रायपुर: कोरोना काल में फ्रंटलाइन वारियर्स के तौर पर तमाम सरकारी विभागों के कर्मचारियों ने भी सेवाएं दी है, लेकिन सरकारी कर्मचारियों के परिवारों को भी अस्पतालों की मनमानी का शिकार होना पड़ रहा है. छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष विजय झा ने प्राइवेट अस्पतालों पर गंभीर आरोप लगाये हैं. उनका कहना है कि प्राइवेट अस्पताल में कोरोना के इलाज के लिए 50 से 60 हजार रुपये प्रतिदिन तक मांगे जा रहे हैं.
छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने इसे लेकर आपत्ति जताई है. कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष विजय कुमार झा ने कहा है कि उनके परिवार में खुद दो लोगों की मौत हो गई. उनके परिजन मनोज कुमार झा की भी बीते दिनों तबीयत खराब हुई. इसके चलते उनका प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराया गया. वहां मन मुताबिक दाम लेने के बाद मरीज को कोविड-19 पॉजिटिव होने की बाद कह दी गई. अस्पताल प्रबंधन की ओर से उन्हें 50 हजार रुपये प्रतिदिन का खर्चा बताया गया.
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राज्य सरकार से हस्तक्षेप की मांग
विजय कुमार झा ने कहा कि आम लोगों के लिए तमाम परेशानियों को झेलते हुए प्रदेश भर के कर्मचारी दिन रात काम करते हैं, लेकिन उनके ही परिवार को इस तरह से यातनाएं झेलनी पड़ रही है. कोविड-19 को लेकर केंद्र सरकार ने गाइडलाइन बनाई है, जिसमें प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के दाम भी तय किए गए हैं. इसके बावजूद प्राइवेट अस्पताल मनमानी रकम वसूल कर रहे हैं. इतना ही नहीं मरीज की मौत होने के बाद भी पोस्टमार्टम के नाम पर 24 घंटे तक डेड बॉडी को अस्पताल में रखा जा रहा है. कर्मचारी संघ ने इस तरह के केस में राज्य सरकार को हस्तक्षेप करने की मांग की है.