रायपुर: 7 जून आषाढ़ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को शुभ मुहूर्त में श्री संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी. इस दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र श्रवण नक्षत्र ब्रह्म योग बालव और कौलवकरण वज्र योग के साथ मकर राशि का सुंदर प्रभाव देखने को मिल रहा है. आज के शुभ दिन व्रत करना दान करना और पुण्य के कार्य करना सर्वोत्तम माना गया है. भगवान गणेश सुमति, विद्या, बुद्धि, ऋतंभरा, प्रज्ञा और मेघा को देने वाले हैं. जो जातक मानसिक रूप से कमजोर है, उन्हें आज के दिन श्री गणेश चालीसा, गणेश गायत्री मंत्र, गायत्री मंत्र का पाठ श्रद्धा के साथ करना चाहिए.
भगवान गणेश को यह करें अर्पित: शास्त्रोंं के अनुसार, आज के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर भगवान गणेश को स्मरण करना चाहिए. योग-ध्यान, स्नान आदि से निवृत होने के बाद गणेश मंदिर जाकर पूजा करनी चाहिए. भगवान लंबोदर महाराज को दूब की माला बहुत प्रिय है. आज के शुभ दिन लंबोदर महाराज को दूब की माला अर्पित करना सर्वोत्तम माना गया है. दूब की माला से एकदंत भगवान शीघ्र प्रसन्न होते हैं और कामनाओं को पूर्ण करते हैं. लंबोदर महाराज को मोदक गजक मगज आदि के लड्डू बड़े प्रिय हैं. विभिन्न तरह के ऋतु फल, जिसमें केला प्रमुख है, भगवान गणेश को अर्पित करना चाहिए.
भगवान गणेश की विधि विधान से करें पूजा: पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "सबसे पहले भगवान गणेश जी का श्रृंगार पूरे विधि विधान से करना चाहिए. केले के पत्र के द्वारा भगवान गणेश जी का श्रृंगार करना चाहिए. पूजन में गौरी गणपति को पान के पत्तों पर श्रद्धापूर्वक आह्वान कर विराजित करना चाहिए. इस समय उचित मंत्रों का भली-भांति प्रयोग करना चाहिए. मंत्रों के शुद्ध उच्चारण के द्वारा भगवान गणेश का अनुग्रह प्राप्त होता है. अपने शरीर धर्म को समझते हुए एकासना फलाहारी अथवा निर्जला उपवास करना चाहिए. आज के शुभ दिन चंद्र दर्शन के उपरांत व्रत का पारण किया जाता है. इस विधि को पूरी श्रद्धा से सम्मान देना चाहिए."
नए बदलाव नए संकल्प को पूरा करने में सहायक: श्री संकष्टी चतुर्थी जीवन में नए बदलाव नए संकल्प और सकारात्मकता का बल देने वाली होती है. श्री संकष्टी चतुर्थी के व्रत से घर में रिद्धि सिद्धि शुभ लाभ और ज्ञान विज्ञान का आगमन होता है. इस पावन पर्व पर गणेश चालीसा, गणेश सहस्त्रनाम, गणेश ऋण मोचन मंत्र, गणेश गायत्री मंत्र, गायत्री मंत्र, मां सरस्वती के मंत्र और शारदा देवी के मंत्रों का पाठ किया जाना चाहिए. विद्यार्थी वर्ग और सभी तरह के लोगों के लिए संकष्टी चतुर्थी समस्त संकटों को दूर करने वाली होती है. इसे पारिवारिक माहौल में कुटुंबी जनों के साथ पूरे उमंग और उल्लास के साथ मनाया जाना चाहिए.