रायपुरः शारदीय नवरात्र की षष्ठी को मां कात्यायनी की साधना-आराधना की जाती है. मां कात्यायनी का स्वरूप अष्टभुजाओं वाला है.
मान्यताओं के अनुसार जब महिषासुर का आतंक बढ़ गया तब कात्यायन ऋषि ने मां की आराधना की और उन्हें देवी के रूप में प्राप्त किया. वहीं महिषासुर के आतंक से सभी लोक के देवी-देवता परेशान रहते थे, मां कात्यायनी को समस्त देवताओं ने शक्तियां प्रदान की. इसके बाद माता कात्यायनी ने महिषासुर का वध किया.
पूजा का महत्व
माता का यह तेजवान स्वरूप है, जिन लोगों को अपने जीवन में विशेष लक्ष्य पूरे करने हैं. उन्हें विशेष रूप से मां कात्यायनी की साधना आराधना करनी चाहिए.
पूजा विधि
- मां कात्यायनी की पूजा करने से पहले साधक को शुद्ध होने की आवश्यकता है.
- पहले स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए.
- इसके बाद पहले कलश की स्थापना करके सभी देवताओं की पूजा करनी.
- उसके बाद ही मां कात्यायनी की पूजा आरंभ करनी चाहिए.
- या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ मंत्र का जाप करते हुए फूल को मां के चरणों में चढ़ाएं.
- इसके बाद मां को लाल वस्त्र, 3 हल्दी की गांठ, पीले फूल, फल, नैवेध आदि चढाएं और मां कि विधिवत पूजा करें.
- अंत में मां की आरती उतारें और इसके बाद मां को शहद से बने प्रसाद का भोग लगाएं, क्योंकि मां को शहद अत्याधिक प्रिय है. भोग लगाने के बाद प्रसाद का वितरण करें.