रायपुर


Body:cg_rpr_02_dj_sound_avb_CG10001


Conclusion:cg_rpr_02_dj_sound_avb_CG10001

Last Updated : Oct 5, 2019, 7:27 AM IST
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