world soil day 2022 : जिस तरह हम पानी के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते, उतना ही महत्व हमारे लिए मृदा यानी मिट्टी का भी है. भारत जैसे देश के लिए इसका महत्व कहीं ज्यादा बढ़ जाता है, क्योंकि हमारी आय 80 प्रतिशत कृषि उत्पादों पर निर्भर करता है. भारत ही नहीं बल्कि कमोबेस पूरी दुनिया की भी यही स्थिति है. लेकिन कंक्रीटों के बसते जंगलों के कारण हम अपनी मिट्टी की मूल खुशबू से निरंतर दूर होते जा रहे हैं. इसी समस्या की चिंतन, समाधान और इसके प्रति जागरूकता लाने के लिए हर वर्ष 5 दिसंबर को मृदा दिवस मनाया जाता है.significance and theme World Soil Day
पेड़ों की कटाई से मिट्टी प्रभावित : पिछले लंबे समय से भारत ही नहीं दुनिया भर में विकास के नाम पर जिस तरह अंधाधुंध पेड़ों की कटाई हो रही है, उससे हमारी मिट्टी लगातार कमजोर होती जा रही है. गौरतलब है कि पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से पेड़ों की संख्या तो कम हो ही रही है, साथ ही पेड़ों की जड़ें जो मिट्टी को बांधकर रखती हैं, पेड़ों के कम होने से जड़ विहीन मिट्टी बाढ़, तेज बारिश, या तूफानी हवाओं से प्राकृतिक आपदाएं अकसर खतरनाक रूप ले लेती हैं, और अपने साथ उपजाऊ मिट्टी बहा ले जाती हैं.World Soil Day significance
क्यों मनाया जाता है विश्व मृदा दिवस : थाईलैंड के महाराजा स्वर्गीय एचएम भूमिबोल अदुल्यादेज ने अपने कार्यकाल में मृदा यानी स्वस्थ एवं उपजाऊ मिट्टी के संरक्षण के लिए काफी कार्य किया था, उनके इसी योगदान को देखते हुए उनके जन्म दिन 5 दिसंबर को विश्व मिट्टी दिवस के रूप में समर्पित करते हुए उन्हें सम्मानित किया गया. इसके बाद से ही हर प्रत्येक 5 दिसंबर को मिट्टी दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई.
कैसे मनाया जाता है मृदा दिवस : फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन द्वारा वैश्विक स्तर व्यापक रूप से मिट्टी संरक्षण और इसकी थीम का पालन करते हुए मनाया जाता है. इस दरम्यान देश-विदेश में मिट्टी के महत्व और इसके संरक्षण के बारे में जागरूकता की पृष्ठभूमि पर तमाम तरह के ज्ञानवर्धक कार्यक्रम, डिबेट्स, और कंपटीशन्स आदि का आयोजन किया जाता है.World Soil Day theme
छत्तीसगढ़ में मिट्टी का महत्व : धान का कटोरा कहलाने वाले छत्तीसगढ़ के लिए मिट्टी काफी अहम है. यहां की मिट्टी में किसान कई तरह के फसलें पैदा करते हैं.इसलिए किसानों के लिए मिट्टी का महत्व ज्यादा है. छत्तीसगढ़ की उपजाऊ मिट्टी के कारण ही आज यहां अनाज पैदा करने वाले किसान खुशहाल हैं. सरकार भी मिट्टी की उपजाऊ को बढ़ाने के लिए समय समय पर विशेष ध्यान देती है.