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Gudi padwa parv : गुड़ी पड़वा का क्या है महत्व, इस दिन किन बातों का रखें ख्याल, जानेें पूजा का शुभकाल ! - वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा

गुड़ी पड़वा का पर्व पूरे भारत वर्ष में मनाया जाने वाला हिंदू पर्व है. इस दिन महाराष्ट्र प्रांत में विशेष पूजा की जाती है. नवरात्रि के पहले दिन ऋतु परिवर्तन काल में इस पर्व का आगमन होता है.

Significance and date of Gudi Padwa festival
गुड़ी पड़वा की तिथि और महत्व
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Published : Mar 21, 2023, 5:54 PM IST

Updated : Mar 22, 2023, 8:45 AM IST

गुड़ी पड़वा की तिथि और महत्व

रायपुर : नूतन सृष्टि संवत्सर वसंत नवरात्र प्रारंभ और नए साल की शुरुआत का पर्व गुड़ी पड़वा है. महाराष्ट्र में इसे काफी धूमधाम से मनाया जाता है. यह पूरे उल्लास उमंग समरसता से मनाया जाने वाला पर्व है. इस शुभ दिन महाराष्ट्रीयन महिलाएं 9 गज की साड़ी पहनकर पर्व का स्वागत करती हैं. पुरुष धोती कुर्ता पहनकर एक दूसरे को बधाई देते हैं. इस दिन गुड़ी को साफ-सुथरा करके सजाया जाता है. गुड़ी की पूजा की जाती है. गुड़ी पूजा के माध्यम से नववर्ष का स्वागत पर्व ही गुड़ी पड़वा के रूप में जाना जाता है. गुड़ी पड़वा के शुभ दिन महाराष्ट्र में कई तरह के स्वादिष्ट एवं मनभावन व्यंजन बनाए जाते हैं.

गुड़ी पड़वा का महत्व :ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "वास्तव में यह पर्व आनंद खुशी और उमंग बिखेरने का पर्व है. सभी समाज के लोग एक दूसरे को आदर सत्कार के साथ प्रेम व्यक्त करते हुए इस पर्व को मनाते हैं. इसे चेटीचंड के रूप में भी जाना जाता है. आज के दिन प्रातः काल में सूर्योदय से पूर्व योग और ध्यान कर शुद्ध मन से स्नान किया जाता है. अभ्यंग यानी की संपूर्ण शरीर को मालिश कर स्नान करने की परंपरा है. मालिश करने से शरीर के समस्त अंग स्वस्थ एवं अनुकूल हो जाते हैं. ताकि पॉजिटिव मन से नए साल का स्वागत किया जा सके."


हिंदू नववर्ष के रूप में मनाया जाता है त्यौहार :ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "विदर्भ महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ से लगे हुए प्रांतों में इसे मनाने की बहुत पुरानी परंपरा है. वास्तव में यह पर्व ऐतिहासिक काल से मनाया जाता रहा है. यह पर्व नूतन पिंगल नाम संवत्सर में मनाया जा रहा है. इस शुभ दिन उत्तराभाद्र नक्षत्र शुक्ल योग बन रहा है.''

ये भी पढ़ें- क्यों मनाया जाता है गुड़ी पड़वा

गुड़ी पड़वा की तिथि : ''प्रतिपदा तिथि को मनाया जाने वाला गुड़ी पड़वा पर्व रात्रि 8 बजकर 20 तक प्रतिपदा तिथि को मनाने का योग रहेगा. चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि जो कि सनातन पद्धति में नए संवत्सर नए शाके वाहन के रूप में जानी जाती है. इस दिन ही पूरे उल्लास ऊर्जा और धनात्मकता के साथ यह पर्व मनाया जाता है. प्रतिपदा तिथि 21 मार्च 2023 की मध्यरात्रि 10:52 से प्रारंभ होकर 22 मार्च 2023 बुधवार की रात्रि 8:20 तक रहेगी. संवत्सर 2080 और बसंत ऋतु उत्तरायण में परंपरा अनुसार मनाई जाएगी."

गुड़ी पड़वा की तिथि और महत्व

रायपुर : नूतन सृष्टि संवत्सर वसंत नवरात्र प्रारंभ और नए साल की शुरुआत का पर्व गुड़ी पड़वा है. महाराष्ट्र में इसे काफी धूमधाम से मनाया जाता है. यह पूरे उल्लास उमंग समरसता से मनाया जाने वाला पर्व है. इस शुभ दिन महाराष्ट्रीयन महिलाएं 9 गज की साड़ी पहनकर पर्व का स्वागत करती हैं. पुरुष धोती कुर्ता पहनकर एक दूसरे को बधाई देते हैं. इस दिन गुड़ी को साफ-सुथरा करके सजाया जाता है. गुड़ी की पूजा की जाती है. गुड़ी पूजा के माध्यम से नववर्ष का स्वागत पर्व ही गुड़ी पड़वा के रूप में जाना जाता है. गुड़ी पड़वा के शुभ दिन महाराष्ट्र में कई तरह के स्वादिष्ट एवं मनभावन व्यंजन बनाए जाते हैं.

गुड़ी पड़वा का महत्व :ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "वास्तव में यह पर्व आनंद खुशी और उमंग बिखेरने का पर्व है. सभी समाज के लोग एक दूसरे को आदर सत्कार के साथ प्रेम व्यक्त करते हुए इस पर्व को मनाते हैं. इसे चेटीचंड के रूप में भी जाना जाता है. आज के दिन प्रातः काल में सूर्योदय से पूर्व योग और ध्यान कर शुद्ध मन से स्नान किया जाता है. अभ्यंग यानी की संपूर्ण शरीर को मालिश कर स्नान करने की परंपरा है. मालिश करने से शरीर के समस्त अंग स्वस्थ एवं अनुकूल हो जाते हैं. ताकि पॉजिटिव मन से नए साल का स्वागत किया जा सके."


हिंदू नववर्ष के रूप में मनाया जाता है त्यौहार :ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "विदर्भ महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ से लगे हुए प्रांतों में इसे मनाने की बहुत पुरानी परंपरा है. वास्तव में यह पर्व ऐतिहासिक काल से मनाया जाता रहा है. यह पर्व नूतन पिंगल नाम संवत्सर में मनाया जा रहा है. इस शुभ दिन उत्तराभाद्र नक्षत्र शुक्ल योग बन रहा है.''

ये भी पढ़ें- क्यों मनाया जाता है गुड़ी पड़वा

गुड़ी पड़वा की तिथि : ''प्रतिपदा तिथि को मनाया जाने वाला गुड़ी पड़वा पर्व रात्रि 8 बजकर 20 तक प्रतिपदा तिथि को मनाने का योग रहेगा. चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि जो कि सनातन पद्धति में नए संवत्सर नए शाके वाहन के रूप में जानी जाती है. इस दिन ही पूरे उल्लास ऊर्जा और धनात्मकता के साथ यह पर्व मनाया जाता है. प्रतिपदा तिथि 21 मार्च 2023 की मध्यरात्रि 10:52 से प्रारंभ होकर 22 मार्च 2023 बुधवार की रात्रि 8:20 तक रहेगी. संवत्सर 2080 और बसंत ऋतु उत्तरायण में परंपरा अनुसार मनाई जाएगी."

Last Updated : Mar 22, 2023, 8:45 AM IST
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