रायपुर: सावन माह भगवान शिव को समर्पित होता है. इस साल सावन माह 2 महीने का पड़ रहा है. ज्योतिष के मुताबिक 3 साल में एक बार मलमास यानी कि पुरुषोत्तम मास आता है. पुरुषोत्तम मास के कारण इस साल सावन 2 महीने का होगा. सावन की शुरुआत 4 जुलाई से होकर 31 अगस्त तक रहेगी. भगवान भोलेनाथ की पूजा आराधना के लिए सावन का महीना होता है. खासतौर पर सावन के महीने में सोमवार के दिन शिव भक्तों की भीड़ शिव मंदिरों में देखने को मिलती है.
क्या कहते हैं पंडित: पंडित मनोज शुक्ला ने ईटीवी भारत को बताया कि "ज्योतिषी की गणना के अनुसार हर 3 साल में एक बार पुरुषोत्तम मास आता है. इसे मलमास के नाम से भी जाना जाता है. पुरुषोत्तम मास की गणना 3 वर्ष में पूरी होती है. साल 2023 में सावन का महीना 2 महीने का होगा. सावन माह भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है. जो भक्त दूसरे पर्व या त्यौहार पर व्रत नहीं रख पाते हैं, उनके लिए सावन का महीना शुभ माना जाता है. लोग सोमवार के दिन उपवास रहकर भगवान भोलेनाथ की विधि विधान से पूजा आराधना करते हैं."
शिव भक्तों को पूजा के लिए मिलेगा अधिक समय: बता दें कि इस साल सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू होकर 31 अगस्त तक रहेगा. 1 महीने के सावन मास में चार या पांच सोमवार होता है. लेकिन इस बार सावन 2 महीने का होगा. ऐसे में सावन सोमवारी की संख्या भी बढ़ जाएगी. 2 महीने का श्रावण मास होने के कारण भक्तों को भगवान भोलेनाथ की पूजा आराधना करने के लिए अधिक समय मिलेगा.
एक लोटा जल से प्रसन्न होते हैं भोलेनाथ: भगवान भोलेनाथ की पूजा भक्त जल, दूध, फलों के रस से अभिषेक कर सकते हैं. कई लोग बारिश के जल से भी शिवजी का अभिषेक करते हैं. सावन में विधिविधान से भगवान भोलेनाथ की पूजा- आराधना से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. भक्त रात-रात भर जागकर भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं. भगवान भोलेनाथ को औघड़दानी कहा जाता है. भगवान को कुछ और नहीं बल्कि एक लोटा जल से प्रसन्न किया जा सकता है.महिलाएं अपने घर की सुख-शांति के लिए भगवान भोलेनाथ की पूजा-आराधना करतीं हैं.
युवतियों को मिलाता है मनचाहा वर: विवाह योग्य युवतियां भगवान भोलेनाथ की पूजा करती हैं. ऐसा करने से युवतियों को मनचाहा वर मिलता है. माता पार्वती ने हजारों साल की कठिन तपस्या से भगवान भोलेनाथ को प्राप्त किया था. ठीक उसी तरह विवाह योग्य युवतियां कठिन तपस्या और साधना के माध्यम से भगवान भोलेनाथ की तरह ही अपने वर की कामना करती हैं. भगवान भोलेनाथ के अभिषेक के लिए दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, पंचामृत, गन्ने के रस का इस्तेमाल किया जाता है. भगवान शिव को विशेष तौर पर बेलपत्र, धतूरा, आक और मदार के फल और फूल अर्पित किए जाते हैं.