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भानुप्रतापपुर उपचुनाव में कैसा रहा समीकरण, वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा से जनता का रूझान समझिए

bhanupratappur by election 2022 भानुप्रतापपुर उपचुनाव 2022 में सोमवार को मतदान प्रक्रिया संपन्न हुई. भानुप्रतापपुर उपचुनाव 2022 पर ईटीवी भारत ने राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा से खास बातचीत की. आइए उनसे जानते है कि इस बार भानुप्रतापपुर की जनता का रुझान क्या रहा.

bhanupratappur by election 2022
भानुप्रतापपुर उपचुनाव में कैसा रहा समीकरण
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Published : Dec 5, 2022, 11:25 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में भानुप्रतापपुर उपचुनाव 2022 के तहत सोमवार को मतदान प्रक्रिया संपन्न हुई. सुबह से ही मतदान केंद्र में मतदाताओं की भीड़ लगी (Shashank sharma interview) रही. इस उपचुनाव में कुल 71.74 प्रतिशत मतदान हुए हैं. इस चुनाव में 73.25 फीसदी पुरुष और 70.31 फीसदी महिला मतदाताओं ने वोट किए हैं. भानुप्रतापपुर उपचुनाव पर ईटीवी भारत ने राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा से खास बातचीत की. bhanupratappur by election 2022

भानुप्रतापपुर उपचुनाव का हाल समझिए
सवाल: आज 71.74 प्रतिशत मतदान हुए है, उप चुनाव में वोट प्रतिशत को लेकर आप क्या कहेंगे? जवाब: इस उपचुनाव में महिला वोटरों का मतदान प्रतिशत कम है. इस चुनाव में जो मुख्य विषय था, मनोज मंडावी के निधन के बाद उनकी पत्नी सावित्री मंडावी चुनाव मैदान पर सामने आई. पुरुषों की तुलना में महिला वोटरों का प्रतिशत कम है. कहीं ना कहीं सहानुभूति का असर इस चुनाव में देखने को नहीं मिल रहा है. इसके अलावा बस्तर के सभी विधानसभा सीटों की बात की जाए, तो वहां मतदान का प्रतिशत बहुत अच्छा रहा है और अच्छा मतदान महिलाओं के कारण ही हुआ है. 2018 विधानसभा चुनाव में भानूप्रतापपुर सीट पर 77.68 फीसदी मतदान हुए थे और इस बार मतदान कम हुए हैं. तो उपचुनाव को लेकर बहुत ज्यादा रुचि नहीं है या मतदान करने में लोगों की रुचि कम हो गई है. मतदान कम होने से इसका प्रभाव किस पार्टी पर पड़ेगा, यह महत्वपूर्ण है. इस बार आदिवासी समाज ने भी अपना कैंडिडेट उतारा है.

इस चुनाव में यह देखने वाली बात होगी कि किस क्षेत्र से मतदान ज्यादा हुआ है. चरामा, दुर्गकोंदल, और भानुप्रतापपुर तीन तहसील हैं. आम तौर पर यह माना जाता है कि चरामा में पिछड़े वर्ग की संख्या ज्यादा है, जिन्हें भाजपा का वोट बैंक माना जाता है. वहीं दुर्गकोंदल और भानुप्रतापपुर अंदरूनी गोंड आदिवासी क्षेत्र है, वह परम्परागत कांग्रेस का वोटर माना जाता है. इस चुनाव में सर्व आदिवासी समाज ने आदिवासियों के मुद्दों को लेकर अपने कैंडिडेट को चुनाव में उतारा है. इसमें भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों को नुकसान होगा. लेकिन ज्यादा नुकसान कांग्रेस को पहुंचेगा. इस कम मतदान में अगर सर्व आदिवासी समाज के उम्मीदवार के लिए ज्यादा वोटिंग हो गई, तो दोनों ही पार्टी के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है. इस मतदान के बाद सबकी निगाहें 8 दिसंबर चुनाव परिणाम पर टिकी है.


सवाल: छत्तीसगढ़ में यह देखा गया है कि उपचुनाव में सत्तासीन पार्टी जीती है. क्या चुनाव में भी यह चीजें नजर आ रही हैं?
जवाब: यह चीजें लंबे समय से चली आ रही है कि जिसकी सत्ता होती है, उसकी पार्टी चुनाव जीतती है. सरकार साम,दाम,दंड,भेद सभी हथकंडे अपना कर चुनाव जीतने का प्रयास करती हैं. छत्तीसगढ़ में कोटा उपचुनाव को छोड़कर विधानसभा के उपचुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी कभी नहीं हारी है.


