रायपुर: कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार भाद्र पद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हर वर्ष मनाया जाता है. जन्माष्टमी हिंदू भक्तों के घरों, मंदिरों के अलावा जेलों में भी बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. भगवान कृष्ण का जन्म जेल में ही हुआ था, इसलिए प्रत्येक साल जेलों में भी भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस मौके पर विशेष झाकियां सजाई जाती हैं. सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं. जेल के पुलिसकर्मी ही नहीं, कैदी भी इसकी तैयारियां पूरे उत्साह के साथ करते हैं और जन्माष्टमी का त्यौहार मनाते हैं. इस बार कृष्ण जन्माष्टमी 18 और 19 अगस्त दोनों ही दिन मनाई जा रही है.
क्यों हुआ था भगवान श्रीकृष्ण का जन्म: कथा के अनुसार, उग्रसेन का पुत्र कंस बेहद महात्वकांक्षी और क्रूर था. सिंहासन पाने के लिए उसने अपने पिता राजा उग्रसेन को भी बंदी बना कर जेल में डाल दिया था और खुद राजा बनकर सिंहासन पर बैठ गया. कंस अपनी लाडली बहन देवकी से बहुत प्यार करता था. इसी वजह से देवकी के विवाह के पश्चात कंस खुद रथ का सारथी बन अपनी बहन को उसके ससुराल छोड़ने जा रहा था. रास्ते में अचानक एक आकाशवाणी हुई, जिसके अनुसार देवकी का आठवां पुत्र कंस का काल था. भविष्यवाणी सुनकर कंस क्रोधित हो गया और देवकी और वासुदेव को मथुरा की जेल में डाल दिया.
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मथुरा की जेल में हुआ था भगवान श्रीकृष्ण का जन्म: देवकी की आठवीं संतान द्वारा कंस की मृत्यु होने की आकाशवाणी के बाद कंस ने देवकी और वासुदेव को जेल में बंद कर दिया था. मथुरा के जेल में ही देवकी ने अपने आठ संतानों का जन्म दिया, जिसमें आठवें संतान के रूप में कृष्ण का जन्म हुआ. देवकी के सभी 6 संतानों, जो कृष्ण से पहले जन्में थे, उनका कंस ने जन्म के साथ ही वध कर दिया. लेकिन जब कृष्ण का जन्म हुआ, तब इससे पहले कि कंस नवजात की हत्या करता, वासुदेव ने कृष्ण को गोकुल में यशोदा और नंदबाबा के पास पहुंचा दिया.
श्रीकृष्ण जन्म के समय हुई थी चमत्कारिक घटना: मथुरा के कारागार में ही भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ. कथा के अनुसार उनके जन्म लेते ही जेल की कोठरी में प्रकाश फैल गया और सबकुछ वैसा घटित हुआ जैसा भगवान चाहते थे. इससे पहले कि कंस को श्रीकृष्ण के जन्म की जानकारी मिलती, जन्म के बाद जेल के दरवाजे खुल गए और सभी सैनिक बेसुध हो गये. तब कृष्ण के पिता वासुदेव, कान्हा को लेकर गोकुल की ओर चले गये. रात में ही वासुदेव कृष्ण को गोकुल में यशोदा और नंदबाबा के पास पहुंचा दिया और वापस मथुरा के जेल में आ गये.