रायपुर: केंद्र सरकार ने अनलॉक-5 के लिए गाइडलाइन जारी कर दी है. इसमें केंद्र सरकार ने यह साफ कर दिया है कि राज्य सरकार यदि चाहे तो 15 अक्टूबर के बाद स्कूल खोल सकती है. जिसपर छत्तीसगढ़ सरकार ने यह साफ कर दिया है कि वह अभी स्कूल नहीं खोल सकती है, क्योंकि अभी छत्तीसगढ़ में संक्रमण लगातार बढ़ रहा है. इधर, अभिभावक और निजी स्कूल संचालक सरकार के इस फैसले पर असहमति जता रहे हैं. छत्तीसगढ़ के शिक्षा मंत्री ने कहा है कि, 15 अक्टूबर के बाद इसपर विचार किया जाएगा कि आखिर स्कूल खोले जाएं या नहीं. यदि खोले भी जाएं, तो किन कक्षाओं के बच्चों को स्कूल बुलाया जाए और उसमें क्या-क्या मापदंड रखा जाए.
सरकार के इस बयान के बाद निजी स्कूल संघ के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने बताया कि सरकार ने बिना रायशुमारी यह फैसला जरूर ले लिया है, लेकिन इससे निजी स्कूलों को काफी नुकसान हो सकता है. क्योंकि पहले ही पालक पीस नहीं दे रहे हैं. ऐसे में स्कूल नहीं खुलेगा तो पालक आगे भी फीस नहीं देंगे. ऐसे में जो छोटे निजी स्कूल हैं, उनका संचालन मुश्किल हो जाएगा. सरकार को भले ही बड़े क्लास रखने की बात करनी चाहिए और जो व्यवस्था वाले स्कूल हैं, वहां पर 9वीं से 12वीं तक के बच्चों को स्कूल आने तक की अनुमति देनी चाहिए.
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'हम बच्चों को नहीं भेजेंगे स्कूल'
पालक संघ के अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कहा कि, 'हमने पहले यह साफ कर दिया था कि सरकार यदि स्कूल खोलती भी है तो ऐसे में हम बच्चों को नहीं भेजेंगे, भले ही क्यों न उनका साल खराब हो जाए. क्योंकि संक्रमण है और संक्रमण के दौर में वह बच्चे अपने स्कूल के माध्यम से अपने घरों तक संक्रमण ले आएंगे और ऐसे में बच्चों के जान को भी खतरा बढ़ेगा.' उन्होंने कहा, 'सरकार ने अभी तक इसपर कोई खास फैसला तो नहीं दिया है. स्कूल खोले जाने को लेकर यदि कहती है, तब भी हम अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे.'
शिक्षाविद जवाहर शूरीशेट्टी कहते हैं, 'सरकार ने भले ही अबतक फैसला न लिया हो कि स्कूल कब से खोले जाएं, लेकिन अब केंद्र सरकार की गाइडलाइन के बाद उम्मीद जरूर नजर आती है. हालांकि इस वक्त यह कहना कि स्कूल खोल दिए जाएंगें, बड़ी जल्दबाजी होगी. क्योंकि छोटे बच्चों को भी स्कूल भेजना सही नहीं होगा. ऐसे में सरकार यह फैसला ले सकती है कि वह 9वीं से 12वीं तक के बच्चों को स्कूल बुलाए और बाकी छोटे बच्चों को ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से शिक्षित करें.'