सवाल: मतदान समाप्त होने के बाद भाजपा प्रत्याशी ब्रह्मानंद नेताम को झारखंड पुलिस गिरफ्तार करने पहुंची थी. इसे लेकर आपका क्या कहना है?
जवाब: पत्रकार बिरादरी में एक चुटकुला चल रहा है. भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में झारखंड के कुछ प्रचारक आकर प्रचार कर रहे हैं. इस चुनाव को लेकर भाजपा के कार्यकर्ताओं में उत्साह नहीं था. लेकिन झारखंड पुलिस आकर भारतीय जनता पार्टी को रिचार्ज कर गए. चरमा क्षेत्र भाजपा का मजबूत गढ़ है. पुलिस इस क्षेत्र में जाकर गिरफ्तार करने पहुंच रही है, तो इसका प्रभाव जरूर मतदाताओं पर भी पड़ेगा. ब्रह्मानंद नेताम पर जो आरोप लगा है, मुझे नहीं लगता कि वे चुनाव का कोई बड़ा मुद्दा है. मेरी समझ से ब्रह्मानंद नेताम के मुद्दे को छोड़कर कांग्रेस पार्टी ने थोड़ा या ज्यादा अपना नुकसान ही किया है.

सवाल: सर्व आदिवासी समाज ने अपने कैंडिडेट को उतारा है, इसे आप किस नजरिए से देखते हैं.?

जवाब: सर्व आदिवासी समाज ने अंदरूनी क्षेत्रों में जाकर लोगों को प्रतिज्ञा दिलाई है. उन्होंने जनजाति समाज के मुद्दों और उनकी समस्याओं लेकर जो शपथ दिलाई है, वह असर तो जरूर डालेगा. इस चुनाव में ब्रह्मानंद नेताम के मुद्दे से ज्यादा आरक्षण का मुद्दा ज्यादा हावी रहा है.

सवाल: आने वाले दिनों में 2023 विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इस चुनाव को राजनीतिक दल सेमीफाइनल की तरह मान रही है. इसे लेकर आपका क्या कहना?
जवाब: किसी राज्य में एक विधानसभा पर होने वाले उपचुनाव को सेमीफाइनल नहीं मान सकते. उपचुनाव के दौरान मतदाताओं का दृष्टिकोण सत्तासीन पार्टी की तरफ से ज्यादा रहता है कि उनके क्षेत्र में विधायक चुनने से क्षेत्र में विकास कार्य हो सकते हैं. यह चुनाव छत्तीसगढ़ के 2023 विधानसभा का सेमीफाइनल बिल्कुल भी नहीं है. मनोज मंडावी 26000 वोटों से विधानसभा चुनाव जीते थे और वह जीत का अंतर बहुत बड़ा था. भानुप्रतापपुर में अब तक सिर्फ दो पार्टी मुख्य रूप से चुनाव लड़ती आई है. लेकिन इस बार सर्व आदिवासी समाज ने भी अपना प्रत्याशी उतारा है. अगर जीत का अंतर कम होता है, तो ऐसे में भाजपा कि एक तरह से जीत होगी. अगर कांग्रेस 26 हजार से अधिक वोटों से जीतती है, तो आदिवासी क्षेत्रों में कांग्रेस पार्टी का जो जादू 2013 से चल रहा था, वह जादू कांकेर के क्षेत्र में बरकरार रहेगा.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में भानुप्रतापपुर उपचुनाव 2022 के तहत सोमवार को मतदान प्रक्रिया संपन्न हुई. सुबह से ही मतदान केंद्र में मतदाताओं की भीड़ लगी (Shashank sharma interview) रही. इस उपचुनाव में कुल 71.74 प्रतिशत मतदान हुए हैं. इस चुनाव में 73.25 फीसदी पुरुष और 70.31 फीसदी महिला मतदाताओं ने वोट किए हैं. भानुप्रतापपुर उपचुनाव पर ईटीवी भारत ने राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा से खास बातचीत की. bhanupratappur by election 2022

भानुप्रतापपुर उपचुनाव का हाल समझिए
सवाल: आज 71.74 प्रतिशत मतदान हुए है, उप चुनाव में वोट प्रतिशत को लेकर आप क्या कहेंगे? जवाब: इस उपचुनाव में महिला वोटरों का मतदान प्रतिशत कम है. इस चुनाव में जो मुख्य विषय था, मनोज मंडावी के निधन के बाद उनकी पत्नी सावित्री मंडावी चुनाव मैदान पर सामने आई. पुरुषों की तुलना में महिला वोटरों का प्रतिशत कम है. कहीं ना कहीं सहानुभूति का असर इस चुनाव में देखने को नहीं मिल रहा है. इसके अलावा बस्तर के सभी विधानसभा सीटों की बात की जाए, तो वहां मतदान का प्रतिशत बहुत अच्छा रहा है और अच्छा मतदान महिलाओं के कारण ही हुआ है. 2018 विधानसभा चुनाव में भानूप्रतापपुर सीट पर 77.68 फीसदी मतदान हुए थे और इस बार मतदान कम हुए हैं. तो उपचुनाव को लेकर बहुत ज्यादा रुचि नहीं है या मतदान करने में लोगों की रुचि कम हो गई है. मतदान कम होने से इसका प्रभाव किस पार्टी पर पड़ेगा, यह महत्वपूर्ण है. इस बार आदिवासी समाज ने भी अपना कैंडिडेट उतारा है.

