रायपुर: कुछ दिनों पहले भाजपा ने "जाबो गोठान खोलबो पोल" अभियान चलाया है. इस अभियान के तहत भाजपा कांग्रेस के गोठान अव्यवस्था की पोल खोलने का दावा कर रही है. भाजपा के इस अभियान को लेकर सरपंचों में नाराजगी है. कुछ दिनों पहले भूपेश सरकार के खिलाफ 13 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन करने वाला सरपंच संघ अब भाजपा के खिलाफ खड़ा दिखाई दे रहा है. साथ ही संरपंच संघ ने भाजपा को आगामी चुनाव में इसका परिणाम भुगतने की भी बात कही है.
"यह बात समझ में नहीं आ रही है कि बीजेपी कांग्रेस पार्टी का पोल खोलना चाहती है कि ग्राम पंचायतों का. अगर बीजेपी को ग्राम पंचायतों के साथ लड़ाई लड़नी है, तो बीजेपी प्रत्यक्ष रूप से यह लड़ाई ग्राम पंचायतों से लड़े. जिससे यह पता चल सके कि बीजेपी सरपंचों को प्रताड़ित करना चाह रही है. सरपंचों की 13 सूत्रीय मांग आज भी लंबित है. इसमें बीजेपी की तरफ से कोई भी समर्थन सरपंच संघ को नहीं मिला है, उल्टे भारतीय जनता पार्टी ग्राम पंचायतों का पोल खोलने जा रही है." -आदित्य उपाध्याय, प्रदेश अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ सरपंच संघ
भाजपा की हरकत को बताया ओछी मानसिकता: सरपंच संघ का कहना है कि "अगर भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस सरकार की पोल खोलना चाहती है तो उनके खिलाफ धरना और प्रदर्शन करे. लेकिन बीजेपी ग्राम पंचायतों में जाकर सरपंचों की परेशानी बढ़ा रही है. गोठान के रखरखाव और उसकी पूरी जवाबदारी का जिम्मा ग्राम पंचायतों का होता है. इसके लिए ग्राम पंचायत को नोडल एजेंसी बनाया गया. ऐसे में बीजेपी का ये अभियान उनकी ओछी मानसिकता को दर्शाता है. इतनी बड़ी पार्टी होने के बाद इतनी छोटी हरकत करना बीजेपी को शोभा नहीं देता."
"राज्य सरकार के निर्देश पर ग्राम पंचायतें अपना काम कर रही हैं, जिसमें वर्मी कंपोस्ट टैंक बनाना और गोबर खरीद रही है. पंचायतें सरकार के निर्देशों का पालन कर रही हैं. भाजपा सरपंचों का अपमान कर रही है. 2023 के चुनाव में बीजेपी को इसके नतीजे भुगतने पड़ेंगे." -प्रेम साहू, जिला अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ सरपंच संघ (बलौदा बाजार)
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अभियान का खामियाजा चुनाव में भुगतना पड़ेगा: साल 2023 में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चुनाव को लेकर विपक्षी पार्टी कांग्रेस को घेरने के लिए कोई भी मुद्दा नहीं छोड़ रही है. इस बीच भाजपा के खिलाफ सरपंच संघ की नाराजगी आने वाले दिनों में भाजपा को ही भारी पड़ सकती है.