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Sankashti Chaturthi 2023: धनिष्ठा नक्षत्र में मनाया जाएगा संकष्टी चतुर्थी का पर्व - गणेश सहस्त्रनाम

Sankashti Chaturthi 2023: संकष्टी चतुर्थी का पर्व 6 जुलाई को धनिष्ठा नक्षत्र में मनाया जाएगा. ये पूरा दिन भगवान गणेश को समर्पित है. इस दिन विधि विधान से भगवान गणपति की आराधना करनी चाहिए.

Sankashti Chaturthi
संकष्टी चतुर्थी
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Published : Jul 5, 2023, 8:48 PM IST

पंडित विनीत शर्मा

रायपुर: सावन कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी मनाया जाएगा. यह पर्व धनिष्ठा नक्षत्र गुरुवार प्रीति योग विश कुंभकरण बालव करण और श्रीवत्स नामक आनंद योग में मनाया जाएगा. पिंगल संवत्सर के श्रावण मास की चतुर्थी तिथि भगवान श्री गणेश की आराधना के लिए खास मानी गई है. इस दिन स्नान, ध्यान और प्राणायाम से निवृत्त होकर भगवान गणेश जी की पूजा करनी चाहिए. भगवान श्री गणेश को स्वच्छ और निर्मल स्थान पर लाल और हरे कपड़े में स्थान देना चाहिए. स्वयं भी लाल, पीले अथवा हरे कपड़े पहनकर भगवान गणेश की पूजा सच्चे मन से करनी चाहिए.

ऐसे करें गणपति की पूजा: सर्वप्रथम भगवान गणेश को विधिवत प्रतिस्थापित कर गंगा जल से स्नान कराना चाहिए. भगवान गणेश जी को तिलक, चंदन, बंधन और जनेऊ धारण कराना चाहिए. यज्ञोपवीत पहनाते समय मंत्रों का जाप विधिवत करना चाहिए. भगवान गणेश जी को दूर्वा की माला से विभूषित करना चाहिए. इसके साथ ही प्रकृति के सुगंधित फूलों से भगवान गणेश जी का श्रृंगार करना चाहिए. केला और रितु फलों का भगवान को भोग लगाया जाना चाहिए. गणेश जी को लड्डू बहुत प्रिय है. इस दिन मोदक, गजक, बेसन, सूजी अथवा विभिन्न शुद्ध पदार्थों से बने हुए लड्डुओं का भोग भगवान गणेश जी को लगाना चाहिए.

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"संकष्टी चतुर्थी का व्रत समस्त संकटों को हरने वाला होता है. इस दिन क्षमतानुसार व्रत करना चाहिए. सुबह व्रत का संकल्प लेकर पूरे दिन उपवास रहना चाहिए. उपवास करते समय मन को सात्विक और शुद्ध वातावरण के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. संकष्टी चतुर्थी हमारे समस्त विघ्न बाधाओं और संकटों को हरने वाला होता है. इस दिन चंद्रोदय का विशेष महत्व है. चंद्र दर्शन करने के उपरांत ही व्रत का पारण किया जाता है." -पंडित विनीत शर्मा

ऐसे करें व्रत का पारण: 6 जुलाई गुरुवार की रात 9:43 पर चंद्र का उदय होगा. चंद्र के उदय होने के उपरांत ही उपवास को विधानपूर्वक तोड़ा जाता है. दूसरे दिन व्रत का पारण करना चाहिए. इस दिन गणेश चालीसा, गणेश सहस्त्रनाम, गणेश्वर नाशक मंत्र अथर्व शीर्ष और गणेश जी की आरती पूर्ण श्रद्धा से करनी चाहिए. संकष्टी चतुर्थी के दिन हाथियों का दर्शन करना शुभ माना जाता है. हाथियों को ऋतु फल केला आदि का भोग लगाना पवित्र माना गया है.

पंडित विनीत शर्मा

रायपुर: सावन कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी मनाया जाएगा. यह पर्व धनिष्ठा नक्षत्र गुरुवार प्रीति योग विश कुंभकरण बालव करण और श्रीवत्स नामक आनंद योग में मनाया जाएगा. पिंगल संवत्सर के श्रावण मास की चतुर्थी तिथि भगवान श्री गणेश की आराधना के लिए खास मानी गई है. इस दिन स्नान, ध्यान और प्राणायाम से निवृत्त होकर भगवान गणेश जी की पूजा करनी चाहिए. भगवान श्री गणेश को स्वच्छ और निर्मल स्थान पर लाल और हरे कपड़े में स्थान देना चाहिए. स्वयं भी लाल, पीले अथवा हरे कपड़े पहनकर भगवान गणेश की पूजा सच्चे मन से करनी चाहिए.

ऐसे करें गणपति की पूजा: सर्वप्रथम भगवान गणेश को विधिवत प्रतिस्थापित कर गंगा जल से स्नान कराना चाहिए. भगवान गणेश जी को तिलक, चंदन, बंधन और जनेऊ धारण कराना चाहिए. यज्ञोपवीत पहनाते समय मंत्रों का जाप विधिवत करना चाहिए. भगवान गणेश जी को दूर्वा की माला से विभूषित करना चाहिए. इसके साथ ही प्रकृति के सुगंधित फूलों से भगवान गणेश जी का श्रृंगार करना चाहिए. केला और रितु फलों का भगवान को भोग लगाया जाना चाहिए. गणेश जी को लड्डू बहुत प्रिय है. इस दिन मोदक, गजक, बेसन, सूजी अथवा विभिन्न शुद्ध पदार्थों से बने हुए लड्डुओं का भोग भगवान गणेश जी को लगाना चाहिए.

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"संकष्टी चतुर्थी का व्रत समस्त संकटों को हरने वाला होता है. इस दिन क्षमतानुसार व्रत करना चाहिए. सुबह व्रत का संकल्प लेकर पूरे दिन उपवास रहना चाहिए. उपवास करते समय मन को सात्विक और शुद्ध वातावरण के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. संकष्टी चतुर्थी हमारे समस्त विघ्न बाधाओं और संकटों को हरने वाला होता है. इस दिन चंद्रोदय का विशेष महत्व है. चंद्र दर्शन करने के उपरांत ही व्रत का पारण किया जाता है." -पंडित विनीत शर्मा

ऐसे करें व्रत का पारण: 6 जुलाई गुरुवार की रात 9:43 पर चंद्र का उदय होगा. चंद्र के उदय होने के उपरांत ही उपवास को विधानपूर्वक तोड़ा जाता है. दूसरे दिन व्रत का पारण करना चाहिए. इस दिन गणेश चालीसा, गणेश सहस्त्रनाम, गणेश्वर नाशक मंत्र अथर्व शीर्ष और गणेश जी की आरती पूर्ण श्रद्धा से करनी चाहिए. संकष्टी चतुर्थी के दिन हाथियों का दर्शन करना शुभ माना जाता है. हाथियों को ऋतु फल केला आदि का भोग लगाना पवित्र माना गया है.

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