इस चुनाव में यह देखने वाली बात होगी कि किस क्षेत्र से मतदान ज्यादा हुआ है. चरामा, दुर्गकोंदल, और भानुप्रतापपुर तीन तहसील हैं. आम तौर पर यह माना जाता है कि चरामा में पिछड़े वर्ग की संख्या ज्यादा है, जिन्हें भाजपा का वोट बैंक माना जाता है. वहीं दुर्गकोंदल और भानुप्रतापपुर अंदरूनी गोंड आदिवासी क्षेत्र है, वह परम्परागत कांग्रेस का वोटर माना जाता है. इस चुनाव में सर्व आदिवासी समाज ने आदिवासियों के मुद्दों को लेकर अपने कैंडिडेट को चुनाव में उतारा है. इसमें भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों को नुकसान होगा. लेकिन ज्यादा नुकसान कांग्रेस को पहुंचेगा. इस कम मतदान में अगर सर्व आदिवासी समाज के उम्मीदवार के लिए ज्यादा वोटिंग हो गई, तो दोनों ही पार्टी के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है. इस मतदान के बाद सबकी निगाहें 8 दिसंबर चुनाव परिणाम पर टिकी है.


सवाल: छत्तीसगढ़ में यह देखा गया है कि उपचुनाव में सत्तासीन पार्टी जीती है. क्या चुनाव में भी यह चीजें नजर आ रही हैं?
जवाब: यह चीजें लंबे समय से चली आ रही है कि जिसकी सत्ता होती है, उसकी पार्टी चुनाव जीतती है. सरकार साम,दाम,दंड,भेद सभी हथकंडे अपना कर चुनाव जीतने का प्रयास करती हैं. छत्तीसगढ़ में कोटा उपचुनाव को छोड़कर विधानसभा के उपचुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी कभी नहीं हारी है.


सवाल: मतदान समाप्त होने के बाद भाजपा प्रत्याशी ब्रह्मानंद नेताम को झारखंड पुलिस गिरफ्तार करने पहुंची थी. इसे लेकर आपका क्या कहना है?
जवाब: पत्रकार बिरादरी में एक चुटकुला चल रहा है. भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में झारखंड के कुछ प्रचारक आकर प्रचार कर रहे हैं. इस चुनाव को लेकर भाजपा के कार्यकर्ताओं में उत्साह नहीं था. लेकिन झारखंड पुलिस आकर भारतीय जनता पार्टी को रिचार्ज कर गए. चरमा क्षेत्र भाजपा का मजबूत गढ़ है. पुलिस इस क्षेत्र में जाकर गिरफ्तार करने पहुंच रही है, तो इसका प्रभाव जरूर मतदाताओं पर भी पड़ेगा. ब्रह्मानंद नेताम पर जो आरोप लगा है, मुझे नहीं लगता कि वे चुनाव का कोई बड़ा मुद्दा है. मेरी समझ से ब्रह्मानंद नेताम के मुद्दे को छोड़कर कांग्रेस पार्टी ने थोड़ा या ज्यादा अपना नुकसान ही किया है.

सवाल: सर्व आदिवासी समाज ने अपने कैंडिडेट को उतारा है, इसे आप किस नजरिए से देखते हैं.?

जवाब: सर्व आदिवासी समाज ने अंदरूनी क्षेत्रों में जाकर लोगों को प्रतिज्ञा दिलाई है. उन्होंने जनजाति समाज के मुद्दों और उनकी समस्याओं लेकर जो शपथ दिलाई है, वह असर तो जरूर डालेगा. इस चुनाव में ब्रह्मानंद नेताम के मुद्दे से ज्यादा आरक्षण का मुद्दा ज्यादा हावी रहा है.

सवाल: आने वाले दिनों में 2023 विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इस चुनाव को राजनीतिक दल सेमीफाइनल की तरह मान रही है. इसे लेकर आपका क्या कहना?
जवाब: किसी राज्य में एक विधानसभा पर होने वाले उपचुनाव को सेमीफाइनल नहीं मान सकते. उपचुनाव के दौरान मतदाताओं का दृष्टिकोण सत्तासीन पार्टी की तरफ से ज्यादा रहता है कि उनके क्षेत्र में विधायक चुनने से क्षेत्र में विकास कार्य हो सकते हैं. यह चुनाव छत्तीसगढ़ के 2023 विधानसभा का सेमीफाइनल बिल्कुल भी नहीं है. मनोज मंडावी 26000 वोटों से विधानसभा चुनाव जीते थे और वह जीत का अंतर बहुत बड़ा था. भानुप्रतापपुर में अब तक सिर्फ दो पार्टी मुख्य रूप से चुनाव लड़ती आई है. लेकिन इस बार सर्व आदिवासी समाज ने भी अपना प्रत्याशी उतारा है. अगर जीत का अंतर कम होता है, तो ऐसे में भाजपा कि एक तरह से जीत होगी. अगर कांग्रेस 26 हजार से अधिक वोटों से जीतती है, तो आदिवासी क्षेत्रों में कांग्रेस पार्टी का जो जादू 2013 से चल रहा था, वह जादू कांकेर के क्षेत्र में बरकरार रहेगा.

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